जन सूचना अधिकार कानून का अधिकारियों ने बनाया मजाक

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: 6 माह बाद भी गांव शाह चौखा के लोगों को नहीं मिल रही जानकारी

: सरपंच द्वारा कराऐ गऐ कार्यो की मांगी गई थी सूचना

: गांव का सरपंच ऐडवोकेट है

यूनुस अलवी

 
मेवात : सरकार ने सूचना का अधिकार कानून तो बना दिया, लेकिन सरकार व प्रशासन द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जिसके चलते यह कानून नूंह जिला में एक मजाक बनकर रह गया है। लोगों को आवेदन छह-छह महिने बाद भी सूचना नहीं मिल पा रही है। ऐसा ही एक मामला उपमंडल के गांव शाह-चौखा का प्रकाश में आया है। जहां पर गांव के 2 लोगों ने गांव के सरपंच द्वारा कराए गए विकास कार्यों की सूचना के लिए 6 माह पहले आवेदन किया था, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही व सरपंच से मिलीभगत के चलते अभी तक सूचना नहीं मिल पाई है। राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील करने के बाद भी लोगों को सूचना नहीं मिल पा रही है। जल्द सूचना ना मिले पर लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।
 
शाह-चौखा निवासी मोहम्मद रफीक, हमीद व याकुब ने बताया कि उन्होंने करीब 6 माह पहले गांव के सरपंच सरफराज द्वारा गांव में पीआरआई व एचआरडीएफ, गांव में पंचायत द्वारा लगाए गए हैडपंपों सहित विभिन्न योजनाओं के तहत कराए गए विकास कार्यों की जानकारी के लिए खंड पंचायत अधिकारी से सूचना मांगी थी। सूचना ना मिलने पर उन्होने जिला पंचायत अधिकारी मांगी लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी उन्हें सूचना नहीं दी गई है। जिससे साफ पता चलता है कि गांव में कराए गए विकास कार्यों में सरपंच द्वारा जमकर धांधली की गई है। जिसको छुपाने के लिए सरपंच द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर जानकारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर जानकारी नहीं दिए जाने पर उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त के पास भी अपील की है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें अभी तक मांगी गई सूचना नहीं मिल पाई है। गांव में विकास कार्यों के नाम पर की जा रही धांधली को लेकर कई बार शिकायत भी की गई है, लेकिन मिलीभगत व राजनीतिक सरक्षण के चलते सरपंच के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। 
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निश्चित तौर पर आरटीआई कानून के तहत आवेदक को जानकारी दी जाएगी, अगर इसमे कोई सरपंच या अधिकारी लापरवाही बरत रहा है तो उसके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अशोक शर्मा, उपायुक्त नूंह।

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