एनसीईआरटी का राष्ट्रीय योग ओलंपियाड-2017 सम्पन्न
नाजुक उम्र में ही योग की आधारशिला रखें : उपेन्द्र कुशवाहा
गुजरात को तीन , दिल्ली को चार तमिलनाडू , कर्णाटक एवं मणिपुर को एक एक पदक मिले
नई दिल्ली : तीन दिन का राष्ट्रीय योग ओलंपियाड मंगलवार को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने राज्यों के विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया। एस व्यास विश्वविद्यालय बेंगलुरु के कुलपति डॉ. एच. आर. नागेन्द्र सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। योग ओलंपियाड में देश के विभिन्न राज्यों के 450 विद्यार्थियों ने भाग लिया. इसमें हरियाणा के बच्चों ने भी अपनी तेजस्विता का परिचय देते हुए एक स्वर्ण पदक और एक कस्य पदक अपने नाम कर लिया. इस टीम में गौरव , सागर और अर्जुन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सैक्टर-4/7 गुरुग्राम से थे और चौथा खिलाड़ी अंकित सोनीपत से था।
योग ओलंपियाड में अव्वल आये बच्चों को कुल चार श्रेणियों में पुरस्कार दिए गये । अपर प्राइमरी (लड़कियां) श्रेणी में गुजरात टीम को स्वर्ण पदक, दिल्ली को रजत पदक और हरियाणा को कांस्य पदक प्राप्त हुआ। अपर प्राइमरी (लड़के) की श्रेणी में दिल्ली की टीम को स्वर्ण पदक मिला, गुजरात टीम को रजत और तमिलनाडु की टीम को कांस्य पदक मिला। माध्यमिक (लड़कियां)की श्रेणी में स्वर्ण पदक दिल्ली की टीम को प्राप्त हुआ, गुजरात टीम को रजत पदक जबकि कर्नाटक की टीम को कांस्य पदक हासिल हुआ। माध्यमिक (लड़के) की श्रेणी में हरियाणा की टीम को स्वर्ण पदक मिला, दिल्ली की टीम को रजत और मणिपुर की टीम ने कांस्य पदक हासिल किया.
इस अवसर पर शिक्षकों तथा अभिभावकों को संबोधित करते हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि बच्चों की वर्तमान अवस्था खुशी और आनंद की है, और उन्हें किसी तरह का तानव नहीं है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि बच्चों का जीवन हमेशा तनाव मुक्त रहेगा। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क और शरीर से तभी स्वस्थ्य रहा जा सकता है जब शरीर सक्रिय हो और मन शांत हो। इन दोनों के बीच संतुलन को ही योग कहते हैं।
यदि इस नाजुक उम्र में योग की आधारशिला रखी जाती है तो योग की आदत जीवनभर बनी रहेगी। उन्होंने पदक विजेता बच्चों को बधाई दी। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने सुझाव दिया कि इस ओलंपियाड को स्पर्धा नहीं समझा जाना चाहिए, बल्कि योग को दैनिक जीवन के हिस्से के रूप में अपनाना चाहिए। श्री कुशवाहा ने कहा कि योग से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है और परिणामस्वरूप बेहतर तरीके से ध्यान केन्द्रित होता है। जीवन में किसी भी तरह की सफलता के लिए ध्यान केन्द्रित होना आवश्यक है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि पहले योग को संतो से जुड़ा हुआ समझा जाता था, लेकिन अब योग को इस तरह प्रोत्साहित किया जा रहा है कि प्रत्येक बच्चा इसके प्रति जागरुक हो रहा है। इसे न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है। विश्व ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति दी है। श्री कुशवाहा ने इस बारे में पहल करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।
श्री कुशवाहा ने योग के प्रति डॉ. नागेन्द्र की योगदान को देखते हुए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि व्यास विश्वविद्यालय ने योग पर अनेक शोधकार्य शुरू कि हैं। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में योग को शामिल करने के एनसीईआरटी के प्रयासों की सराहना की।
अपने संबोधन में डॉ. एच.आर. नागेन्द्र ने कहा कि योग व्यक्ति को स्वस्थ रखता है। राष्ट्रीय योग ओलंपियाड में देश के 143 जिलों के 20,000 बच्चों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास करते समय बच्चों को तनाव महसूस नहीं करना चाहिए। बच्चों के चेहरे पर खुशी होनी चाहिए और मैंने 40-50 बच्चों को ही मुस्कुराते हुए देखा। पिरामिड आकार बनाते समय लड़कियों का ध्यान अधिक केन्द्रित रहा और लड़को की शरीरिक शक्ति का प्रदर्शन हुआ। उन्होंने कहा कि बच्चे बहुत नाजुक उम्र में मादक पदार्थों के शिकार हो जाते है और उनका जीवन बर्बाद हो जाता है लेकिन योग से मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। डॉ. नागेन्द्र ने बच्चों में योग के प्रति जागरुकता लाने के लिए एनसीईआरटी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों का झुकाव मादक द्रवों की ओर नहीं होगा और बच्चें ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे और स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।
एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. ऋषिकेश सेनापति ने बताया कि एनसीईआरटी ने दक्षिण कोरिया की एकेडमी ऑफ कोरिया के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। यह सहमति ज्ञापन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शरीरिक शिक्षा और योग को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग के बारे में है।