- वायु प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर एक अक्टूबर से लगा दिया जाएगा ग्रेप
- इंफ्रास्ट्रचर में सुधार की दिशा में जमीनी स्तर पर नहीं हो रहा काम, ठोस कदम उठाने की जरूरत
- प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने उठाया ग्रेप से इंडस्ट्री को होने वाले आर्थिक नुकसान का मुद्दा
गुरुग्राम : आने वाली एक अक्टूबर से वायु प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद इंडस्ट्री के लिए परेशानियां खड़ी हो जाएगी। यह कहना है प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के वाइस चेयरमैन डा. एस पी अग्रवाल का। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के लिए इंडस्ट्री को मोहरा बनाया जा रहा है, जो उचित नहीं है। इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर काम कराने की आवश्यकता है। इनका कहना है कि हम पिछले पांच साल से वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इंफ्रास्ट्रर में सुधार की मांग कर रहे हैं, मगर इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। यही कारण है कि धरातल पर इसका कोई सुधारात्मक उपाय नजर रहीं आ रहा है। पावर इंफ्रास्ट्रर में सुधार, सड़कों से कूड़ा-कचरा हटाना और नए फुटपाथ बनाने का काम बहुत जल्दी किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि शहर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं। आज इंडस्ट्री को जो भी परेशानी हो रही है वह सब कुछ सरकारी उदासीनता के कारण। वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार जो भी कह रही है उसमें इंडस्ट्री इंप्रूवमेंट कर रही है। इसके बाद भी उद्योग जगत को परेशान होना पड़े अच्छी बात नहीं है।
फीएफटीआई की ओर से शहर में जगह-जगह पर पानी के छिड़काव कराने और पक्के फुटपाथ बनाने का काम जल्द शुरू होना चाहिए। पीएफटीआई पदाधिकारियों का कहना है कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के मामले में इंडस्ट्री सरकार के साथ है, मगर सरकार को भी आगे आकर काम करने की जरूरत है। सरकारी स्तर पर काम वह किया जाए जो धरालत पर दिखे। डा अग्रवाल ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी का काम सिर्फ सख्ती करना ही नहीं होना चाहिए सुधारात्मक भी होना चाहिए। फिलहाल सरकारी स्तर पर इस मामले में इंप्रूवमेंट नहीं नजर आ रही है। इंडस्ट्री वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं है। औद्योगिक इकाइयों में उत्जर्सन मानकों को अनुरूप होता है। जरूरत है वायु प्रदूषण के ठोस कारणों के निदान की। औद्योगिक क्षेत्रों में पावर इंफ्रास्ट्रर को दुरुस्त कर सातों दिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति की ठोस व्यवस्था सरकारी स्तर पर की जाए। वहीं सभी औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी की लाइन का इंफ्रास्ट्रक्चर समय से तैयार कर लिया जाए। वहीं दोहरे ईंधन पर आने और पीएनजी कनेक्शन लेने के लिए माइक्रोए स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज को सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाए। यदि गुरुग्राम की बात की जाए तो यहां पर 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाईयां हैं l इन्हें गैस ईंधन पर आने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना पड़ेगा। एमएसएमई की वहन क्षमता से काफी अधिक है।
पीएफटीआई, गुरुग्राम के महासचिव राकेश बत्रा ने कहा कि आने वाले एक अक्टूबर से ग्रेप प्रभावी हो जाएगा। ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में 19 केवीए से अधिक क्षमता वाले डीजल जेनरेटर का संचालन प्रतिबंधित हो जाएगा। इनका कहना है कि कोई भी उद्यमी या ट्रेडर अपने यहां डीजल जेनरेटर का संचालन नहीं करना चाहता है। ऐसा करने से उनके उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है। डीजी सेट चला कर उत्पादन करने का खर्च 30 से 35 रुपये प्रति यूनिट आता है। उद्यमी इसका इस्तेमाल सिर्फ उस समय करना चाहते हैं जब बिजली उपलब्ध नहीं हो। वह तो केवल पावर बैकअप के रूप में ही जेनरेटर के संचालन को मजबूतर होते हैं। यदि उन्हें सरकार 24 घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराए तो वह डीजल जेनरेटर नहीं चलाएंगे। मौसम चाहे जो हो पावर कट हमेशा उद्योग जगत की परेशानी का कारण बनी हुई है। इसके अलावा पावर ट्रिपिंग, ब्रेक डाउन, अघोषित पावर कट, मेंटिनेंस और फॉल्ट के नाम पर कट का सिलसिला लगातार चलता रहता है। ऐसे माहौल में उद्यमियों को अपने आर्डर पूरे करने के लिए डीजल जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है। अब उस पर भी बिना ठोस विकल्प दिए प्रतिबंध ग्रेप के कारण लग जाएगा।
वायु प्रदूषण के निदान के लिए पीएफटीआई के सुझाव :
- पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त किया जाए 24 घंटे बिजली की उपलब्धता से वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण होगा ।
- गुरुग्राम में प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं।
- फुटपाथों को पक्का किया जाए और हर रोड पर सफाई करने के बाद सड़कों से मिट्टी को हटाया जाए ।
- गुरुग्राम में अभी भी 30 हजार से अधिक डीजल ऑटो चल रहे हैं l इनको पीएनजी में कंवर्ट किया जाए ।
- सड़कों की सफाई रात के समय की जाए ।
- खुले में कूड़े के जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाए ।
- नगर निगम को चाहिए की वह कूड़े का निस्तारण सही से करे यहां वहां कूड़ा न डाले ।
- जहां पर धूल हो वहां पर नियमित तौर से पानी का छिड़काव हो ।