सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
चंडीगढ, 13 मई : हरियाणा की शहरी स्थानीय निकाय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने कहा कि सफाई कर्मियों को हठधर्मिता त्याग कर काम पर लौट आना चाहिए। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जायज नहीं है, क्योंकि उनकी अधिकांश मांगें सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है। जबकि एक मांग को लेकर अदालत में मामला चल रहा है। श्रीमती जैन आज सोनीपत के सेक्टर-14 स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में बाबा महाकाल उज्जैन सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित तीर्थ यात्रियों की जनसभा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी।
हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में सफाई सेवाओं और अग्निश्मन सेवाओं को बाधित कर रहे पालिका के कर्मचारियों द्वारा अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की मांग पूरी किया जाना संभव नहीं है, क्योंकि अदालत द्वारा 2016 से ही विभिन्न नीतियों के तहत अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित करने पर रोक लगा दी गई थी। ऐसे में हड़ताल करना तथा आपातकालीन सेवाओं में बाधा डालना अनुचित है।
शनिवार को भी शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रवक्ता ने बताया था कि प्रदेश में पालिकाओं में हड़ताल कर रहे कर्मचारी अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित कराने पर अड़े हुए हैं तथा आपातकालीन सेवाओं में बाधा डाल रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि धरना, प्रदर्शन कर रहे इन कर्मचारियों की मांग अनुचित है, क्योंकि 16 जून, 2014 तथा इसके उपरांत जारी की गई नियमित करने की सभी नीतियों पर योगेश त्यागी एवं अन्य द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिस पर न्यायालय की डबल बैंच द्वारा 2 सितम्बर 2016 को नियमतिकरण की सभी नीतियों को स्थगित कर दिया गया था। इसके उपरांत मुख्य सचिव हरियाणा द्वारा सभी विभागाध्यक्षों को जारी पत्र में न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए। ऐसे में वर्तमान में अनुबंध आधार पर तथा ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जाना संभव नहीं है, चूंकि पूरी वस्तुस्तिथि से अवगत होने के बाद भी कर्मचारी आंदोलनरत है, जो अनुचित है।
प्रवक्ता ने कहा था कि सरकार द्वारा सफाई सेवाओं और अग्निश्मन सेवाओं को दुरुस्त करने की दिशा में लगातार प्रबंध किए जा रहे हैं।हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग का गठन किया जा चुका है। जबकि सफाई कर्मचारियों को 8100 रुपए मासिक से 11500 रुपए करने को मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंजूरी दे चुके हैं। सीवर को सफाई करने वाले कर्मचारियों को एक्सग्रेसिया के तहत मृत्यु होने पर 10 लाख रुपए तथा अनुबंधित कर्मचारी की मृत्यु की स्तिथि में 3 लाख रुपए अनुकम्पा राशि भुगतान का निर्णय, हर महीने सीवर सफाई करने वाले कर्मचारियों को 2 हजार रुपए रिस्क भत्ता दिया जा रहा है।
प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश में अग्निश्मन सेवाओं को एकीकृत करने के लिए अग्निश्मन निदेशालय की स्थापना की गई है। अग्निश्मन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 38 दमकल गाडिय़ां खरीद करके जिलों में भेजी जा रही है, जबकि सरकार की उच्च स्तरीय खरीद समिति द्वारा 56 दमकल गाडिय़ां तथा 102 मोटरसाइकिल अग्निश्मन यंत्र से लैस करने की मंजूरी प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2017 से प्रदेश सरकार अग्निश्मन सेवाओं को एक छत के नीचे लाने के लिए फंड की व्यवस्था कर रही है। इसके साथ-साथ अग्निश्मन क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को नए नियमों के अनुसार योग्यता और अनुभव अपने स्तर पर दिलाने की व्यवस्था की गई है।
श्रीमती जैन ने आज कार्यक्रम में कहा कि सोसाइटी लोगों को विशेषकर बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराने का काम करती है जो अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भी इस प्रकार की योजनाएं लागू की हैं जिनका लाभ आम जनमानस को उठाना चाहिए। तीर्थयात्राओं से लोगों को भारतीय संस्कृति व संस्कारों से परिचित होने का मौका मिलता है। सरकार का प्रयास है कि हमारे संस्कारों व संस्कृति का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार हो। नई पीढ़ी को संस्कृति व संस्कारों से परिचित कराना बहुत जरूरी है ताकि देश की नींव को मजबूत किया जा सके।
उन्होंने तीर्थ यात्रियों को मदर्स-डे की बधाई देते हुए कहा कि एक माता बच्चे को जन्म देने के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण का कार्य करती है। व्यक्ति निर्माण ही नहीं माता तो समाज और राष्ट्र निर्माण का कार्य करती है। अर्थात् माँ का स्थान कोई दूसरा नहीं ले सकता।
उन्होंने कहा कि मदर्स-डे के मौके पर यह आयोजन प्रशंसनीय है। तीर्थ यात्रियों की यात्रा शुरु होने से पूर्व आयोजित समारोह में उन्होंने माता की महानता से परिचित कराने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि माँ की तुलना धरती से की जाती है। जिस प्रकार धरती सारा भार वहन करती है उसी प्रकार माँ भी अपने परिवार को आगे बढ़ाती है। सागर जैसी गहराई माता के अंदर होती है।