Font Size
पीएम के वायदा खिलाफी के कारन जाट समाज सख्त नाराज : यशपाल मलिक
सम्मलेन में आन्दोलन की रूपरेखा के लिए आठ प्रस्ताव पारित
जसिया-रोहतक : अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा आयोजित “जाट महासम्मेलन” में राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि देश भर का जाट समाज आज देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के 26 मार्च 2015 के जाटों को आरक्षण देने के वायदे से वायदा खिलाफी करने पर नाराज है. अब आन्दोलन में किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2016 की हिंसा की पूरी योजना हरियाणा सरकार द्वारा अपनी ही पार्टी के सांसद, विधायक व मन्त्रियों की टीमें बनाकर हरियाणा को जाट व गैर जाट में बाँट कर आग लगाने का काम किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसकी एक टीम में राजकुमार सैनी व अष्विनी चौपड़ा जैसे सांसदों ने जाट समाज के खिलाफ बोलना व उसको धमकाना शुरू किया। इसी टीम के मनीष ग्रोवर जैसे विधायकों को रोहतक में जाट व गैर जाट के बीच दंगे कराने का काम सौंपा गया।
उन्होंने कहा कि जाट समाज के मंत्री ओमप्रकाश धनकड़, कै॰ अभिमन्यु और सुभाष बराला के रिष्तेदारों व बीजेपी के जाट कार्यकर्ताओं से 14 फरवरी 2016 को साँपला में कार्यक्रम का आयोजन कराकर लोगों को सड़कों पर बैठाने का काम किया। फरवरी 2016 से पहले पिछले एक साल में बीजेपी सांसद द्वारा जाट समाज के खिलाफ जहर उगलने के कारण उपजी नाराजगी से आन्दोलन शान्तिपूर्वक व तेज होता गया, लेकिन अपनी योजना के तहत रोहतक में जाट व गैर जाट लोगों के बीच झगड़ा करा कर और झज्जर, भिवानी , दादरी, सोनीपत, हिसार, पानीपत, करनाल, कैथल, जीन्द, फतेहाबाद आदि शहरों, जिलों व कस्बों में बीजेपी के कार्यकर्ताओं द्वारा जाटों पर हमले किये गये।
उनका कहना था कि जब जाट समाज अपने लोगों की खबर लेने शहर की तरफ गया, तब उन पर मिलिट्री व पुलिस द्वारा गोली चलवा कर उनको शहादत देने पर मजबूर किया। जब तक जाट समाज की समझ में आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और 18 नौजवानों की शहादत के साथ-साथ 30 भाई इस आन्दोलन में अपनी जान गंवा चुके थे व सैंकड़ों घायल हुऐ। जाट समाज को बदनाम करने के लिये 300 से अधिक लोगों को जेलों में डाल दिया गया और अपने कार्यकर्ताओं को बचाने के लिये जाट समाज के 25000 से ज्यादा लोगों को झूठे मुकदमों में फँसा दिया गया। जब समिति द्वारा शान्तिपूर्वक आन्दोलन को तेज किया और सरकार की साजिषों का खुलासा किया गया, तब समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सभी प्रमुख पदाधिकारियों पर हरियाणा सरकार के संरक्षण में हमले कराये गये, जिसके हमलावर अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
शान्तिपूर्वक आन्दोलन की प्रमुख घटनाओं जैसे मार्च 2016 का प्रदर्षन, जून 2016 को चले शान्तिपूर्वक धरने व रोहतक व झज्जर की भाईचारा रैली व 29 जनवरी 2017 से 20 मार्च 2017 तक चले धरने व जाट दिल्ली कूच एवं जीन्द में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली के बायकाट करने आदि आन्दोलनों के बाद हरियाणा सरकार के मुख्यमन्त्री व केन्द्रीय प्रतिनिधियों के साथ हुऐ पिछले 4 समझौतों के अनुसार अब तक ना तो हरियाणा व केन्द्र का आरक्षण मिला व ना ही अभी तक सभी केस वापिस हुए .
उन्होंने कहा कि कै॰ अभिमन्यु के केस में अभी भी लोग जेल में बन्द हैं। दोनों मुद्दों (केस वापिसी व आरक्षण) को सरकार अदालतों में गलत सूचनायें देकर अटकाये बैठी है। धरनों पर अपनी जान गवाने वालों के आश्रितों व आन्दोलन के दौरान अपंग हुये युवाओं को अभी भी सरकारी नौकरी नहीं मिली। इसलिए आज जाट समाज द्वारा आन्दोलन को जारी रखने का फैसला लिया गया और भविष्य में यह आन्दोलन देषव्यापी होगा और समझौते की सभी मांगों के पूरा होने तक आन्दोलन जारी रहेगा।
आज इस आन्दोलन को जारी रखने के तौर तरीकों पर प्रस्ताव पास कराये गयेः
1. 16 अगस्त 2018 से हरियाणा प्रदेष में हरियाणा सरकार के मुख्यमन्त्री व मन्त्रियों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के स्थलों को संघर्ष समिति अपना धरना स्थल बनायेगी और सरकार से सभी माँगें पूरी होने तक उसके हर कार्यक्रम का विरोध करेगी। शान्तिपूर्वक आन्दोलन के सभी विकल्प जैसे धरने, प्रदर्षन, असहयोग आन्दोलन आदि खुले रहेंगे।
2. 16 अगस्त 2018 से पहले भी अगर हरियाणा में बीजेपी का कोई राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम हुआ, तब आन्दोलन की शुरूआत पहले भी हो सकती है।
3. हरियाणा सरकार शीघ्र उच्चतम न्यायालय में सही पक्ष रख स्टे हटवाये व उच्च न्यायालय में आंकड़े रख जाट आरक्षण आन्दोलन लागू करे एवं केन्द्र सरकार आने वाले संसद के मानसून सत्र (जुलाई) में राष्ट्रीय, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग के संसद में लम्बित बिल को पास करे।
4. 15 जून 2018 से 15 अगस्त 2018 तक हरियाणा के सभी गाँव, हल्का, ब्लॉक, तहसील व जिले स्तर पर भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर अपने साथ दूसरी पिछड़ी व दलित जातियों के लोगों व किसान संगठन एवं सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने वाले सभी संगठनों को भी एक मंच पर लाकर आन्दोलन की जिलेवार जिम्मेदारी तय की जायेगी।
5. सभी राजनीतिक दलों को विधानसभा व संसद में समाज के खिलाफ अन्याय व अत्याचार करने वाली व जाति व धर्म के आधार पर बाँटने वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की माँग की जोयगी।
6. राजस्थान व मध्य प्रदेष जाट बाहुल्य राज्य हैं। जहां पर दिसम्बर 2018 में ही विधानसभा चुनाव है। वहां पर कार्यक्रमों का जिले स्तर पर आयोजन कर सरकार द्वारा जाट समाज के खिलाफ अन्याय व अत्याचार को मुद्दा बनाया जायेगा व इसी तरह उत्तर प्रदेष, दिल्ली, उत्तराखण्ड, हिमाचल व पंजाब के साथ अन्य राज्यों में जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजन कर धरने प्रदर्षन के साथ-2 लोकसभा चुनाव 2019 में जाट समाज के खिलाफ अन्याय व अत्याचार को मुद्दा बनाया जायेगा।
7. देष भर में ओ.बी.सी. के लिये आन्दोलन चला रहे पटेल, मराठा, कापू आदि जातियों के साथ मिलकर भी भविष्य के आन्दोलन की योजना बनायी जायेगी।
8. हरियाणा सरकार जिस तरह से उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रख कर ई.बी.पी.जी.सी. (Economically Backward Person In General Caste) के कण्डीडेटों की ज्वाइनिंग करा रही है, उसी प्रकार से एस.बी.सी. (Special Backward Caste) के कण्डीडेटों की भी ज्वाइनिंग कराये।
इस अवसर पर हरियाणा से आये जिलाध्यक्षों के साथ-साथ प्रमुख प्रदेश पदाधिकारियों व उत्तर प्रदेश , दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व पंजाब के पदाधिकारियों ने भी अपने-2 प्रदेशों में सघन प्रचार अभियान शुरू करने व आन्दोलन में हरियाणा का साथ देने के साथ-साथ केन्द्रीय स्तर पर आन्दोलन में अपनी भूमिका को निभाने का वायदा किया।