सुभाष चौधरी/ प्रधान संपादक
नई दिल्ली : पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केबिनेट की बैठक में लगभग दो लाख करोड़ से अधिक का निवेश सड़क परियोजनाओं में करने के निर्णय का सर्वाधिक फायदा आने वाले समय में ऊतर प्रदेश और बिहार राज्य को होने वाला है. खबर है कि केंद्र सरकार एक ऐसा हाईवे बनाने जा रही है जो सीधे तौर पर दिल्ली से बिहार को जोड़ेगा. इसके तैयार होने के बाद देश की राजधानी दिल्ली से पटना पहुंचने में केवल 11 घंटे ही लगेंगे । अगर ऐसा संभव हो पाया तो इसका सीधा असर बिहार और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की आवाजाही व व्यवसाय पर पडेगा. इसके किनारे इंडस्ट्रियल कोरिडोर भी तैयार किया जा सकेगा जिससे औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली से पटना की दूरी लगभग 1,100 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से पटना पहुंचने में 18 घंटे से अधिक समय लग जाते हैं। सरकार का मानना है कि नॉएडा -यमुना एक्सप्रेस-वे के तैयार होने के बाद इस यात्रा के समय में कमी आई और योजना है कि इस समय को और 7 घंटे कम किया जाए. सरकार की योजना है कि दिल्ली-मुंबई इंड्रस्ट्रियल कॉरिडोर की तरह एक्सप्रेस-वे का जाल बिछा कर दिल्ली से पटना के बीच एक नया इकॉनमिक कॉरिडोर बनाया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि सदका मार्ग से दिल्ली से पटना 11 घंटे में पहुंचने के लिए 4 नए बड़े प्रॉजेक्ट्स पर काम करना होगा।
एन एच के अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि इसके लिए प्रथम चरण के रूप में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काम मार्च 2018 में शुरू होगा। इसके लिए लगभग 75 % भूमि का अधिग्रहण किया जा चूका है। यह प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 30 माह की अवधि निर्धारित की गयी है. बताया जाता है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ने बिहार सरकार को एक प्रस्ताव भेज कर कहा है कि अगर वह भूमि उपलब्ध कराते हैं तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सीमा पटना तक बढ़ाई जा सकती है. इस प्रस्तावित पटना एक्सप्रेस-वे पर 2000 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान लगाया गया है. पटना से बक्सर के बीच प्रस्तावित चार-लेन हाइवे निर्माण की योजना को यूपी में गाजीपुर तक एक्सटेंड कर इस महत्वाकांक्षी योजना को पटना तक विस्तार दिया जा सकता है.
माना जा रहा है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को पटना से जोड़ने के लिए एनएचआई द्वारा प्रस्तावित पटना एक्सप्रेस-वे लखनऊ और पटना के बीच का समय आधा कर देगा। इसके लिए लखनऊ में एक आउटर रिंग रोड के निर्माण का भी प्रस्ताव है जिससे 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ना संभव हो सकेगा। आउटर रिंग रोड से लखनऊ शहर के बाहर से ही वाहन पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पहुंच जायेंगे। साथ ही 135 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने की योजना है जिससे दिल्ली तक इसकी सीधी पहुँच हो जायेगी.