देश के 600 से अधिक कुलपति व निदेशक हुए शामिल
2012 तक नेक सर्टिफिकेशन हासिल करने का ऐलान
सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक
नई दिल्ली। देश भर के कुलपतियों ने आज शिक्षण अध्ययन प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रति एवं 2020 तक विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध संस्थानों में यूजीसी गुणवत्ता अधिदेश और 2022 तक सभी संस्थानों में एनएएसी प्रत्यायन अर्जित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
कुलपतियों के तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन दिवस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में सर्वसहमति से एक 10 सूत्री संकल्प का अंगीकरण किया गया। इसमें केंद्र द्वारा वित पोषित विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों, मानद विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों से संबंधित कुलपतियों ने भी विश्वविद्यालयों को अत्याधुनिक अनुसंधान में संलग्न ऐसे संस्थानों में रूप में रूपांतरित करने के प्रति खुद को प्रतिबद्ध किया जो नवीन ज्ञान के सृजन एवं प्रसार के लिए गुणवत्ता शिक्षा के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से मिश्रित संस्थान हों।
सम्मेलन में छात्रों को विषय संबंधित ज्ञान के अतिरिक्त, बाजार संबंधित कौशलों की जानकारी उपलब्ध कराने के जरिये उनकी रोजगारपरकता में सुधार लाने की आवश्यकता भी दर्ज की गई। इसमें यह भी नोट किया गया कि किस प्रकार स्वयंम जैसे डिजिटल अध्ययन प्लेटफॉर्म के जरिये पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के लिए अवसरों में सुधार लाया जा सकता है।
कुलपतियों एवं उच्चतर शिक्षण संस्थानों के निदेशकों के लिए ‘अनुसंधान एवं नवोन्मेषण‘ पर अपनी तरह के इस प्रथम सम्मेलन का आयोजन 26 जुलाई से 28 जुलाई, 2018 तक किया गया और इसका केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा किया गया जबकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्य पाल सिंह विशिष्ट अतिथि थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव (उच्चतर शिक्षा), यूजीसी के अध्यक्ष, एआईसीटीई के अध्यक्ष, मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं यूजीसी, एआईसीटीई के अधिकारी तथा केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारी विश्वविद्यालयों, मानद विश्वविद्यालयों, राज्यों के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी, आईआईआईटी, आईआईएसईआर एवं अन्य केंद्रीय संस्थानों के निदेशकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
600 से अधिक कुलपतियों एवं निदेशकों ने सम्मेलन में भाग लिया जो ‘गुरु पूर्णिमा‘ के पावन अवसर के दौरान आयोजित किया गया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषता यह थी कि यह प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल थी। ‘अनुसंधान एवं नवोन्मेषण‘ पर अपनी तरह का यह पहला सम्मेलन था जिसमें सभी विश्वविद्यालयों एवं आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी, आईआईआईटी, आईआईएसईआर एवं अन्य केंद्रीय संस्थानों ने एक छत के नीचे हिस्सा लिया।
27 जुलाई को ‘गुरु पूर्णिमा‘ के पावन अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने 1990 में भारत के पहले सुपरकंप्यूटर परम के विकास के रचयिता डॉ विजय भटकार को सम्मानित किया। इस अवसर पर, सभी कुलपतियों का भी सम्मान किया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने उच्चतर शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वे (एआईएसएचई) रिपोर्ट 2017-18, वर्ष 2017-18 के लिए अखिल भारतीय एवं सभी राज्यों का उच्चतर शिक्षा प्रालेख एवं उच्चतर शिक्षा संस्थानों के लिए स्वच्छता रैंकिंग की एक पुस्तिका का भी अनावरण किया।
श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इंप्रिंट सहित मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सभी अनुसंधान परियोजनाएं सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों के लिए खोली जाएंगी।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने डॉ. सत्य पाल सिंह ने कहा कि अनुसंधान एवं नवोन्मेषण देश के उच्च शिक्षा परिदृश्य में अहम बदलाव लाने में प्रमुख कारक है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव ( उच्च शिक्षा) श्री आर सुब्रमण्यम ने देश की शैक्षणिक प्रगति के फोकस को निर्धारित करने पर बल देते हुए सम्मेलन के उद्वेश्य के बारे में जानकारी दी।