रजिया पराशर
30 सितम्बर 2016 शुक्रवार को सर्व पितृ अमावस्या है। जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष। जिस प्रकार चारागाह में सैंकड़ों गौओं में छिपी हुई अपनी माँ को बछड़ा ढूँढ लेता है उसी प्रकार श्राद्धकर्म में दिए गये पदार्थ को मंत्र वहाँ पर पहुँचा देता है जहाँ लक्षित जीव अवस्थित रहता है। पितरों के नाम, गोत्र और मंत्र श्राद्ध में दिये गये अन्न को उसके पास ले जाते हैं, चाहे वे सैंकड़ों योनियों में क्यों न गये हों। श्राद्ध के अन्नादि से उनकी तृप्ति होती है। परमेष्ठी ब्रह्मा ने इसी प्रकार के श्राद्ध की मर्यादा स्थिर की है।” सर्व पितृ अमावस्या को पितरों भूमि पर आते है। उस दिन अवश्य श्राद्ध करना चहिये।
उस दिन श्राद्ध नही करते है तो पितरों नाराज होकर चले जाते है। आप यदि उस दिन श्राद्ध करने में सक्षम् नही है तो उस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर के भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करे और मंत्र :
“ॐ नमो भगवते वासुदेव”एवं ” ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधा देव्यै स्वाहा”
की १-१ माला करके सूर्यनारायण भगवान को जल का अर्घ्य दे। और सूर्य भगवान को बगल ऊँची करके बोले की मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ।
वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करें। मैंने अपनी दोनों बाहें आकाश में उठा रखी हैं।और जिनका श्राद्ध किया जाये उन माता, पिता, पति, पत्नी, संबंधी आदि का स्मरण करके उन्हें याद दिलायें किः “आप देह नहीं हो। आपकी देह तो समाप्त हो चुकी है, किंतु आप विद्यमान हो।
आप अगर आत्मा हो.. शाश्वत हो… चैतन्य हो। अपने शाश्वत स्वरूप को निहार कर हे पितृ आत्माओं ! आप भी परमात्ममय हो जाओ। हे पितरात्माओं ! हे पुण्यात्माओं !अपने परमात्म-स्वभाव का स्मऱण करके जन्म मृत्यु के चक्र से सदा-सदा के लिए मुक्त हो जाओ।
हे पितृ आत्माओ !
आपको हमारे प्रणाम हैं। हम भी नश्वर देह के मोह से सावधान होकर अपने शाश्वत् परमात्म-स्वभाव में जल्दी जागें…. परमात्मा एवं परमात्म-प्राप्त महापुरुषों के आशीर्वाद आप पर हम पर बरसते रहें…. ॐ….ॐ…..ॐ….” पितृपक्ष के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों मनुष्य को अपना आचरण शुद्ध और सात्विक रखना चाहिए। इसलिए भोजन में मांस-मछली, मदिरा और तामसिक पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।
क्योंकि आप जो भोजन करते हैं उनमें से एक अंश पितरों को भी प्राप्त होता है। इन दिनों मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और काम-वासना से बचें। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि जिनके पितर नाराज हो जाते हैं उनकी ग्रह दशा अच्छी भी हो तब भी उनके जीवन में हर पल परेशानी बनी रहती है।
श्राद्ध पक्ष में सयंम-नियम पालन करे, नही तो पितर देंगे शाप…
श्राद्ध पक्ष में गाय को गुड़ के साथ रोटी खिलाएं और कुत्ते, बिल्ली और कौओं को भी आहार दें। इससे पितरों का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।