मुंबई : 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में आज पहली बार डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाज़ार का उद्घाटन किया गया। यह अभूतपूर्व पहल एमआईएफएफ के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो दक्षिण एशिया में गैर-फीचर फिल्मों के लिए मुख्य मंच के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करती है।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाज़ार, एक अग्रणी पहल है, जिसका उद्देश्य फिल्म निर्माताओं को खरीदारों, प्रायोजकों और सहयोगियों से जुड़ने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करके वृत्तचित्र फिल्म उद्योग को प्रगति पथ पर लाना है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) कॉम्प्लेक्स में 16 से 18 जून 2024 तक आयोजित होने वाले इस अभिनव कार्यक्रम ने 27 भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 10 देशों से करीब 200 परियोजनाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है।
फिल्म निर्माता अपूर्वा बख्शी ने एमआईएफएफ के महोत्सव निदेशक और एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक श्री पृथुल कुमार और पीआईबी (पश्चिम क्षेत्र) की एडीजी और केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुश्री स्मिता वत्स शर्मा की उपस्थिति में डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाजार का उद्घाटन किया।
नवोदित फिल्म निर्माताओं को संबोधित करते हुए अपूर्वा बख्शी ने उनसे महत्वपूर्ण सहयोग के लिए डॉक्यूमेंट्री बाज़ार के सुअवसरों का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आइए हम यहां नए विचारों, संभावनाओं और सहयोगों को जानें, बातचीत करें और तलाशें।”
बाज़ार में तीन क्यूरेटेड वर्टिकल होंगे:
• सह-निर्माण बाज़ार: 16 परियोजनाओं की विशेषता वाला यह खंड फ़िल्म निर्माताओं को दुनिया भर के संभावित सहयोगियों, निर्माताओं, सह-निर्माताओं और वित्तपोषकों से जोड़ता है।
• कार्य-प्रगति (डब्ल्यूआईपी) प्रयोगशाला: 6 परियोजनाओं को रफ-कट चरण में प्रदर्शित करते हुए, यह प्रयोगशाला उद्योग के पेशेवरों से प्राप्त अमूल्य फ़ीडबैक और मार्गदर्शन द्वारा इन फ़िल्मों को बेहतर बनाने का कार्य करती है।
• व्यूइंग रूम: एक विशेष स्थान जो 106 पूर्ण वृत्तचित्रों, लघु फ़िल्मों और एनिमेशन फ़िल्मों को प्रतिनिधियों के एक क्यूरेटेड दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है, जो वितरण सौदों और वित्तपोषण के अवसर प्रदान करता है।
इन कार्यक्षेत्रों के अलावा, यह बाज़ार एक ‘खुले क्रेता-विक्रेता सम्मेलन’ की मेज़बानी करेगा, जिसमें उत्पादन, सिंडिकेशन, अधिग्रहण, वितरण और बिक्री में सहयोग की सुविधा होगी। एक समर्पित सत्र में वृत्तचित्र फिल्म निर्माण और कॉर्पोरेट ब्रांडिंग के बीच संबंधों के महत्व, साथ ही भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) जैसे उद्योग जगत के दिग्गज द्वारा ब्रांड संवर्द्धन और सामाजिक प्रभाव के लिए एक उपकरण के रूप में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंडिंग पर चर्चा होगी।
डॉक्यू-फिल्म बाज़ार का उद्देश्य स्थापित पेशेवरों और उभरती हुई प्रतिभाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हुए एक इंटरैक्टिव हब बनना है। उत्पादन के विभिन्न चरणों में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करके, इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली वृत्तचित्रों के निर्माण और वितरण में वृद्धि करना है।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाज़ार फिल्म निर्माताओं की आवाज़ उठाने और आकर्षक कहानियों को अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के मंच पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रतिभागियों को वर्तमान रुझानों, बाजार की मांगों, वितरण रणनीतियों और दर्शकों की प्राथमिकताओं के बारे में बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त होगा, साथ ही उद्योग के विशेषज्ञ परियोजनाओं को उनकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में सहयोग के लिए व्यावहारिक प्रतिक्रिया प्रदान करेंगे।
बाजार में महाराष्ट्र फिल्म, स्टेज और सांस्कृतिक विकास सहयोग लिमिटेड, जेएंडके, आईडीपीए, सिनेडब्स आदि जैसे विभिन्न संगठनों द्वारा कई स्टॉल लगाए गए हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने श्रीलंका, बेलारूस, ईरान और अर्जेंटीना जैसे देशों के स्टॉल लगाने की भी सुविधा प्रदान की है।