-सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के रोहतक मंडल के प्रचार अमले की कार्यशाला का दूसरा दिन
– विभाग में कलाकारों की रही है समृद्ध परंपरा, युवा कलाकार उनके सानिध्य में रहकर सीखें संगीत की बारीकियां : लोकेश शर्मा, संगीत विशेषज्ञ
गुरुग्राम, 29 मई। सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा की भजन पार्टियां खंड प्रचार कार्यकर्ता तथा सूचीबद्ध पार्टियां धरातल पर जाकर आमजनमानस के सरोकार से जुड़ी योजनाओं का बेहतर ढंग से प्रस्तुतिकरण दे सके। इन्ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गुरूग्राम के सेक्टर 27 में रोहतक मंडल के कलाकारों के लिए आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन संगीत के विशेषज्ञों ने विभिन्न बारीकियां सिखाते हुए उनकी शंकाओं का भी निवारण किया।
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी बिजेंद्र कुमार ने कार्यशाला के दूसरे दिन शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रदेश के सभी मंडलों में इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है जिसके माध्यम से सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का चुनाव करते हुए उन्हें प्रदेशभर में प्रचार के लिए जाने वाली पार्टियों के गीतों में शामिल किया जाएगा। ऐसे में आप सभी को इस तीन दिवसीय कार्यशाला में गंभीरता से मंथन करते हुए अपने प्रचार के तरीकों को नई धार देनी होगी। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रचार अमले को जनकल्याण की सभी योजनाओं की पूर्ण जानकारी जरूर हो ताकि जिस उद्देश्य के साथ आप फील्ड में जा रहे है, वह सार्थक अर्थों में पूर्ण हो।
कार्यशाला में संगीत प्राध्यापक लोकेश शर्मा ने मंच संचालन से जुड़ी अहम जानकरियाँ भी दी। उन्होंने कहा कि आपका यह प्रयास रहना चाहिए कि आप फिल्मी धुनों को कॉपी ना करके अपनी मूल रचनाओं के लिए नई धुनों का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा में कलाकारों की समृद्ध परंपरा रही है। ऐसे में युवा कलाकारों का प्रयास करना चाहिए कि वे पुराने कलाकारों के सानिध्य में रहकर संगीत की बारीकियां सीखें। लोकेश शर्मा ने कहा कि युवा कलाकार हमारी हरियाणवी संस्कृति के ऐसे गीत जो आमजन के दिलो के करीब हैं लेकिन रिकॉर्ड पर नही आ पाए ऐसे गीतों को अपने पास लिख कर रखें अन्यथा यह गीत अतीत में कहीं गुम हो जाएंगे।
कार्यशाला में विभाग के गीत एवं नाटक अधिकारी रहे राजबीर भारद्वाज ने हरियाणवी तर्ज व वाद्य यंत्रों पर अपना व्यख्यान देते हुए कहा कि प्रदेश में क्षेत्र के साथ भाषाई बदलाव होता है। ऐसे में आप जिस क्षेत्र में प्रचार के लिए जाए वहां की स्थानीय बोली व धुन को अपने गीतों में जरूर पिरोए। उन्होंने कहा संगीत से जुड़े व्यक्ति के लिए साज-आवाज और रियाज बहुत जरूरी है। साथ ही प्रचार अमला अपने गीतों में भाषाई मर्यादा रखे।
कार्यशाला में गीतकार माँगेराम खत्री ने लोकगीत के अर्थ व इसके प्रचलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें मानवीय संवेदनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में आप सभी अपनी मौजूदा क्षमताओं का आंकलन करते हुए आत्ममंथन भी करे। ताकि समय के साथ हो रहे बदलावों को अपनी प्रस्तुति में शामिल कर उसे और बेहतर रूप दिया जा सके। उन्होंने कहा कि आप सभी यह सुनिश्चित करें कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में अच्छे गीतों की रचना हो। उन्होंने कहा कि भले आप कम लिखे लेकिन जो लिखें वो इतना बेहतर हो कि सीधे मन से मन का संबंध स्थापित करे। यानी आप अपने गीतों व भजनों के माध्यम से जो कहना चाहते है वह सीधे श्रोताओं के मन में उतरे।
इस अवसर पर ड्रामा इंस्पेक्टर पवन, भजन लीडर धर्मबीर सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।