आर्थिक समीक्षा 2023-24 : प्रमुख बातें
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश की। आर्थिक समीक्षा की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
अध्याय 1 : आर्थिक स्थिति – स्थिरता निरंतर बरकरार है
- आर्थिक समीक्षा में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जोखिम काफी हद तक संतुलित हैं, यह भी सच्चाई है कि बाजार उम्मीदें काफी ज्यादा हैं।
- अनेक तरह की विदेशी चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2023 में हासिल की गई भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की तेज गति वित्त वर्ष 2024 में भी बरकरार रही। वृहद आर्थिक स्थिरता पर फोकस करने से यह सुनिश्चित हुआ कि विदेशी चुनौतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा।
- भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत रही, वित्त वर्ष 2024 की चार तिमाहियों में से तीन तिमाहियों में विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक रही।
- आपूर्ति के मोर्चे पर सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 7.2 प्रतिशत (2011-12 के मूल्यों पर) रही और स्थिर मूल्यों पर शुद्ध कर संग्रह वित्त वर्ष 2024 में 19.1 प्रतिशत बढ़ गया।
- चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2024 के दौरान जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा जो कि वित्त वर्ष 2023 में दर्ज किए गए जीडीपी के 2.0 प्रतिशत के सीएडी से काफी कम है।
- महामारी से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का क्रमबद्ध ढंग से विस्तार हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक रही, यह उपलब्धि केवल कुछ प्रमुख देशों ने ही हासिल की है।
- कुल कर संग्रह का 55 प्रतिशत प्रत्यक्ष करों से और शेष 45 प्रतिशत अप्रत्यक्ष करों से प्राप्त हुआ।
- सरकार 81.4 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने में सक्षम रही है। पूंजीगत खर्च के लिए आवंटित कुल व्यय में लगातार वृद्धि की गई है।
अध्याय 2 : मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता – स्थिरता पर फोकस है
- भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों ने वित्त वर्ष 2024 में दमदार प्रदर्शन किया है।
- कुल मिलाकर महंगाई दर के नियंत्रण में रहने के परिणामस्वरूप आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष के दौरान नीतिगत दर को यथावत रखा।
- मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2024 में पॉलिसी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा। विकास की गति तेज करने के साथ-साथ महंगाई दर को धीरे-धीरे तय लक्ष्य के अनुरूप किया गया।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कर्ज वितरण मार्च 2024 के आखिर में 20.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 164.3 लाख करोड़ रुपये रहा।
- एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी के विलय के प्रभाव को छोड़कर ब्रॉड मनी (एम3) की वृद्धि दर 22 मार्च, 2024 को 11.2 प्रतिशत थी (सालाना आधार पर), जबकि एक साल पहले यह वृद्धि दर 9 प्रतिशत ही थी।
- बैंक कर्ज दहाई अंकों में बढ़ गए, जो कि काफी व्यापक रहे, सकल एवं शुद्ध गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियां यानी फंसे कर्ज कई वर्षों के न्यूनतम स्तर पर रहे, बैंक परिसंपत्तियों की गुणवत्ता का बढ़ना यह दर्शाता है कि सरकार मजबूत एवं स्थिर बैंकिंग क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध है।
- कर्जों में वृद्धि अब भी दमदार है, सेवाओं के लिए दिए गए कर्जों और पर्सनल लोन का इसमें मुख्य योगदान रहा है।
- कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को मिले कर्ज वित्त वर्ष 2024 के दौरान दहाई अंकों में बढ़ गए।
- औद्योगिक कर्जों की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले यह वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत ही थी।
- आईबीसी को पिछले 8 वर्षों में ट्विन बैलेंस शीट समस्या का प्रभावकारी समाधान माना गया है। मार्च 2024 तक 13.9 लाख करोड़ रुपये के मूल्य वाले 31,394 कॉरपोरेट कर्जदारों के मामले निपटाए गए।
- प्राथमिक पूंजी बाजारों में वित्त वर्ष 2024 के दौरान 10.9 लाख करोड़ रुपये का पूंजी सृजन हुआ (यह वित्त वर्ष 2023 के दौरान निजी और सरकारी कंपनियों के सकल स्थिर पूंजी सृजन का लगभग 29 प्रतिशत है)
- भारतीय शेयर बाजार का बाजार पूंजीकरण काफी ज्यादा बढ़ गया है, बाजार पूंजीकरण – जीडीपी अनुपात पूरी दुनिया में पांचवें सर्वाधिक स्तर पर रहा।
- वित्तीय समावेश केवल एक लक्ष्य नहीं है बल्कि सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने, असमानता में कमी करने और गरीबी उन्मूलन में भी मददगार है। अगली बड़ी चुनौती डिजिटल वित्तीय समावेश (डीएफआई) है।
- कर्जों को बैंकिंग सहारे का वर्चस्व धीरे-धीरे कम हो रहा है और पूंजी बाजारों की भूमिका बढ़ रही है। चूंकि भारत के वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, इसलिए इसे संभावित असुरक्षा या खतरों से निपटने के लिए अवश्य ही तैयार रहना चाहिए।
- भारत आने वाले दशक में सबसे तेजी से विकसित होने वाले बीमा बाजारों में से एक रहेगा।
- भारत का माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र चीन के बाद दुनिया में दूसरे सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के रूप में उभरा है।
अध्याय 3 : कीमतें और महंगाई – नियंत्रण में
- केन्द्र सरकार द्वारा समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों और भारतीय रिजर्व बैंक के मूल्य स्थिरता संबंधी उपायों से खुदरा महंगाई दर को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखने में मदद मिली, जो कि महामारी से लेकर अब तक की अवधि में न्यूनतम स्तर है।
- केन्द्र सरकार ने एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने की घोषणा की। इसके परिणामस्वरूप ईंधन की खुदरा महंगाई दर वित्त वर्ष 2024 में निम्न स्तर पर टिकी रही।
- अगस्त 2023 में घरेलू एलपीजी सिलेंडरों की कीमत देश के समस्त बाजारों में प्रति सिलेंडर 200 रुपये घटा दी गई। उसके बाद से ही एलपीजी की महंगाई अवस्फीति के दायरे में चली गई है।
- इसके अलावा केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रति लीटर 2 रुपये घटा दीं। इसके परिणामस्वरूप वाहनों में उपयोग होने वाले पेट्रोल और डीजल की खुदरा महंगाई भी अवस्फीति के दायरे में चली गई है।
- भारत की नीति कई चुनौतियों से सफलतापूर्वक गुजरी जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित हुई।
- कोर सेवाओं की महंगाई दर घटकर वित्त वर्ष 2024 में पिछले नौ वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गई, इसके साथ ही कोर वस्तुओं की महंगाई दर भी घटकर पिछले चार वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गई।
- उद्योगों को प्रमुख इनपुट सामग्री की आपूर्ति बेहतर होने से वित्त वर्ष 2024 में प्रमुख उपभोक्ता उपकरणों की महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई।
- मौसमी प्रभावों, जलाशयों के जलस्तर में कमी तथा फसलों के नुकसान के कारण कृषि क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनसे कृषि उपज और खाद्यानों की कीमत पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2023 में खाद्य महंगाई दर 6.6 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई।
- सरकार ने उपयुक्त प्रशासनिक कार्रवाई की, जिनमें स्टॉक प्रबंधन, खुला बाजार संचालन, आवश्यक खाद्य वस्तुओं के लिए सब्सिडी का प्रावधान और व्यापार नीति उपाय शामिल हैं। इनसे खाद्य महंगाई दर को कम करने में मदद मिली।
- 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने वित्त वर्ष 2024 में महंगाई दर 6 प्रतिशत से कम रही।
- इसके अलावा उच्च महंगाई दर वाले राज्यों में ग्रामीण-शहरी महंगाई दर अंतर अधिक रहा, जहां ग्रामीण महंगाई दर शहरी महंगाई दर से अधिक रही।
- रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर कम होकर क्रमशः 4.5 और 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह माना गया है कि मॉनसून सामान्य रहेगा और कोई बाहरी या नीतिगत बाधाएं नहीं आएंगी।
- आईएमएफ ने भारत के लिए महंगाई दर को 2024 में 4.6 प्रतिशत और 2025 में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
अध्याय 4 बाहरी क्षेत्र- बहुतायत में स्थिरता
- मुद्रास्फीति तथा भू-राजनीतिक बाधाओं के बावजूद भारत के बाह्य क्षेत्र में मजबूती बनी रही।
- दुनिया के 139 देशों में भारत की स्थिति विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में छह पायदान बेहतर हुई। भारत की स्थिति 2018 के 44वें स्थान से बेहतर होकर 2023 में 38वें पायदान पर पहुंच गई।
- व्यापारिक आयात में कमी और सेवा निर्यात वृद्धि ने चालू खाता घाटे में सुधार किया है, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 0.7 प्रतिशत रह गया है।
- वैश्विक वस्तु एवं सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है। वैश्विक वस्तु निर्यात में देश की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 में 1.8 प्रतिशत रही, जबकि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान यह हिस्सेदारी औसतन 1.7 प्रतिशत रही थी।
- भारत के सेवा निर्यात में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 341.1 बिलियन डॉलर रही। इस वृद्धि का कारण मुख्य रूप से आईटी/सॉफ्टवेयर तथा अन्य व्यापार सेवाएं थीं।
- भारत वैश्विक स्तर पर विदेशों से सबसे अधिक धन प्रेषण प्राप्त करने वाला देश रहा, जो 2023 में 120 बिलियन डॉलर की सीमा को पार कर गया।
- भारत का बाहरी ऋण पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है, मार्च 2030 के अंत में जीडीपी अनुपात में बाहरी ऋण 18.7 प्रतिशत था।
अध्याय 5 मध्य अवधि दृष्टिकोण- न्यू इंडिया के लिए विकास रणनीति
- लघु से मध्यम अवधि के लिए नीतिगत विशेष ध्यान के प्रमुख क्षेत्र हैं- रोजगार और दक्षता निर्माण, कृषि क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का उपयोग, एमएसएमई की बाधाओं का सामाधान, ऊर्जा बदलाव के लिए हरित स्रोतों को अपनाने का प्रबंधन, चीन की पहली को कुशलतापूर्वक सुलझाने का प्रयास, कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करना, असमानता को दूर करना तथा हमारे युवाओं के स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार करना।
- अमृतकाल की विकास रणनीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है- निजी निवेश को प्रोत्साहन, एमएसएमई का विस्तार, विकास के इंजन के रूप में कृषि, ऊर्जा बदलाव के लिए हरित स्रोतों को अपनाने के लिए वित्त पोषण, शिक्षा- रोजगार के अवसर को कम करना तथा राज्यों का क्षमता निर्माण।
- 7 प्रतिशत से अधिक की दर पर भारत में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा निजी क्षेत्र के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।
अध्याय 6 जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को अपनाना- बाधाओं का समाधान
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की एक रिपोर्ट में जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जी-20 समूह का एकमात्र ऐसा देश है, जहां 2 डिग्री सेंटीग्रेड ताप वृद्धि की संभावना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने तथा ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के संदर्भ में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- 31 मई, 2024 तक स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 45.4 हो गई है।
- इसके अलावा देश ने अपने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को कम किया है, जिसमें 2005 के स्तर पर 2019 में 33 प्रतिशत की कमी आई है।
- भारत की जीडीपी 2005 से 2019 के बीच लगभग 7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ी है, जबकि उत्सर्जन की वृद्धि 4 प्रतिशत के सीएचजीआर से बढ़ी है।
- सरकार ने कई स्वच्छ कोयला पहलों की शुरुआत की है, जिसमें कोयला गैसीकरण मिशन भी शामिल है।
- विगत पांच वर्षों में ईपीएफओ के तहत निवल पे-रोल में दोगुनी से अधिक वृद्धि हुई है, जोकि वित्त वर्ष 19 में 61.1 लाख कर्मचारियों की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में 131.5 लाख हुई।
- ईपीएफओ में वित्त वर्ष 15 और 24 के बीच सदस्यों की संख्या में 8.4 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई।
- विनिर्माण क्षेत्र में एआई का प्रभाव कम, क्योंकि औद्योगिक रोबोट मानव की तुलना में न तो सशक्त हैं और न ही किफायती।
- गिग कार्यबल का 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ होने का अनुमान।
- भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक प्रतिवर्ष लगभग 78.5 लाख नौकरी उत्पन्न करने की आवश्यकता है, जिससे श्रम शक्ति में वृद्धि की जा सके।
- देश में 2022 में 50.7 करोड़ लोगों की देखभाल की तुलना में 2050 में 64.7 करोड़ लोगों की देखभाल की आवश्यकता होगी।
- सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत के बराबर प्रत्यक्ष सार्वजनिक निवेश से 11 मिलियन रोजगार सृजन होने की संभावना है, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को मिलेंगी।
- 51 मिलियन टन तेल के बराबर कुल वार्षिक ऊर्जा बचत सालाना 1,94,320 करोड़ रुपये की बचत के समान है और इससे करीब 306 मिलियन टन उत्सर्जन में कमी आएगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ ईंधन विस्तार से भूमि और जल की मांग बढ़ेगी।
- सरकार ने जनवरी-फरवरी 2023 में 16,000 करोड़ रुपये और उसके बाद अक्तूबर-दिसम्बर 2023 में 20,000 हजार करोड़ रुपये के सावरेन हरित बॉंन्ड जारी किए।
अध्याय 7: सामाजिक क्षेत्र-लाभ जो सशक्त बनाते हैं
- नये कल्याणकारी दृष्टिकोण खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का प्रभाव बढ़ाने पर केन्द्रित हैं। स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और सुशासन का डिजिटलीकरण कल्याणकारी कार्यक्रम पर खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का प्रभाव कई गुना बढ़ाने वाला है।
- वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2024 के बीच बाजार मूल्य आधारित जीडीपी करीब 9.5 प्रतिशत की संचित वार्षिक वृद्धिदर के साथ बढ़ी है, जबकि कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च 12.8 प्रतिशत संचित वार्षिक वृद्धिदर के साथ बढ़ा है।
- असमानता का संकेतक, गिनी कोइफिशियंट, देश के ग्रामीण क्षेत्र के मामले में 0.283 से घटकर 0.266 और शहरी क्षेत्र के मामले में 0.363 से 0.314 पर आ गए।
- 34.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत कार्ड बनाये गए और योजना के तहत अस्पतालों में भर्ती 7.37 करोड़ मरीजों को कवर किया गया।
- बौद्धिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की चुनौती आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसे में आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई स्वास्थ्य बीमा के तहत 22 बौद्धिक बीमारियों को कवर किया गया।
- बच्चों की शुरूआती शिक्षा के ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ कार्यक्रम का उद्देश्य आंगनवाड़ी केन्द्रों में विश्व का सबसे बड़ा, सार्वभौमिक, उच्च गुणवत्ता प्री-स्कूल नेटवर्क विकसित करना है।
- स्वैच्छिक योगदान और सामुदायिक मेलजोल के माध्यम से विद्यांजलि पहल ने 1.44 करोड़ से अधिक छात्रों के शैक्षणिक अनुभव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उच्च शिक्षा में सभी वर्गों की महिलाओं के दाखिले में तेज वृद्धि हुई है, साथ ही एससी/एसटी और ओबीसी जैसे पिछडे वर्गों की संख्या बढ़ने से वित्त वर्ष 2015 से 31.6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
- वित्त वर्ष 2024 में करीब एक लाख पेटेंट प्रदान किए जाने के साथ भारत में अनुसंधान एवं विकास में तीव्र प्रगति हो रही है। इससे पहले वित्त वर्ष 2020 में 25,000 से भी कम पेटेंट प्रदान किए गए थे।
- सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में 3.10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया जो कि वित्त वर्ष 2014 (बजट अनुमान) की तुलना में 218.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
- पीएम-आवास-ग्रामीण के तहत पिछले नौ साल में (10 जुलाई, 2024 की स्थिति के अनुसार) गरीबों के लिए 2.63 कर्रोड़ आवासों का निर्माण किया गया।
- ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2014-15 से (10 जुलाई 2024 की स्थिति के अनुसार) 15.14 लाख किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य पूरा किया गया।
अध्याय 8: रोजगार और कौशल विकास: गुणवत्ता की ओर
- वर्ष 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर आने से भारतीय श्रमिक बाजार संकेतक में पिछले छह साल के दौरान सुधार आया है।
- 15 वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों के मामले में तिमाही शहरी बेरोजगारी दर मार्च 2024 में समाप्त तिमाही के दौरान एक साल पहले इसी तिमाही की 6.8 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई।
- पीएलएफएस के अनुसार 45 प्रतिशत से अधिक कार्यबल कृषि क्षेत्र में, 11.4 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में, 28.9 प्रतिशत सेवा क्षेत्र में और 13.0 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में नियुक्त है।
- पीएलएफएस के अनुसार (15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में) युवा बेराजगारी दर 2017-18 के 17.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 10 प्रतिशत पर आ गई।
- ईपीएफओ पे-रोल में शामिल नये सब्सक्राइबर में करीब दो-तिहाई 18 से 28 वर्ष के आयुवर्ग से थे।
- लैंगिक परिपेक्ष में महिला श्रमिक बल भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) छह साल से बढ़ रहा है।
- एएसआई 2021-22 के अनुसार संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार दर सुधर कर महामारी पूर्व के स्तर से ऊपर पहुंच गई हैं। इसके साथ ही प्रति कारखाना रोजगार महामारी पूर्व के स्तर से बढ़ा है।
- वित्त वर्ष 2015 से 2022 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति कामगार वेतन में शहरी क्षेत्रों के 6.1 प्रतिशत सीएजीआर के मुकाबले 6.9 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि हुई है।
- 100 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त कराने वाले कारखानों की संख्या वित्त वर्ष 2018 के मुकाबले 2022 में 11.8 प्रतिशत बढ़ी है।
- बड़े कारखानों (100 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति वाले) में छोटे कारखानों के मुकाबले रोजगार के अवसर बढ़े हैं, इससे विनिर्माण इकाईयों के उन्नयन की दिशा में संकेत मिलता है।
अध्याय-9: कृषि और खाद्य प्रबंधन: यदि हम सही कर लें तो कृषि में बढ़ोत्तरी अवश्य है
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने पिछले पाँच वर्षों में स्थिर मूल्यों पर 4.18 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की है।
- भारतीय कृषि के संबद्ध क्षेत्र लगातार मजबूत विकास केंद्रों और कृषि आय में सुधार के लिए आशाजनक स्रोतों के रूप में उभर रहे हैं।
- 31 जनवरी, 2024 तक कुल कृषि भुगतान 22.84 लाख करोड़।
- 31 जनवरी, 2024 तक बैंकों ने 9.4 लाख करोड़ की 7.5 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया।
- वर्ष 2015-16 से 2023-24 के दौरान न्यूनतम जल अधिकतम फसल (पीडीएमसी) के तहत देश में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 90.0 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है।
- अनुमान है कि शिक्षा सहित कृषि अनुसंधान में लगाए गए प्रत्येक रुपये से 13.85 रुपये का प्रतिफल।
अध्याय-10: उद्योगः मध्यम एवं लघु दोनों अपरिहार्य
- वित्तवर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को 9.5 प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर से समर्थन मिला।
- विनिर्माण मूल्य श्रृंखलाओं में अनेक बाधाओं के बावजूद, विनिर्माण क्षेत्र ने पिछले दशक में 5.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की।विकास के प्रमुख संचालक रसायन, लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर, परिवहन उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और उपकरण हैं।
- पिछले पांच वर्षों में कोयला के उत्पादन में तेजी आई है, जिससे आयात निर्भरता में कमी हुई है।
- भारतका फार्मास्युटिकल बाज़ार, जिसका वर्तमान मूल्य 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, अपनी मात्रा के अनुसार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा विनिर्माता है और शीर्ष पाँच निर्यातक देशों में से एक है।
- भारत के इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्षेत्र की वित्त वर्ष 22 में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7 प्रतिशत है।
- भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, मई 2024 तक 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश दर्ज किया गया, जिसके परिणामस्वरूप पीएलआई योजना के अंतर्गत 10.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन / बिक्री और 8.5 लाख रुपये से अधिक का रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) हुआ।
- उद्योगों को अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा कार्यबल के सभी स्तरों पर सुधार को उद्योग और अकादमी के बीच सक्रिय सहयोग के माध्यम से प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
अध्याय-11- सेवाएं: विकास के अवसरों को बढ़ावा देना
- सेवा क्षेत्र भारत की प्रगति में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जो वित्त वर्ष 24 में अर्थव्यवस्था के कुल आकार का लगभग 55 प्रतिशत है।
- सेवा क्षेत्र में सर्वोच्च संख्या में सक्रिय कंपनियां (65 प्रतिशत) हैं, 31 मार्च, 2024 तक भारत में कुल 16,91,495 सक्रिय कंपनियां थीं।
- वैश्विक स्तर पर, भारत का सेवा निर्यात 2022 में दुनिया के वाणिज्यिक सेवा निर्यात का 4.4 प्रतिशत था।
- भारत के सेवा निर्यात में कम्प्यूटर सेवा और व्यापार सेवा निर्यात का हिस्सा 73 प्रतिशत, वित्त वर्ष 24 में इसमें 9.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- डिजिटल माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 2019 के 4.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 6 प्रतिशत हो गई।
- वित्त वर्ष 24 में भारतीय हवाई यात्रियों की संख्या में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ भारत के विमानन क्षेत्र में अच्छी प्रगति दर्ज की है।
- वित्त वर्ष 24 में भारतीय हवाई अड्डों पर एयर कार्गो का रखरखाव सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 33.7 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
- वित्त वर्ष 24 की समाप्ति मार्च 2024 में 45.9 लाख करोड़ रुपये के सेवा सेक्टर ऋण के बकाया से हुई, जिसमें वर्ष दर वर्ष 22.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- भारतीय रेल में यात्री यातायात पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 24 में लगभग 5.2 प्रतिशत बढ़ा।
- राजस्व अर्जन मालभाड़ा ने (कोणकन रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड को छोड़कर) पिछले वर्ष की तुलना में, वित्त वर्ष 24 में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
- पर्यटन उद्योग ने वर्ष दर वर्ष 43.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए, 2023 में 92 लाख विदेशी पर्यटकों के आगमन को देखा।
- 2023 में आवासीय रियल स्टेट देश में बिक्री, वर्ष दर वर्ष 33 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करते हुए 2013 के बाद से सबसे ज्यादा थी और शीर्ष के आठ नगरों में कुल 4.1 लाख मकानों की बिक्री हुई।
- भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है और यह वित्त वर्ष 15 में एक हजार केंद्रों से वित्त वर्ष 23 तक 1,580 केंद्रों से भी अधिक हो गए हैं।
- भारत के ई-वाणिज्य उद्योग का 2030 तक 350 अरब अमरीकी डॉलर पार कर जाने की उम्मीद है।
- कुल टेली-डेंसिटी (100 लोगों की आबादी पर टेलीफोनों की संख्या) देश में मार्च 2014 में 75.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 85.7 प्रतिशत हो गई है। इंटरनेट डेनसिटी भी मार्च 2024 में 68.2 प्रतिशत तक बढ़ गई।
- 31 मार्च, 2024 तक 6,83,175 किलोमीटर के ऑप्टिकल फाइबर कैबल (ओएफसी) बिछाए गए हैं, जिसने भारतनेट चरण-1 और चरण-2 में कुल 2,06,709 ग्राम पंचायतों को जोड़ दिया है।
- दो महत्वपूर्ण बदलाव भारत के सेवा परिदृश्य को फिर से आकार दे रहे हैं : घरेलू सेवा डिलिवरी का तीव्र प्रौद्योगिकी निर्देशित बदलाव और भारत के सेवा निर्यात का विविधीकरण।
अध्याय 12 : अवसंरचना – संभावित वृद्धि को बढ़ाना
- हालिया वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र निवेश में काफी वृद्धि ने बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त पोषण में एक केंद्रीय भूमिका निभाई है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की औसत रफ्तार वित्त वर्ष 14 में 11.7 किलोमीटर प्रतिदिन करीब 3 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 24 तक प्रतिदिन करीब 34 किलोमीटर हो गई।
- रेल संबंधी पूंजीगत व्यय पिछले 5 वर्षों में, नई लाइनों गैज परिवर्तन और लाइनों के दोहरीकरण के निर्माण में अच्छे खासे निवेश के साथ, 77 प्रतिशत बढ़ गया है।
- भारतीय रेल वित्त वर्ष 25 में वंदे मेट्रो ट्रेनसेट कोच शुरु करेगी।
- वित्त वर्ष 24 में, 21 हवाई अड्डों पर नई टर्मिनल इमारतें चालू की गई हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को हैंडल करने की क्षमता में वृद्धि हुई है और यह प्रतिवर्ष करीब 620 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है।
- भारत का दर्जा विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स कार्य निष्पादन सूचकांक के अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट कैटगरी में 2014 में 44वें स्थान से 2023 में 22वें स्थान पर हो गया है।
- भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 2014 और 2023 के बीच 8.5 लाख करोड़ (102.4 अरब अमरीकी डॉलर) का नया निवेश हुआ है।
अध्याय 13 : जलवायु परिवर्तन और भारत : हमें क्यों इस समस्या को अपनी नजरों से देखना चाहिए
- जलवायु परिवर्तन के लिए वर्तमान वैश्विक रणनीतियां त्रुटिपूर्ण हैं और सार्वभौमिक रूप से लागू करने योग्य नहीं है।
- पश्चिम का जो दृष्टिकोण समस्या की जड़ यानि अत्यधिक खपत का समाधान नहीं निकालना चाहता, बल्कि अत्यधिक खपत को हासिल करने के दूसरे विकल्प चुनना चाहता है।
- ‘एक उपाय सभी के लिए सही’, काम नहीं करेगी और विकासशील देशों को अपने रास्ते चुनने की छूट दिए जाने की जरूरत है।
- भारतीय लोकाचार प्रकृति के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंधों पर जोर देते हैं, इसके विपरीत विकसित देशों में अत्याधिक खपत की संस्कृति को अहमियत दी जाती है।
- ‘कई पीढ़ियों वाले पारंपरिक परिवारों’ पर जोर से टिकाऊ आवास की ओर मार्ग प्रशस्त होगा।
- ‘मिशन लाइफ’ अत्याधिक खपत की तुलना में सावधानी के साथ खपत को बढ़ावा देने के मानवीय स्वभाव पर जोर देती है। अत्याधिक खपत वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या की जड़ है।