मैट्रो की अंडरग्राउंड लाइन की प्रति किलोमीटर निर्माण लागत 600 से 700 करोड़
ऊपरी लाइन की निर्माण लागत प्रति किलोमीटर 280 से 300 करोड़
किराये में सब्सिडी से सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का मॉडल प्रभावित होगा
सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक
Faridabad : दिल्ली मैट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह सिंह ने आज कहा कि दिल्ली मैट्रो जैसी स्वयं वहनीय कोई भी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पूर्णत: सब्सिडी पर नहीं चल सकती। सब्सिडी से केवल किराये में कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है लेकिन इससे सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का स्वयं वहनीय मॉडल प्रभावित होता है।
श्री मंगू, जिन्होंने दिल्ली और कोलकाता के मैट्रो प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आज जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद में ‘सतत शहरी यातायात के रूप में मैट्रो’ विषय पर बोल रहे थे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम को इंडस्ट्री रिलेशन्स प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किया गया था।
मैट्रो किराया संशोधन को लेकर एक विद्यार्थी द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में श्री सिंह ने कहा कि मैट्रो का किराया आठ वर्षों के अंतराल के बाद वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था। इससे पहले यह संशोधन वर्ष 2009 में हुआ था। दिल्ली मैट्रो रेल निगम को जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए), जिसने दिल्ली मैट्रो के पहले व दूसरे चरण के लिए फंडिंग की थी, का कुल 28,000 करोड़ रुपये का लोन चुकाना है। इस समय दिल्ली मैट्रो की अंडरग्राउंड लाइन की प्रति किलोमीटर कुल निर्माण लागत 600 से 700 करोड़ रुपये है और ऊपरी लाइन की निर्माण लागत प्रति किलोमीटर 280 से 300 करोड़ रुपये है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली मैट्रो डायनेमिक ट्रेन शेड्यूलिंग, रि-जनरेटिंग ब्रेकिंग सिस्टम तथा स्टेशन की छतों पर सौर ऊर्जा जैसी नई तकनीक अपना रहा है, जिससे बिजली की खपत कम होगी।
श्री मंगू सिंह, जिन्होंने दिल्ली मैट्रो के स्वच्छ विकास तंत्र अर्थात क्लीन डेवलेपमेंट मैकेनिज्म प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया है जो दुनिया के रेल परिवहन क्षेत्र में एकमात्र सफल प्रोजेक्ट है, ने बताया कि दिल्ली मैट्रो परिसर में सौर ऊर्जा उत्पादन की परियोजना के संचालन के लिए भारतीय सौर ऊर्जा निगम के साथ दिल्ली मैट्रो ने एक समझौता किया है। समझौते के तहत दिल्ली मैट्रो रेल निगम अपने परिसर में उत्पन्न होने वाली सौर ऊर्जा को अगले 25 वर्षों तक उत्पादनकर्ता से खरीदेगा और इसके तहत निगम ऊर्जा उत्पन्न होने पर लगी वास्तविक लागत का ही भुगतान करेगा। इस समय, निगम के कुल खर्च का 38 प्रतिशत ऊर्जा संसाधनों पर खर्च होता है।
दिल्ली मैट्रो के प्रबंध निदेशक ने कहा कि दिल्ली मैट्रो की सफलता का सबसे बड़ा कारण समयबद्धता है। दिल्ली मैट्रो ने 99.8 प्रतिशत समयबद्धता तथा शून्य दुर्घटना रिकार्ड बरकरार रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि अपने करियर में सफलता के लिए अपने जीवन में समय के प्रति पाबंद रहे।
इससे पूर्व, सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि देश की मैट्रो रेल प्रणाली की अभूतपूर्व सफलता में मंगू सिंह का योगदान महत्वपूर्ण है और वे देशभर के मैट्रो इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि मंगू सिंह उस समय मैट्रो परियोजना से जुड़े थे, जब यह देश में बिल्कुल नई थी। किसी भी नई परियोजना का क्रियान्वयन जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि कोई भी इसकी सफलता या किये गये निवेश की वापसी का अंदाजा नहीं लगा सकता। लेकिन जब तक कोई कोशिश नहीं करता, उसे सफलता नहीं मिल सकती और यही महत्वपूर्ण बात है जो सभी युवाओं को मंगू सिंह से सीखने की आवश्यकता है। कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने श्री मंगू सिंह को स्मृति चिह्न भेंट किया।
सत्र को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. तिलक राज तथा डॉ. अर्शबीर ने भी संबोधित किया। सत्र का समन्वयन इंडस्ट्री रिलेशन्स प्रकोष्ठ की निदेशक डॉ. रश्मि पोपली, डॉ. संजीव गोयल, डॉ. रश्मि अग्रवाल, डॉ. ज्योत्सना तथा डॉ. प्रीति सेठी ने किया।