सूचना मिलते ही किया जाता है जिले को अलर्ट
तूड़ा जलाने वालों पर हो सकती है कार्रवाई
दंड के कड़े प्रावधान
चण्डीगढ़, 20 मई : हरियाणा में फसलों के अवशेष जलाए जाने को लेकर अब सैटेलाईट की मदद से डाटा एकत्रित किया जा रहा है। फसलों के अवशेष की जांच और सजा में बढ़ोतरी के मद्देनजर विज्ञान और तकनीक विभाग के अन्तर्गत हिसार स्थित हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केन्द्र (हरसक) ने जमीनी स्तर पर तुरंत कार्यवाही की सुविधा के लिए दिन-प्रतिदिन आधार पर फसलों के अवशेष जलाने के बिंदुओं का सैटेलाइट डाटा मुहैया करवाना शुरू कर दिया है. वर्तमान मौसम के दौरान फसलों के अवशेष में आग जलाने की अलर्ट प्रणाली को भी संचालित किया जा चुका है।
इस सम्बन्ध में खुलासा करते हुए आज यहां विज्ञान एवं तकनीक विभाग के प्रधान सचिव डा अशोक खेमका ने बताया कि हरसक दैनिक आधार पर आग जलने के बिंदुओं को चिह्नित करने के लिए एनआरएससी, आईएसआरओ, हैदराबाद के माध्यम से यूएसए के मोडीज और सुओमी सैटेलाइट द्वारा उपलब्ध डाटा का प्रयोग कर रहा है। यद्यपि राज्य सरकार ने फसलों के अवशेष को जलाना कानून की उल्लंघना बताया है, जबकि समय पर जानकारी न मिलने से सजा दर बहुत कम है।
सैटेलाइट के माध्यम से दैनिक आधार पर फसलों के अवशेष जलाने की जगह की जानकारी प्राप्त होते ही इसे सीधे राज्य और जिला स्तर के विभिन्न अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से भेजा जा रहा है, ताकि वे तुरंत कार्यवाही कर सकेें। डा० खेमका ने बताया कि फसल जलने का मानचित्र आग जलने की जगह के बारे में बताता है और यह लेटीट्यूट और लोंगीट्यड की जानकारी देता है और कार्यवाही करने वाली एजेंसी को सही जगह पहुंचने में सक्षम बनाता है।
यद्यपि यह एक कोर्स रेजोल्यूशन डाटा है, परंतु यह दैनिक आधार पर बदलता है तथा दिन-प्रतिदिन के आग जलने के मुख्य बिंदुओं को चिह्नित कर सकता है। इन सैटेलाइट सेंसरों का रैजोल्यूशन लगभग 250&250 एम है और यह 6.25 एचए से कम की जगह में फसल के अवशेष जलने को नहीं दिखा सकता। उन्होंने बताया कि फसलों के अवशेष जलाए जाने की सही जगह का पता लगाया जा सकता है, परंतु इन सैंसरों के माध्यम से छोटे खेतों की जानकारी हासिल नहीं की जा सकती।
डा० खेमका ने बताया कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में जुताई मौसम की शुरूआत से ही सभी जिलों में आग लगाए जाने की जगहों की जानकारी हासिल करना हरसक के वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि वर्तमान मौसम के दौरान हरसक ने पूरे राज्य में लगभग 4300 मुख्य आग जलने के बिंदुओं की जानकारी हासिल की जोकि धान की जुताई के मौसम के दौरान लगभग 13,000 आग जलने के बिंदुओं से बहुत कम है।
उन्होंने बताया कि सैटेलाइट डाटा में करनाल जिला के 600 से ज्यादा फसलों के अवशेष जलाने के बिंदुओं को रिकार्ड किया गया है, जबकि सोनीपत में 534, जींद में 501, सिरसा में 335, फतेहाबाद में 324, पानीपत में 319, कैथल में 267, रोहतक में 256, हिसार में 240 और झज्जर में 211 स्थानों का वर्तमान मौसम के दौरान रिकार्ड किया गया है। उन्होंने बताया कि अम्बाला, भिवानी और कुरुक्षेत्र जिलों में लगभग 100 से 200 स्थानों पर, जबकि अन्य जिलों में 100 से कम स्थानों पर फसलों के अवशेष जलाने का पता लगाया गया है। उन्होंने बताया कि 24 मार्च, 2017 से 14 अप्रैल, 2017 के बीच मुख्य फसलों के अवशेष जलाने में राज्य में 100 से अधिक स्थानों की औसत आई है। डा० खेमका ने बताया कि एकल दिवस में 2 मई, 2017 को सबसे अधिक 658 स्थानों और 5 मई, 2017 को 602 स्थानों पर फसलों के अवशेष जलाने की रिपोर्ट आई है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में रबी और खरीफ मौसम के दौरान पर्यावरण समस्याओं के कारण फसलों के अवशेष जलाने की बुराई उभरी थी।