– राजकीय कॉलेज में सहायक प्रोफेसर्स के हजारों खाली पड़े पदों पर पक्की भर्ती की लम्बे समय से कर रहे हैं मांग
– 12 दिसंबर को पंचकूला व चंडीगढ़ की सड़कों पर निकालेंगे मौन जुलूस : प्रोफेसर सुभाष सपड़ा
-आधे से अधिक विषयों के लिए वर्ष 2016 के बाद भर्ती नहीं हुई
– कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के कुल 8137 पद हैं स्वीकृत जबकि 4738 पद रिक्त
गुरुग्राम : हरियाणा एस्पाइरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ( HAAPA/हापा) प्रदेश के राजकीय कॉलेज में हजारों खाली पड़े सहायक प्रोफेसरों के पदों पर रेगुलर भर्ती की मांग को लेकर 12 दिसंबर को पंचकूला व चंडीगढ़ की सड़कों पर मौन जुलूस निकालेगी . इस प्रदर्शन में प्रदेश के सैकड़ो नेट/स्कॉलर्स/टॉपर्स शामिल होंगे और प्रदेश सरकार को उनके किये वायदे की याद दिलाएंगे . एसोसिएशन की ओर से प्रदेश सरकार से रिक्त पदों पर नियमित भर्ती करने की मांग की जाएगी. उनकी ओर से यह मांग लम्बे समय से की जाती रही है लेकिन सरकारी तंत्र असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए योग्य अभ्यर्थियों के भाविष्य से खिलवाड़ कर रहा है .
हापा के संस्थापक सदस्य व हरियाणा राजकीय कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (HGCTA) के पूर्व प्रादेशिक उपाध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष सपड़ा ने बताया कि हरियाणा में सरकार द्वारा वर्ष 2019 में कुल 524 पदों पर कुछ ही विषयों में आखिरी बार सहायक प्रोफेसर प्रोफेसरों की भर्ती की गई थी। आधे से अधिक विषय ऐसे भी हैं जिन पर वर्ष 2016 के बाद से अब तक भर्ती नहीं हुई है। जबकि प्रदेश सरकार ने रेगुलर भर्ती के संबंध में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर बताया था कि राज्य के राजकीय कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के कुल 8137 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से कुल 4738 पद रिक्त हैं अर्थात कुल स्वीकृत पद का 60 फ़ीसदी पद रिक्त है। इस हकीकत से कोसों दूर सरकार पक्की भर्ती के नियमों में संशोधन का हवाला देकर इसे टालते आ रही है और योग्य अभ्यर्थी का भविष्य अधर में लटका हुआ है ।
प्रोफेसर सुभाष सपड़ा ने बताया कि हरियाणा प्रदेश के राजकीय कॉलेजों के करीब 2000 एक्सटेंशन लेक्चरर बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया व बिना आरक्षण नीति को लागू किए ही कार्य कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ एक्सटेंशन लेक्चरर की फर्जी पीएचडी डिग्री/गलत समायोजन/ गलत चयन प्रक्रिया/ भाई भतीजावाद से ग्रस्त भर्ती पूरी तरह से संदेह के घेरे में हैं। यह सब कुछ पूर्व में प्रदेश सरकार द्वारा गठित जांच कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट भी कर दिया है। फिर भी हरियाणा की गठबंधन सरकार ने इनके विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। प्रदेश में जहां एक ओर पूर्ण शिक्षित व योग्य युवा बेरोजगार हैं, तो दूसरी ओर कॉलेजों में नान एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर लगाये गए हैं जिनसे उन कालेजों के विद्यार्थियों के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ हो ही रह है साथ ही योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का भी हनन हो रहा है ।
इस सब के बावजूद अब सरकार पक्की भर्ती करने से बचने के लिए नई नीतियों पर कार्य कर रही है. इसमें वह प्रदेश के समूचे ऐडेड कॉलेजों को पूर्णतया मर्ज (समायोजित) करने की बजाय पहले से ही कॉलेजों में काम कर रहे नियमित स्टाफ को सरकारी कॉलेजों में मर्ज (समायोजित) करने जा रही है. इसका प्रदेश के हजारों शिक्षित योग्य बेरोजगार युवा विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार, सहायक प्रोफेसर के शेष खाली पदों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम (NKRN) के अंतर्गत भरने की योजना बना रही है।
अगर सरकार उपरोक्त योजनाओं को लागू करती है तो प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवा अभ्यर्थी जो पिछले कई वर्षों से रेगुलर सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पंचकूला व चंडीगढ़ की सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं उनका जीवन अधर में लटक जाएगा। उनका सहायक प्रोफेसर बनने का सपना सदा के लिए टूट जाएगा जो संवैधानिक और सामजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अन्याय है. और यह तो तब हो रहा है जब हरियाणा के मंत्री व उच्च शिक्षा अधिकारी समय-समय पर आश्वासन का लॉलीपॉप देकर बरगलाते रहे हैं. इससे पूर्व भी कई बार हरियाणा एस्पाइरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के बैनर तले सभी योग्य युवाओं ने यूजीसी के नियमों के तहत नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की माग को लेकर चंडीगढ़ व पंचकूला की सड़कों पर प्रदर्शन किया था. उन्हें उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों व सरकार के बड़े अधिकारियों ने उनकी मांग पर अमल करने का आश्वासन भी दिया लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात वाली रही.
आश्चर्यजनक रूप से जिस प्रदेश के मुखिया सरकारी नौकरियों में “न पर्ची न खर्ची ” की दुहाई देते थकते नहीं हैं वहां उच्च शिक्षण संस्थानों यानी सरकारी कालेजों व यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के मामले में टालमटोल की रणनीति अपनाई जा रही है. प्रदेश के युवाओं में इसको लेकर काफी रोष देखने को मिला रहा है. यही कारण है कि एक बार फिर हरियाणा एस्पाइरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने आन्दोलन तेज करने का संकेत देना शुरू कर दिया है. इसकी पहली कड़ी के रूप में एसोसिएशन के सदस्य सरकार को जगाने के लिए मौन जुलूस की शक्ल में सडकों पर उतरेंगे.
प्रोफेसर सुभाष सपड़ा ने बताया कि कई बार मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व राज्यपाल के नाम भी रेगुलर भर्ती के लिए ज्ञापन दिया गया है, मगर आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हापा के वरिष्ठ सदस्यों की टीम मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल से भी सहायक प्रोफेसर की पक्की भर्ती की मांग को लेकर कई बार मुलाकात कर चुकी हैं। वे पंचकूला व चंडीगढ़ के कई चक्कर लगाते रहे हैं। परंतु किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। अब बिगड़ती हालत को देखते हुए सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के विरुद्ध सैकड़ो शिक्षित युवा अभ्यर्थी पंचकूला व चंडीगढ़ में पक्की भर्ती की मांग को लेकर 12 दिसम्बर को मौन जुलूस निकालेंगे।