– राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास के लिए क्षेत्र की पहचान करेंगे
नई दिल्ली : राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम लिमिटेड (एनआईसीडीसी), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली स्थित नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण फाउंडेशन (एफआईटीटी- आईआईटीडी) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों और ढांचे का लाभ उठाते हुए भारत में ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास के लिए सर्वोत्तम स्थानों का आंकलन करने के उद्देश्य से 26 फरवरी, 2024 को वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में, यह सहयोग भारत के औद्योगिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी और अनुसंधान का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों संगठनों को अपने-अपने क्षेत्रों में एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने में भी मदद मिलेगी।
एमओयू हस्ताक्षर समारोह में कर्नल नवीन गोपाल, सीओओ (एफआईटीटी, आईआईटी दिल्ली), प्रोफेसर नोमेश बोलिया, प्रोफेसर संजीव देशमुख, श्री दीपक गौतम, श्री प्रतीक बडगुजर और एनआईसीडीसी के अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए, एनआईसीडीसी के सीईओ और एमडी, आईएएस, रजत कुमार सैनी ने साझेदारी की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में आशावाद व्यक्त किया। श्री सैनी ने कहा, “उन्नत प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, हमारा लक्ष्य औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल स्थानों की पहचान करना है, जिससे निवेश आकर्षित हो, स्थानीय वाणिज्य को बढ़ावा मिले और रोजगार के अवसर पैदा हों।”
एनआईसीडीसी और एफआईटीटी- आईआईटीडी, पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल के स्थानिक और विश्लेषणात्मक डेटा टूल का लाभ उठाकर पूरे देश में ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों के विकास के लिए अनुकूलतम स्थानों का आकलन करने के लिए सहयोग करते हैं। यह पहल वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के भारत के विजन के अनुरूप है, जो टिकाऊ भविष्य की शहरी योजना और विकास में डेटा-संचालित, निर्णय लेने के महत्व पर जोर देती है।
एमओयू के अंतर्गत, एफआईटीटी- ईआईटीडी स्थान की इष्टतमता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का विश्लेषण करने के लिए अपनी तकनीकी कौशल और अनुसंधान क्षमताओं का लाभ उठाएगा, जिसमें व्यापार में आसानी, रहने-सहने की लागत, लॉजिस्टिक लागत, मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी, ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स, विशेष उद्योगों की संभावना, कच्चे माल की उपलब्धता और स्थिरता की क्षमता शामिल है।
इस सहयोग के परिणामस्वरूप तैयार की गई व्यापक रिपोर्ट भविष्य के शहरी नियोजन निर्णयों के लिए एक मार्गदर्शक फ्रेमवर्क के रूप में काम करेगी, जो उद्योग और समाज की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीनफील्ड शहरों के विकास को आसान बनाएगी।
जैसा कि भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, इस तरह के प्रयास दिखाते हैं कि एक मजबूत और स्थायी भविष्य के निर्माण में प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और एक साथ काम करना कितना महत्वपूर्ण है। यह “विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।