नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश में एससी (अनुसूचित जाति) एवं एसटी (अनुसूचित जनजाति) उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए संबंधित परितंत्र को मजबूत करने हेतु सामूहिक एवं समन्वित कदम उठाने की जरूरत है। श्री नायडू आज यहां केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एससी-एसटी हब सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश तभी विकसित होगा जब समाज के वंचित एवं अल्प सुविधा प्राप्त तबकों का उन्नयन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के लिए हमें एकीकृत एवं बहुआयामी विकास एजेंडे की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के विकास के लिए उद्योगों की स्थापना अत्यंत जरूरी है और इससे बेरोजगारी की समस्या सुलझेगी तथा आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि देश के समग्र विकास के लिए उद्योग एवं कृषि दो महत्वपूर्ण कारक हैं।
उपराष्ट्रपति ने आज आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन, स्टैंड-अप, स्टार्ट-अप, इन्क्यूबेशन तथा नवाचार का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें नई गति प्रदान करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मेक इन इंडिया, कौशल भारत, डिजिटल इंडिया एवं स्वच्छ भारत जैसे सभी कार्यक्रमों को प्रत्येक तबके तक पहुंचना चाहिए तथा प्रत्येक को इसका लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षमता निर्माण महत्वपूर्ण है, ऋणों की उपलब्धता अहम है और तकनीकी उन्नयन भी महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र (एमएसएमइ) भारतीय अर्थव्यवस्था की चार दीवारी है तथा कृषि के बाद सबसे बड़ा नियोक्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी यह क्षेत्र अहम योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर मेक इन इंडिया के जरिए विनिर्माण क्षेत्र का योगदान वर्ष 2022 तक बढ़कर जीडीपी का 25 प्रतिशत हो जाने की परिकल्पना की गई है, वहीं दूसरी ओर इस लक्ष्य की प्राप्ति में एमएसएमई क्षेत्र से अहम भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाएगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौशल उन्नयन एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि एससी/एसटी उद्यमियों का समग्र विकास संभव हो सके। उन्होंने 2000 से ज्यादा उद्यमियों का कौशल बढ़ाने हेतु सेक्टर कौशल परिषदों के साथ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए राष्ट्रीय एससी/एसटी हब का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एससी/एसटी हब के उद्देश्यों को समर्थन देने में संगठनों और इन्क्यूबेटरों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक संगठन को अपने-अपने क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और उद्यमियों का मार्ग दर्शन करने के लिए निश्चित तौर पर आवश्यक सहायता देनी चाहिए।
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ समावेशिता के विचार की उत्पत्ति है। उन्होंने एससी-एसटी समुदाय के बीच उद्यमिता सुनिश्चित करने के लिए अपने मंत्रालय की ओर से एमएसएमई मंत्रालय को पूर्ण सहयोग देने का भी वादा किया।
जनजातीय कार्य मंत्री जुआल ओराम ने कहा कि वह इस बात से अत्यंत प्रसन्न हैं कि सरकार ने देश के एसटी समुदाय के उन्नयन के लिए एनएसएसएच जैसी अनोखी पहल की है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सभी एमएसएमई को बड़े उद्यमों से प्रतिस्पर्धा के कारण अपने उत्पादों के विपणन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि सार्वजनिक खरीद नीति एक स्वागत योग्य कदम है।
एमएसएमई मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरिराज सिंह ने प्रत्येक व्यक्ति को उनकी मौजूदगी के लिए धन्यवाद कहा और इस बात का उल्लेख किया कि यदि एससी-एसटी उद्यमियों को 5,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिल सकें तो यह इस तरह के उद्यमियों के लिए काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जिस दिन रोजगार मांगने वाले रोजगार देने लगेंगे, उस दिन प्रत्येक व्यक्ति का सपना साकार हो जाएगा।
एमएसएमई मंत्रालय में सचिव डॉ. अरुण कुमार पांडा ने इस बात पर रोशनी डाली कि यह कार्यक्रम संपर्क सुनिश्चित करने और इस तरह प्रत्येक व्यक्ति को कनेक्ट करने तथा हर व्यक्ति को एक साझा प्लेटफॉर्म पर लाने का माध्यम है। संयुक्त सचिव, एसएमई ने हब द्वारा की गई पहलों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी और इसके साथ ही अब तक हुई प्रगति पर रोशनी डाली।
इस सम्मेलन से उदयोग संगठनों एवं इन्क्यूबेटरों की विभिन्न अंतर्दृष्टि सामने आई जिससे सार्वजनिक खरीद नीति के अधिदेश को साकार करने के मार्ग में मौजूद कमी को समझने में मदद मिली। इस सम्मेलन के दौरान एससी/एसटी उद्यमियों के स्वामित्व वाले एमएसई के समग्र विकास के लिए अभिनव रणनीतियां पेश की गईं। इस दौरान आयोजित परिचर्चा अत्यंत सार्थक साबित हुई। इससे राष्ट्रीय एससी/एसटी हब के उद्देश्यों की पूर्ति में काफी मदद मिली।
150 से भी अधिक उद्योग संगठनों और इन्क्यूबेटरों के साथ संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया जिसमें 400 से अधिक प्रतिभागियों का प्रतिनिधित्व रहा। इस दौरान एनएसएसएच के साथ सहयोग करने और वर्तमान एससी/एसटी उद्यमियों की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इस दौरान बाजार पहुंच, क्षमता निर्माण, चुनौतियों का सामना करने, तकनीकी उन्नयन इत्यादि से संबंधित अनेक अभिनव सुझाव दिये गये। इस सत्र के दौरान हब के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रत्येक हितधारक द्वारा निभायी जाने वाली भूमिका के साथ-साथ भावी कार्य योजना पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इसके अलावा, ‘एनएसएसएच’ की क्षमता निर्माण पहलों के तहत एससी-एसटी उद्यमियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तीन सेक्टर कौशल परिषदों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये।