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पटना : नये साल में बिहार के मुख्य सचिव अंजनी सिंह और डीजीपी पी के ठाकुर सहित कई आलाअधिकारी सेवानिवृत हो रहे हैं। अंजनी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पसंदीदा अधिकारियों में रहे हैं लेकिन अगले साल 28 फरवरी को वो सेवानिवृत हो रहे हैं,
ऐसे में मुख्य सचिव को लेकर नीतीश सरकार में माथापच्ची शुरु हो गयी है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये अधिकारी से लेकर बिहार सरकार में मुख्य सचिव के रैंक में काम कर रहे कई अधिकारी रेस में हैं। बिहार में पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी पीके ठाकुर भी 28 फरवरी को सेवानिवृति हो रहे हैं।
ऐसे में नये डीजीपी की भी तालाश हो रही है। डीजी रैंक के कई अधिकारी इस पद के लिए रेस में है। बिहार सरकार के जो तीन प्रमुख अधिकारी रिटायरमेंट की ओर हैं। उनमें मुख्य सचिव अंजनी सिंह सीएम नीतीश के काफी चेहते अधिकारियों में रहे हैं।
वो शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से लेकर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और बिहार के मुख्य सचिव पर पहुंचे और नीतीश कुमार के लिए हमेशा यश मैन की भूमिका में ही रहे। अब अगले साल 28 फरवरी को वो सेवानिवृत हो रहे हैं।
‘मुख्य सचिव’ पद के दावेदार
मुख्य सचिव पद के लिए भी बिहार में माथा पच्ची भी शुरु हो गयी है। कई नाम इस रेस में हैं। सीके मिश्रा, दीपक कुमार जैसे अधिकारी की विशेष चर्चा है। फिलहाल ये दोनों अधिकारी केंद्र सरकार की सेवा में हैं। मुख्यमंत्री दोनों अधिकारी पहले भी बिहार लौटने के लिए कह चुके हैं, इसके साथ अरुण कुमार सिंह के नाम की भी चर्चा हो रही है।
साथ ही विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, गृह सचिव आमिर सुबहानी के अलावा अमिताभ वर्मा, रविकांत जैसे अधिकारी मुख्य सचिव की रैंक में हैं। शिशिर सिन्हा अभी विकास आयुक्त हैं और जुलाई में सेवानिवृत हो रहे हैं तो वहीं आमिर सुबहानी का कार्यकाल अभी लंबा है इसलिए दोनों पर सहमति मुश्किल है।
‘डीजीपी’ के लिये चेहरे
बिहार के डीजीपी पीके ठाकुर भी अगले साल 28 फरवरी को सेवानिवृत हो रहे हैं। डीजी रैंक में कई अधिकारी नये डीजीपी की रेस में हैं। इनमें रविन्द्र कुमार, सुनील कुमार, गुप्तेश्वर पांडेय, राजेश रंजन मुख्य रूप से है लेकिन रविन्द्र कुमार की चर्चा सबसे ज्यादा है।
नीतीश निश्चित तौर पर ऐसे अधिकारी को ही जिम्मेवारी देंगे जो यस मैैन के साथ-साथ विश्वास पात्र भी हो, क्योंकि 2019 का चुनाव भी देखना है। बिहार में ऐसे भी आईएएस अधिकारियों की काफी कमी है एक अधिकारी के पास कई विभाग की जिम्मेवारी है ऐसे में अगले साल कई सीनियर अधिकारियों के सेवानिवृत होने से मुश्किलें और भी बढ़ेंगी, लेकिन सबकी निगाहें निश्चित रूप से बिहार के नए मुख्यसचिव और डीजीपी पर हैं।