फुल कोर्ट बुलाने की मांग की
नई दिल्ली : देश की सर्वोच्च अदालत में जजों के बीच का विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा है. आज फिर मीडिया में चर्चा जोरों पर है कि सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन लोकुर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखा है. उक्त पत्र के माध्यम से दोनों जजों ने फुल कोर्ट बुलाने की मांग की है. पत्र में दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट के भविष्य पर और इन हाउस मैकेनिज्म पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट बुलाने की मांग पर बल दिया है.
खबर के अनुसार दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट के सभी 25 जजों की बैठक बुलाने की मांग की है. हलाकि इस पत्र का जवाब अभी तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया में नहीं दिया है. अब तक की परंपरा के अनुसार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की तरफ से सभी जजों की फुल बेंच बुलाने की स्थिति केबल न्यायपालिका से जुड़े मामलों को ले कर ही रही है.
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट में प्रशासनिक कामकाज को लेकर नाराजगी जताई थी और सांकेतिक रूप से कुछ अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया था. हालांकि उन्होंने किन्ही का नाम लिए बिना कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है और इससे लोकतंत्र को खतरा है . इस घटना ने देश के विपक्षी दलों को भी एक राजनीतिक हथकंडा दे दिया और उन्होंने सात विपक्षी दलों को गोलबंद कर 70 सांसदों के हस्ताक्षरयुक्त महाभियोग का नोटिस चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा के सभापति एवं देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपा. हालांकि राज्यसभा के सभापति ने महाभियोग का नोटिस खारिज कर दिया है . लेकिन आज फिर सुप्रीम कोर्ट के ही दो वरिष्ठ जजों द्वारा दोबारा से कुछ इस तरह के मुद्दों को पत्र के माध्यम से उछालना और मीडिया में इसका लीक होना अपने आप में संदेह पैदा करने वाला है. इससे सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को लगातार नुकसान पहुंचाने की स्थिति पैदा हो रही है.