-मानकीकरण के लिए परीक्षण सेवाओं और अनुसंधान अध्ययनों पर प्रशिक्षण प्रदान करने का एम् ओ यू
नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी के क्षेत्र को उन्नत बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विकास के तहत भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन चेन्नई स्थित केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् – कैप्टन श्रीनिवास मूर्ति केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीएआरआई) व तमिलनाडु के चेन्नई स्थित अरुम्बक्कम के भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी आयुक्तालय (सीआईएमएंडएच) के बीच आज एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह समारोह 29 जून, 2024 को गिन्डी स्थित कलैगनार सेंटेनरी मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल में आयोजित किया गया। इस समारोह में तमिलनाडु के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री एम.ए. सुब्रमण्यन और अतिरिक्त मुख्य सचिव व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव आईएएस श्री गगन दीप सिंह की गरिमामयी उपस्थिति थी।
इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) में परीक्षण सेवाओं, प्रशिक्षण प्रदान करने और “चयनित उच्चतर श्रेणी की औषधियों की तैयारी को लेकर विषाक्तता अध्ययन के मानकीकरण और मूल्यांकन के लिए अनुसंधान अध्ययन” पर एक सहयोगी परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए एक सहभागितापूर्ण ढांचे की रूपरेखा प्रदान की गई है। इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) के प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
औषधि के मानकीकरण के उद्देश्य से चयनित कच्ची औषधियों और तैयार उत्पादों का परीक्षण करना। सीआईएमएंडएच की प्रयोगशाला को एनएबीएल प्रत्यायन प्रशिक्षण मार्गदर्शन प्रदान करना। अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार “चयनित उच्च स्तरीय औषधियों की तैयारी को लेकर विषाक्तता अध्ययन के मानकीकरण और मूल्यांकन के लिए अनुसंधान अध्ययन” नामक सहभागिता अनुसंधान परियोजना का परिचालन करना, जो कि सीसीआरएएस अनुसंधान नीति के नियमों, शर्तों और दिशानिर्देशों के अनुसार इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) का एक अभिन्न अंग है।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक प्रो. रविनारायण आचार्य ने कहा, “सीसीआरएएस और सीआईएमएंडएच के बीच इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) ने भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित किया है, वे आगे आ सकते हैं और विभिन्न अनुसंधान व विकास गतिविधियों के लिए आयुष मंत्रालय के अधीन सीसीआरएएस के साथ सहयोग कर सकते हैं।”
यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) इन प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रत्याशित परिणामों में शामिल हैं:
उन्नत गुणवत्ता और सुरक्षा: कठोर परीक्षण व मानकीकरण प्रोटोकॉल आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधियों की उच्च गुणवत्ता व सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, जिससे चिकित्सकों और रोगियों, दोनों को लाभ होगा। विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम: एनएबीएल प्रत्यायन प्रशिक्षण मार्गदर्शन सीआईएमएंडएच प्रयोगशाला की क्षमताओं को संवर्द्धित करेगा और उच्चतम मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
सहयोगात्मक अनुसंधान पहल: संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं चयनित उच्च-स्तरीय औषधियों की विषाक्तता का मूल्यांकन करने, वैज्ञानिक समुदाय को मूल्यवान डेटा प्रदान करने और इन उपचारों की सुरक्षा व प्रभावकारिता सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगी। क्षमता निर्माण और ज्ञान का आदान-प्रदान: यह साझेदारी ज्ञान के स्थायी आदान-प्रदान व क्षमता निर्माण के साथ एक सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देगी, जो भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी में नवाचार व उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करेगी।