117 आरोपी सबूतों व गवाहों के अभाव में बरी
508 पृष्ठ का आया फैसला : सजा पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस होगी 17 को
गुडग़ांव (अशोक): बहुचर्चित मारुति सुजूकी प्रकरण में शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने 508 पृष्ठ के फैसले में जहां 148 आरोपी श्रमिकों में से 31 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उनकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत आगामी 17 मार्च को दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद दोषियों की सजा पर फैसला सुनाएगी। अदालत परिसर में आरोपियों व उनके परिजनों का तातां लगा हुआ था। हर कोई इस प्रकरण में अदालत के फैसले को लेकर बेचैन था कि अदालत क्या फैसला देगी? अदालत खुलने के बाद से ही फैसले की प्रतिक्षा की जा रही थी। 12 बजे के करीब न्यायाधीश आरपी गोयल ने फैसला सुनाना शुरु किया। सबसे पहले उन्होंने 117 आरोपियों को रिहा करने की घोषणा की। हर आरोपी को न्यायाधीश के समक्ष अदालत में पुलिस द्वारा पेश किया गया। न्यायाधीश ने स्वयं रिहा किए गए आरोपियों को बताया कि उनके खिलाफ कोई सबूत व गवाह नहीं मिले हैं। करीब 90 आरोपियों के नाम एफआईआर में भी नहीं हैं। गवाहों ने उनकी पहचान भी अदालत में नहीं की है। कुछ आरोपियों की पहचान गवाहों ने अदालत में की भी थी तो इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं मिली। इस लिए उन्हें सभी आरोपों से मुक्त करते हुए बरी किया जाता है।
13 आरोपियों को माना हत्या का दोषी
अभियोजन पक्ष के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी लाल सिंह यादव व सरकारी वकील अनुराग हुड्डा ने जानकारी देते हुए बताया कि अदालत ने 13 आरोपियों को 18 जुलाई 2012 में आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजूकी कंपनी में घटित हुई घटना में एचआर हैड अवनीश देव की मौत का जिम्मेदार मानते हुए उन्हें भादंस की धारा 302 के तहत दोषी करार दे दिया है। इनमें मारुति सुजूकी श्रमिक यूनियन के सभी 12 पदाधिकारी व श्रमिक जियालाल शामिल हैं। जियालाल की ही शॉप फ्लोर पर सुपरवाईजर से कहासुनी हुई थी, जिसने झगड़े का रुप धारण कर लिया था और यह दुखद घटना घटित हो गई थी। इन दोषियों में राममेहर, संदीप ढिल्लों, रामविलास, सरबजीत सिंह, पवन कुमार, सोहन कुमार, प्रदीप गर्जर, अजमेर सिंह, सुरेश कुमार, अमरजीत, धनराज भामी व योगेश कुमार श्रमिक यूनियन के पदाधिकारी थे। जियालाल को भी दोषी करार दिया गया है।
18 आरोपियों को दिया मारपीट के आरोप में दोषी करार
लाल सिंह यादव व अनुराग हुड्डा ने बताया कि 18 आरोपियों को मारपीट आदि की भादंस की धारा 325 व 452 के तहत अदालत ने दोषी करार दिया है, जिसमें दोषी विजयपाल, आनंद, विशाल भारत, सुनील कुमार, प्रवीण कुमार, किशन लांगड़ा, वीरेंद्र सिंह, रामसबद, इकबाल सिंह, हरमिंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, नवीन, शिवाजी, सुरेंद्र पाल, प्रदीप कुमार, जोगेंद्र सिंह, नवीन पुत्र बलवान व प्रदीप शामिल हैं।
117 आरोपियों को किया बरी
अनुराग हुड्डा ने बताया कि 117 आरोपियों को सबूतों व गवाहों के अभाव में अदालत ने उन पर लगे सभी आरोपों से मुक्त करते हुए बरी कर दिया है, जिनमें राकेश कुमार, कमल सिंह, महावीर, विनोद, राजेंद्र, सोनू, मनोज कुमार, अनिल कुमार, यादवेंद्र कुमार, करण, गुलशन, नरेंद्र, गोकुल चंद, सतीश, विक्रम, प्रमोद कुमार, संजय, अशोक कुमार, बंटी कुमार, सुनील, वीरेंद्र, मनोज कुमार, जितेंद्र, दलविंद्र, चंद्रसेन, राजेंद्र, देवेंद्र, सुनील, कर्मवीर, मनीष, सुरेश, गुरजीत, नरेंद्र, धर्मपुत्र, सुशील, संदीप, हिमांशु, रमन, कंवरजीत, अमरजीत, राजकुमार, सुनील पुत्र वीरभान, राजकिशन, रमेश, रोहित, भोलानाथ, देशराज, ललित वर्मा, रवि शंकर, गजेंद्र, अनूप कुमार, मृत्युंजय, ओमप्रकाश, जितेंद्र कुमार, सुनील सिंह, बालेंद्र, सुनील पुत्र जगदीश, प्रतेश, दिनेश, पंकज, चंदन ठाकुर, राहुल रतन, रविंद्र, वासुदेव, गौरव गुप्ता, बृजेश, दीपक, सुरेश, कुलदीप, विशाल, बृजेश पुत्र कैलाश, अमित, संदीप, राजवीर, नीतीश शर्मा, रोहताश, रणजीत, भरतसिंह, विजेंद्र, राजीव, नीरज, गुरमेज, अनुपम, पवन मिश्रा, जितेंद्र, पवन कुमार, रविंद्र कुमार, सुनील कुमार, पंकज, सुरेंद्र कुमार, कुलदीप, सन्नी, प्रदीप, प्रेमपाल, संदीप पुत्र रामकिशन, विजेंद्र, ईश्वरलाल, संजीव कुमार, सतबीर, सतीश कुमार, सुमित नैन, वीर अजय, चिरंजीलाल, राजीव कुमार, नरेश, सोहनलाल, सुभाष, नरेंद्र, अमित नैन, विकास कुमार, कुलदीप कुमार, नरेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, विकास वर्मा, प्रदीप कुमार पुत्र शिवप्रसाद, नरेंद्र, इमरान खान शामिल हैं।
दोषियों के हुए बयान दर्ज
न्यायाधीश ने दोषियों के अधिवक्ताओं राजेंद्र पाठक, एसएस चौहान, राजकुमार, मोनू आदि से आग्रह किया कि वे दोषियों के बयान दर्ज करा दें, ताकि आगामी 17 मार्च को दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी जा सके और दोषियों की सजा मुकर्रर की जा सके। उक्त अधिवक्ताओं ने सभी 31 दोषियों के बयान अदालत में दर्ज कराए। दोषियों ने अपने बयानों में अदालत से गुहार लगाई कि वे युवावस्था में हैं। उनके सिवाय परिवार में कोई अन्य कमाने वाला व्यक्ति भी नहीं है। पूरे परिवार की उनके ऊपर ही जिम्मेदारी है। इसलिए उनकी सजा निश्चित करते समय उक्त स्थितियों को ध्यान में रखा जाए और दया दिखाते हुए उन्हें कम से कम सजा दी जाए।
अदालत के फैसले से 31 दोषियों के परिजन हुए निराश
अदालत ने जब 31 आरोपियों को दोषी करार दिया तो उनके परिजनों के चेहरों पर निराशा स्पष्ट झलक रही थी, जिन 13 दोषियों को हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया है, उनके परिजन अधिक परेशान दिखाई दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता डा. अंजू रावत नेगी का कहना है कि हत्या के आरोप में दोषियों को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और मारपीट के मामले में अदालत उन्हें उनकी जेल में काटी गई अवधि को पर्याप्त सजा मानते हुए अंडरगोन कर रिहा भी कर सकती है, लेकिन यह सब अदालत व अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है।