अब 2000 रू. से कम के लेन-देन के लिए नहीं देना होगा शुल्क

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डेबिट कार्ड/भीम यूपीआई/एईपीएस से लेनदेन पर मर्चेंट डिस्‍काउंट रेट का मामला 

अगले दो साल तक सरकार देगी बैंकों को एमडीआर शुल्क 

मोदी मंत्रिमंडल ने दी प्रस्ताव को मंजूरी 

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 2000 रूपये मूल्‍य तक के सभी डेबिट कार्ड/भीम यूपीआई/आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) लेन-देन पर लागू मर्चेंट डिस्‍काउंट रेट (एमडीआर) दो वर्ष की अवधि के लिए सरकार द्वारा वहन करने की मंजूरी दे दी है। यह 01 जनवरी, 2018 से प्रभावी होगा और इसकी बैंकों को अदायगी की जाएगी।

वित्‍तीय सेवाओं के विभाग के सचिव, इलेक्‍ट्रोनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव और भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के सीईओ को मिलाकर बनाई गई एक समिति ऐसे लेन-देन के औद्योगिक खर्च ढांचे को देखेगी, जिससे अदायगी के स्‍तरों का पता लगाने का आधार तैयार किया जाएगा।

इस मंजूरी के परिणाम स्‍वरूप 2000 रूपये से कम मूल्‍य के किसी भी लेन-देन के लिए उपभोक्‍ता और व्‍यापारी को एमडीआर के रूप में इस तरह के अतिरिक्‍त बोझ से परेशान नहीं होना पड़ेगा। इससे इस प्रकार के लेन-देन के लिए डिजिटल भुगतान मोड को लोग अधिक अपनाएंगे। चूंकि इस तरह के लेन-देन का प्रतिशत काफी अधिक है, इससे कम नकदी की अर्थव्‍यवस्‍था की दिशा में बढ़ने में मदद मिलेगी।

अनुमान लगाया गया है कि 2000 रूपये से कम मूल्‍य वाले लेन-देन के संबंध में बैंकों को वित्‍त वर्ष 2018-19 में 630 करोड़ रूपये और वित्‍त वर्ष 2019-20 में 883 करोड़ रूपये की एमडीआर अदायगी की जाएगी।

बिक्री के व्‍यापारी पीओएस पर जब भुगतान किया जाता है, एमडीआर की अदायगी व्‍यापारी द्वारा बैंक को की जाती है, इसे देखते हुए अनेक लोग डेबिट कार्ड रखने के बजाय नकद भुगतान करते है। इसी प्रकार से भीम यूपीआई प्‍लेटफॉर्म और एईपीएस के जरिये व्‍यापारियों को किये गये भुगतान पर एमडीआर चार्ज किया जाता है।

 

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Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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