यूएनओ में बोली स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल : अलगाव को तोड़ना और तालमेल बनाना भारत सरकार का मूल मंत्र

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नई दिल्ली/न्यूयॉर्क। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने संयुक्त राष्ट्र में “रीवाइटलाइज़्ड मल्‍टीलैटरलिज्‍म: रीकमिटिंग टू एंडिंग एड्स टुगेदर”  (सभी आयामों को दुरुस्‍त करना: एड्स को पूरी तरह समाप्त करने का पुनः संकल्‍प) विषय पर एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन यूएनएड्स, ग्लोबल फंड और पीईपीएफएआर ने किया था।

अनुप्रिया सिंह पटेल ने अपने संबोधन में वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बने एचआईवी/एड्स को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को फिर से जाहिर की। उन्‍होंने एचआईवी/एड्स के खिलाफ चल रही लड़ाई में भारत की प्रगति और प्रमुख रणनीतियों को रेखांकित किया, जिसमें भारत सरकार की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (2021-2026) का 5वां चरण भी शामिल है। हाल ही में जारी भारत एचआईवी अनुमान 2023 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 25  लाख से अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित हैं, लेकिन ठोस प्रयासों के कारण, वयस्कों में एचआईवी का प्रसार 0.2 प्रतिशत पर है और अनुमानित वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण लगभग 66,400 हैं। वर्ष 2010 से अब तक नये वार्षिक एचआईवी संक्रमणों में 44 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक कमी दर 39 प्रतिशत से अधिक है।

श्रीमती पटेल ने कहा, “भारत ने अभिनव कार्यक्रमों और मजबूत साझेदारी के माध्यम से एचआईवी/एड्स को समाप्‍त करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है।” उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में रेड रिबन क्लब और वार्षिक रेड रन मैराथन जैसी जन-जागरूकता गतिविधियों जैसे युवाओं को लक्षित करने वाली कई पहलों की ओर इशारा किया।

श्रीमती पटेल ने बताया कि भारत में सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक एचआईवी और सिफलिस परीक्षण कराया जाता है, जिसके तहत प्रतिवर्ष 3 करोड़ से अधिक निःशुल्क एचआईवी परीक्षण किए जाते हैं। उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, 17  लाख से अधिक लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के माध्यम से मुफ्त एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) प्राप्त कर रहे हैं।”

श्रीमती पटेल ने एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। देश वर्तमान में वैश्विक एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की 70 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करता है, जिससे जरूरतमंद देशों को किफायती दवाएं मिलना संभव हो रहा है। उन्‍होंने कहा, “हमें दुनिया भर में गुणवत्तापूर्ण उपचार सुलभ कराकर एचआईवी/एड्स को समाप्‍त करने की दिशा में योगदान देने पर गर्व है।”

अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा कि “एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017 के माध्यम से एचआईवी से जुड़े मिथक को दूर करने के प्रयासों को बढ़ावा दिया गया है। इस अधिनियम के अनुसार सभी राज्यों को एड्स से संबंधित शिकायतों से निपटने और एचआईवी रोकथाम नीतियों को बढ़ावा देने के लिए लोकपाल नियुक्त करना है। इसके अलावा, तपेदिक, वायरल हेपेटाइटिस और गैर-संचारी रोगों से निपटने के प्रयासों सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जोड़ने का भारत का दृष्टिकोण एचआईवी से पीड़ित लोगों में आई दूसरी बीमारियों को दूर करने में मदद कर रहा है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने निरंतर वैश्विक सहयोग का आग्रह करते हुए अपने संबोधन का समापन किया।  उन्होंने कहा, ‘अलगाव को तोड़ना और तालमेल बनाना भारत सरकार का मूल मंत्र है। सहयोग के माध्यम से, हम एचआईवी/एड्स को समाप्‍त करने के प्रयास को मजबूत करेंगे और सभी के लिए एक स्वस्थ दुनिया का निर्माण करेंगे।’

भारत सरकार समावेशी रणनीतियों, साझेदारियों और नए बहुपक्षवाद के माध्यम से 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में एचआईवी/एड्स को समाप्त करने के अपने लक्ष्य पर अडिग है।

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