-एसोसिएशन के हजारों सदस्य चंडीगढ़ की सड़कों पर 6 मार्च को मौन जुलूश निकालेंगे
-महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की रेगुलर भर्ती करने की मांग को लेकर न्यू सचिवालय पर देंगे धरना
-योग्य उम्मीदवार लम्बी लड़ाई के बाद भी सचिवालयों का चक्कर लगाने को हैं मजबूर
-कथित फर्जी पीएचडी डिग्री के आधार पर हुई नियुक्ति की जांच भी लम्बे समय से है अधर में
-प्रदेश के कालेजों में 5 हजार से अधिक पद हैं रिक्त
चंडीगढ़ : प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की रेगुलर भर्ती करने की मांग को लेकर हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने वर्तमान मनोहर लाल सरकार के उपेक्षा पूर्ण व अड़ियल रवैये के खिलाफ आन्दोलन का ऐलान कर दिया है. एसोसिएशन के हजारों सदस्य एक बार फिर चंडीगढ़ की सड़कों पर आगामी 6 मार्च को मौन जुलूश निकालेंगे और प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की वायदा खिलाफी और अन्याय के खिलाफ सरकार का दरवाजा खटखटाएंगे. हरियाणा के हजारों नेट, स्कोलर्स और पीएचडी डिग्री धारक बेरोजगार युवा चंडीगढ़ सेक्टर 17 स्थित न्यू सचिवालय पर अपनी मांगों के समर्थन में धरना देंगे. हापा (HAAPA) के सदस्य लम्बे समय से कालेजों में पक्की भर्ती करवाने की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार न तो पहले भर्ती में बरती गई अनियमितता की मुकम्मल जांच करवाने को तैयार है और न ही नई रेगुलर भर्ती करने को.
एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रदेश सरकार को हर स्तर पर कई वर्षों से इस मामले को लेकर अवगत करवाया जाता रहा लेकिन निराशा हाथ लगी है. कई बार उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक लिखित ज्ञापन दिया गया. केवल आश्वासन मिलता रहा . अब तक कोई ठोस कदम न तो फर्जी भर्ती की जांच की दृष्टि से उठाया गया और न ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई. आवश्यक योग्यता हासिल करने वाला अभ्यर्थी सडकों की ख़ाक छान रहा है और कथित फर्जी पीएचडी डिग्री वाले कालेज में नियुक्त होकर स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने गत 12 दिस्मबर 2023 , 30 नवंबर 2023 को भी उच्च शिक्षा विभाग और सीएम कार्यालय को लिखित ज्ञापन सौंप कर न्याय की मांग की थी. सीएम कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया था लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात की तरह रही. गौरतलब है कि कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों और भर्ती लंबित रखने का मामला अदालत तक पहुंचा. हर स्तर पर प्रदेश सरकार भर्ती शुरू करने का वायदा करती है लेकिन मामला आज तक खटाई में है . योग्य उम्मीदवार लम्बी लड़ाई के बाद भी सरकार के सचिवालयों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. हालत यह है कि अब तो इनके मातापिता भी सडकों पर आन्दोलन करने को उतारू हो चुके हैं.
सुभाष सपरा ने बताया कि आश्चर्यजनक बात है कि हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने इससे पूर्व 21 मार्च 2023, 21 फ़रवरी 2023, 28 मार्च 2023, 21 फ़रवरी 2023 और 21 फरवरी 2022 को भी प्रदेश के सीएम मनोहर लाल के नाम डायरेक्टर हायर एजुकेशन को ज्ञापन सौंपकर प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में एक्सटेंशंस लेक्चरर्स भर्ती घोटाले की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने की मांग की थी. साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर नियम विरुद्ध नियुक्ति पाने वालों को तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की थी । एसोसिएशन के सदस्यों ने चंडीगढ़ व पंचकूला की सड़कों पर हायर एजुकेशन विभाग की अव्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन किया था और जमकर नारेबाजी की थी. तब भी न्याय का आश्वासन दिया गया था लेकिन योग्य उम्मीदवार बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर रहे.
उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 2022 को एसोसिएशन के लगभग 80 सदस्यों ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की थी. प्रतिनिधियों ने पत्रकारों के समक्ष इस मामले में बरती गई लापरवाही और फर्जीवाड़े की विस्तार से जानकारी दी थी.
सीएम के नाम सौंपे गए ज्ञापन में हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में नकली डिग्री/गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/ अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स की भर्ती का मामला उजागर किया गया था . साथ ही इसकी सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने की मांग सरकार से की गई थी . एसोसिएशन ने पुरानी नियुक्तियों को तत्काल रद्द कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की थी .
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन की ओर से बताया गया था कि प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्क लोड हमेशा रहता है। इसी संदर्भ में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 5 जून 2013 के जारी पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में 200 रुपए प्रति पीरियड के हिसाब से (अधिकतम 18 हजार रुपए प्रति माह) एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति के प्रचार्यों को आदेश दिए गए थे। इसके लिए प्रचार्यों व स्टाफ ने मिलीभगत कर अपनी इच्छा से इन भर्तियों में फर्जीवाड़ा कर अपने परिचितों व भाई भतीजावाद कर नॉनक्वालिफाइड व नॉन एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति शुरू कर दी।
एसोसिएशन के प्रतिनिधि अमन के अनुसार ज्ञापन में कहा गया था कि यह फर्जीबाड़ा बढ़ता गया और धीरे-धीरे इस प्रकार की नियुक्तियां पाने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। इनके द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से प्राप्त नकली पीएचडी डिग्री हासिल करने का प्रचलन भी बढ़ता चला गया और गलत ढंग से चयन व नियुक्तियां होती रहीं । भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार को भी और तेजी से बढ़ावा मिलना शुरू हो गया। सरकार के उदासीन रवैये व उच्चतर शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण इन एक्सटेंशन लेक्चरर की संख्या हजारों में पहुंच गई । इन्होंने सड़क पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए और सरकार से धीरे-धीरे अपनी मांगे मनवानी शुरू कर दी। 20 जुलाई 2017 को इनका वेतन ₹18000 प्रति माह से बढ़ाकर ₹25000 कर दिया गया।
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने ज्ञापन में बताया था कि अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले सरकार पर इन लोगों ने अनैतिक तरीके से इक्वल वर्क इक्वल पे का दबाव बनाया और सड़कों पर निकल आए। उन्होंने सारे शहरों में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारियों के पुतले जलाने शुरू कर दिए और परीक्षाओं का बहिष्कार भी कर दिया। चुनाव के दृष्टिगत हरियाणा सरकार को इनके समक्ष झुकना पड़ा व इनका मासिक वेतन 57700 रुपए प्रति माह एलिजिबल व 35400 रुपए मासिक नन एलिजिबल के लिए कर दिया गया।
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि वेतन वृद्धि की घोषणा के साथ ही जो लोग अपनी इच्छा से इधर-उधर नौकरी छोड़ कर चले गए थे, वे सब प्रचार्यों व स्टाफ की मिलीभगत से वापिस आकर कॉलेजों में एडजस्ट होने शुरू हो गए। उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से आलू-टमाटर की तरह पीएचडी की नकली डिग्रियां बनवानी शुरू कर दी और 57700 रुपए प्रति माह लेने शुरू कर दिए। उनका आरोप है कि इस सब में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारी भी शामिल हो गए व बुरी तरह से भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा।
पीड़ित व फ्रेश वेल-क्वालिफाइड युवक घरों में बैठकर हाथ मलते रहे। उसके पश्चात कई बार सरकार ने नन एलिजिबल कैंडिडेटस को हटा दिया, परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग व कॉलेजों की मिलीभगत व कई बार पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेश पर इन नन एलिजिबल कैंडिडेटस वापस बुला लिए गए। उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने भी उदासीन रवैया अपनाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं की। उपरोक्त सब का खामियाजा वेल क्वालिफाइड नेट पीएचडी यूथ को भुगतना पड़ रहा है।
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि मार्च 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की नई नियुक्तियों की स्वीकृति दी थी। परंतु यह फाइल अभी तक दबी पड़ी है। हाल में अदालत में प्रस्तुत आंकड़े में तो प्रदेश के कालेजों में 5 हजार से अधिक पद खाली होने का खुलासा हुआ.
बताया जाता है कि एक्सटेंशन लेक्चरर्स की प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने कॉलेजों के प्राचार्य को दिए थे। इसकी रिपोर्ट भी प्राचार्य व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से दबा दी गई है ।
पूर्व में भी मेमो नंबर 22/80-2020 सी1(5), 08 फरवरी 2022 को उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राप्त 5 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को चिन्हित कर फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश प्राचार्य को दिए थे लेकिन मामला आज तक अनसुलझा है । हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन का कहना है कि जांच का जिम्मा उन्हों को दे दिया गया जो इस अनियमितता में शामिल हैं. यह व्यवस्था बिल्कुल ही गलत है क्योंकि इन्हीं प्रचार्यों व स्टाफ द्वारा ये वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स नियुक्त किए गए थे । बड़ा सवाल है जिन्होंने यह फर्जीबाड़ा किया है वही अपनी जांच कैसे करेंगे ? आरोपी खुद ही अपनी जांच करेगा तो जांच रिपोर्ट कैसी आएगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.
इतने लम्बे संघर्ष के बाद भी न्याय नहीं मिलने से परेशान हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधि और उनके परिजन एक बार फिर सडकों पर उतरने को मजबूर हैं. एसोसिएशन ने आगामी 6 मार्च को चंडीगढ़ में मौन जुलूश निकालने और न्यू सचिवालय के समक्ष धरना देने का ऐलान किया है. एसोसिएशन की मांग है कि पूर्व की भर्ती घोटाले में लिप्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स को तुरंत हटाया जाये और यूजीसी इंडिया के नियमानुसार कॉलेजों में रेगुलर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए.