नई दिल्ली : केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा किए गए सुधारात्मक उपायों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2014-15 में सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटी एंड सी) नुकसान, जो 25.72 प्रतिशत था वह वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर 15.41 प्रतिशत (अनंतिम) रह गया है। किए गए सुधारात्मक उपायों के परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति 2015 में 12.5 घंटे से बढ़कर 2023 में 20.6 घंटे हो गई है। 2023 में शहरी क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति बढ़कर 23.18 घंटे हो गई है।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर बताया कि वितरण क्षेत्र में नुकसान में आयी यह गिरावट सरकार द्वारा किए गए कई सुधारात्मक उपायों के परिणामस्वरूप हुई है .
जो सुधार किये गए हैं:
- सरकार द्वारा घोषित किसी भी सब्सिडी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाना।
- यह सुनिश्चित करना कि टैरिफ अप टू डेट हैं।
- देर से भुगतान अधिभार नियमों के अंतर्गत जेनको के विरासत बकाया को कम करना, जो कम होकर लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपये से लगभग 0.52 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
- यह सुनिश्चित करना कि जेनको को समय पर भुगतान किया जाए।
- ऊर्जा लेखांकन और ऊर्जा ऑडिट सुनिश्चित करना।
- संशोधित विवेकपूर्ण मानदंड को लागू करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि अगर डिस्कॉम घाटे में चल रही है तो राज्य सरकार का कोई भी डिस्कॉम या जेनको पीएफसी/आरईसी से ऋण प्राप्त नहीं कर पाएगा, जब तक कि राज्य सरकार के अनुमोदन से डिस्कॉम नुकसान में कमी लाने के लिए एक योजना तैयार नहीं करता है और इसे केंद्र सरकार के पास प्रस्तुत नहीं करता है और उस नुकसान में कमी के प्रक्षेपपथ का पालन नहीं करता है।
- अगर डिस्कॉम घाटे को कम करने के उपायों को लागू करता है तो जीएसडीपी के 0.5% की अतिरिक्त उधार राशि का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- वितरण प्रणाली को 1.85 लाख करोड़ रुपये के व्यय के साथ मजबूत किया गया है, जिसमें 2927 नए उप-स्टेशन जोड़े गए हैं और 3965 मौजूदा उप-स्टेशनों को अपग्रेड किया गया है। 6,92,200 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं, 1,13,938 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) का फीडर पृथक्करण किया गया है और 85 लाख सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) एचटी और एलटी लाइनों को जोड़ा/बदला गया है, उच्च नुकसान वाले क्षेत्रों में ढके हुए तार लगाए गए हैं, गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन, भूमिगत केबलिंग, एरियल बंच्ड केबल आदि जैसे कार्य शुरू किए गए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 3,03,758 करोड़ रुपये की लागत और 97,631 करोड़ रुपये के सकल बजटीय समर्थन के साथ 30.06.2021 को पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) को मंजूरी प्रदान की है। आरडीएसएस के अंतर्गत अब तक 1,21,778 करोड़ रुपये (जीबीएस: 77,920 करोड़ रुपये) के कुल परिव्यय के साथ नुकसान न्यूनीकरण कार्यों की डीपीआर स्वीकृत की गई है।
- यह प्रावधान किया गया है कि घाटे में चल रही डिस्कॉम, भारत सरकार की किसी भी विद्युत क्षेत्र योजना के अंतर्गत तब तक धनराशि प्राप्त नहीं कर पाएंगी, जब तक कि वे नुकसान में कमी लाने का उपाय नहीं करती हैं।
‘पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) द्वारा सालाना प्रकाशित विद्युत उपयोगिता के प्रदर्शन पर रिपोर्ट के अनुसार, वितरण उपयोगिताओं का वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में 46,521 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2021-22 में 31,026 करोड़ रुपये हो गया है। राज्य-वार और उपयोगिता-वार विवरण निम्नलिखित है:
संग्रहण आधार पर लाभ/(हानि) का राज्य-वार और उपयोगिता-वार ब्यौरा (पीएटी) (करोड़ रुपये)