नई दिल्ली : भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की 12वीं बैठक 09 जुलाई, 2024 को अबू धाबी में आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को और विस्तृत करने के लिए सहभागिता के व्यापक अवसरों पर चर्चा की। बातचीत में प्रशिक्षण, संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा औद्योगिक सहयोग, विषय वस्तु आधारित विशेषज्ञों का आदान-प्रदान और अनुसंधान एवं विकास आदि के क्षेत्रों में विस्तृत तरीके से विचार-विमर्श किया गया।
दोनों पक्षों ने समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। चर्चा के दौरान एक-दूसरे देश के अनुभव व ज्ञान का पारस्परिक रूप से लाभ उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के उद्देश्य से आपस में यात्राओं के आदान-प्रदान पर भी सहमति व्यक्त की गई। इसके अलावा दोनों देशों ने प्रमुख क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने हेतु अवसरों को भी आपस में साझा करने के लिए हामी भरी।
इस महत्वपूर्ण बैठक में संयुक्त सचिव श्री अमिताभ प्रसाद के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बलों और अबू धाबी में भारतीय दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। संयुक्त अरब अमीरात की ओर से बैठक की सह-अध्यक्षता ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ जमाल इब्राहिम मोहम्मद अलमाजरूकी ने की।
संयुक्त सचिव श्री अमिताभ प्रसाद ने इस यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्रालय के सहायक अपर सचिव श्री अली अब्दुल्ला अल अहमद से भेंट की और उनके साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने तवाजुन आर्थिक परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ एक सार्थक बातचीत की। संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की बैठक के दौरान दोनों देशों की नौसेना और सेना के बीच कार्मिक स्तर पर भी वार्ता आयोजित की गई। इसके अतिरिक्त, सेवा विशिष्ट सहयोग पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। शुरुआत से लेकर अब तक कुल 11 दौर की बैठकें संपन्न हो चुकी हैं। 12वीं बैठक के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को और अधिक विस्तार देने का अवसर प्राप्त हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पहले से सशक्त हुई है।