लखनऊ। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए उत्तर प्रदेश में बनाये गये महागठबंधन में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी को शामिल ही नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव और मायावती ने सीटों के बंटवारे से पहले कांग्रेस से बात तक नहीं की। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में गठबंधन सहित 73 सीटों पर विजय प्राप्त की थी जबकि कांग्रेस मात्र दो और समाजवादी पार्टी 5 सीटों पर विजयी रही थी। बसपा के खाते में एक भी लोकसभा सीट नहीं आई थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने हार के बाद बसपा के साथ हाथ मिलाया और तीन संसदीय उपचुनावों में भाजपा को करारी मात दी।
इन तीन संसदीय क्षेत्रों में से दो तो वीआईपी क्षेत्र थे क्योंकि एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे और दूसरे फूलपुर का नेतृत्व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हाथों में था। सपा और बसपा के गठबंधन से भाजपा को निश्चित तौर पर खतरा होगा और इस बात को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी हाल ही में स्वीकार कर चुके हैं। अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि यह गंभीर चुनौती होगी लेकिन हम इसका सामना करेंगे। पूर्व का भी इतिहास है कि जब-जब सपा और बसपा साथ आये तब तब भाजपा और कांग्रेस का सफाया हुआ है।
कांग्रेस जोकि मोदी सरकार को हटाने के लिए दम ठोंक रही है उसे लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और बिहार में अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा क्योंकि यहां लोकसभा की कुल मिलाकर 120 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और नारा दिया गया था- यूपी को यह साथ पसंद है। लेकिन चुनावों में हार के बाद अखिलेश यादव को शायद अपने पिता की कांग्रेस से दूरी बनाने की नसीहत उचित लगी और उन्होंने कांग्रेस से पूरी तरह कन्नी काट ली। हाल ही में तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी सपा और बसपा की ओर से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ हालांकि इन दोनों ही दलों ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के समर्थन की घोषणा की है। इन दोनों ही दलों को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का कोई खास वजूद नहीं है इसलिए उसे कोई भाव नहीं दिया जा रहा।
अब इस महागठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश में सीटों का जो बंटवारा हुआ है उसके तहत राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से बहुजन समाज पार्टी 38 पर, समाजवादी पार्टी 37 पर और राष्ट्रीय लोक दल तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। राष्ट्रीय लोक दल के खाते में जो सीटें आई हैं उनमें बागपत, कैराना और मथुरा शामिल हैं।