सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव की दृष्टि से राज्यों के संगठन में बदलाव करना शुरू कर दिया है . कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अरविन्द्र सिंह लवली को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर प्रदेश में बड़े बदलाव का संकेत दिया है . कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रदेश स्तर पर इस प्रकार के बदलाव से आने वाले समय में और भी कई नियुक्तियां होने के आसार हैं . यह सिलसिला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में श्री खरगे के निर्वाचित होने के साथ ही शुरू हो गया था .
कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने अपनी धार तेज करने का फैसला लिया है. समझा जाता है कि दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिए ही जुझारू नेता व पूर्व मंत्री अरविन्द्र सिंह लवली को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है. श्री लवली इससे पूर्व भी वर्ष 20 दिसम्बर 20 13 से 10 फ़रवरी 20 15 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. तब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं . श्री लवली शीला दीक्षित के विश्वास पात्र नेताओं में से एक थे. लवली को हटा कर अजय माकन को यह जिम्मेदारी 2015 में दी गई थी जो 5 जनवरी 2019 तक इस पद पर रहे लेकिन कोई पार्टी को फायदा नहीं पहुंचा . हालांकि उनके बाद पार्टी ने तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था लेकिन उनकी जुलाई 2019 में ही उनका देहांत हो गया था . उनके बाद सुभाष चोपड़ा को अक्टूबर 2019 में जिम्मेदारी दी गई फिर पार्टी नेतृत्व ने मार्च 2020 में अनिल चौधरी में विश्वास जताया लेकिन पार्टी का जनाधार मजबूत होने के बजाय कमजोर होता चला गया.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान लवली को सौंपने से एक तरफ कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को चार्ज करना चाहती है जबकि दिल्ली के मतदाताओं में सिक्ख समुदाय का बड़ा वर्ग भी पार्टी की ओर आकर्षित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि न तो भाजपा ने पिछले कई वर्षों से सिख समुदाय के किसी नेता को दिल्ली की राजनीति में आगे किया और न ही आम आदमी पार्टी ने इस समुदाय को अपेक्षित तवज्जो दी है. पार्टी का मानना है कि अरविन्द्र सिंह लवली इस फार्मूला में फिट बैठते हैं. उनका व्यक्तित्व एक जुझारू कांग्रेसी की रही है .
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष के अंत तक देश के पांच प्रमुख राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं जबकि आने वाले वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है . हालांकि राजनीतिक विश्लेषक यह भी कह रहे हैं कि वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार समय से पहले भी लोकसभा चुनाव करवा सकती है. दिल्ली में पिछले कई चुनावों से पार्टी को लगातार मिल रही करारी हार के सिलसिले से भी बाहर होना है . दिल्ली में अब तक कई प्रदेश अध्यक्ष बदले गए लेकिन नतीजा सिफर रहा. इनमें इसलिए पार्टी अब पुराने और आजमाए हुए चेहरे को लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटना चाहती है.
अभी हाल ही में पार्टी नेतृत्व ने गत गुरुवार (17 अगस्त) को पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए रणदीप सुरजेवाला को मध्य प्रदेश राज्य का प्रभारी महासचिव बनाया था . श्री सुरजेवाला उसी राज्य के सीनियर ऑब्जर्वर का काम भी देख रहे हैं. दूसरी तरफ पार्टी ने राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण राज्य गुजरात के प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी मुकुल वासनिक को दी थी.
देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस नेतृत्व ने बृजलाल खाबरी की जगह अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त करने का फरमान जारी किया था . उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की महसचिव प्रियंका गांधी सक्रीय रहती हैं और अजय राय उनके विश्वासपात्र माने जाते हैं . 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बदलाव महत्वपूर्ण माना जा रहा है . पार्टी राज्य में कई दशक से अपने खोये हुए जनधार को वापस हासिल करना चाहती है . समझा जाता है इस क्रम में कुछ और बदलाव भी देखने को मिले सकते हैं .
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव थे जिनकी जगह पर सुरजेवाला को जिम्मेदारी दी गई है. मुकुल वासनिक को राजस्थान कांग्रेस के नेता रघु शर्मा के इस्तीफे के बाद गुजरात प्रभारी महासचिव बनाया गया . गुजरात में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद रघु शर्मा जो राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं ने प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था.
इस लिहाज से कांग्रेस पार्टी में हो रहे संगठनात्मक बदलाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इनमें मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण राज्य है जहां पार्टी सत्ता में काबिज होना चाहती है .
रणदीप सुरजेवाला कर्नाटक राज्य के प्रभारी महासचिव हैं और इन के निर्देशन में पार्टी को वहां विधानसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल हुई. भारतीय जनता पार्टी को हराकर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई. पार्टी नेतृत्व श्री सुरजेवाला के संगठनात्मक अनुभव को मध्यप्रदेश में भी उपयोग करना चाहती है.
कौन हैं अरविन्द्र सिंह लवली ?
अरविंदर का जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही अरविंदर सामाजिक कार्यों में सक्रीय रहते थे। पढ़ाई के दौरान अरविंदर कॉलेज के छात्रसंघ के लिए चुने गए। वह विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संगठनों के साथ सक्रिय रूप से शामिल थे। अरविंदर दिल्ली स्थित भीमराव अंबेडकर कॉलेज के अध्यक्ष भी बने।
पढ़ाई के दौरान ही राजनीतिक गतिविधियों में अरविंदर की गहरी दिलचस्पी जाग गई थी। उन्होंने 1992 से 1996 तक कांग्रेस की छात्र इकाई एएनयूआई के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में काम किया। साल 1998 में पहली बार अरविंदर गांधीनगर से विधायक चुने गए। उस समय अरविंदर दिल्ली विधानसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य थे।
शीला सरकार में 1998 से 2013 तक वह तीन बार विधायक रहने के साथ-साथ मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान 2003 में अरविंदर को कैबिनेट में शामिल किया गया। शीला दीक्षित की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहते हुए अरविंदर ने पब्लिक स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण शुरू करने की पहल की थी। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली को देश का पहला ऐसा राज्य बनाने की पहल की जहां स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा प्रदान कराई जाती है।
पर्यटन मंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कुतुब महोत्सव, भक्ति महोत्सव, अनन्या महोत्सव, शरद उत्सव, उद्यान पर्यटन महोत्सव और मैंगो महोत्सव जैसे कई पहल किए। साल 2017 में दिल्ली में नगर निगम चुनाव के वक्त अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि इसके करीब साल भर बाद ही वह भाजपा को छोड़कर वापस कांग्रेस में आ गए।