-केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में तीन विधेयक पेश किया
सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने गुलामी कीं निशानियाँ मिटाने का ऐलान करते हुए भारतीय अपराध सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) , दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 (Criminal procedure act 1898 ) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian evidence act 1872) को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज शुक्रवार 11 अगस्त को इन डेढ़ सौ साल से भी पुराने कानूनों की जगह तीन नए कानून बनने के लिए तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए. गृहमंत्री ने कहा कि देश में अमृतकाल की शुरुआत होने वाली है और मैं गुलामी की निशानी के बोझ को समाप्त करने की दिशा में ये विधेयक ले कर आय हूँ . उन्होंने तीनों विधेयकों को गहन विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव किया जिसे ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया. आपराध नियंत्रण, दंड प्रक्रिया और न्याय की दुनिया के लिए यह ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है जबकि इससे जुड़े लोगों को नए सिरे से इन तीनों कानूनों का अध्ययन विस्तार से करने की आवश्यकता होगी क्योंकि इसमें पूर्णतः बदलाव ककर दिया गया है .
लोकसभा में तीन बिल पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि तीनों पुराने कानूनों का स्थान अब क्रमशः 1. भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023; 2. भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023; और 3. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 लेगा. ये तीनों कानून ब्रिटिश पार्लियामेंट से पारित किये गए थे जो भारत में 1860 से 2023 तक लागू थे. उन्होंने कहा कि ये तीनों पुराने कानून ब्रिटेन के शासक को सुरक्षा देने के लिए बनाये गए थे न कि आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब यहाँ किसी पर राजद्रोह का मुकदमा नहीं चलेगा क्योंकि राजद्रोह से सम्बन्धित कानून समाप्त करने का प्रावधान है जबकि आतंकवाद , उग्रवाद और अलगाववाद जैसे राष्ट्र सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले आपराधिक कृत्य जो इन कानूनो में नहीं थे नए सिरे से व्याख्या की गई है .
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया था कि देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर गुलामी की सभी पुरानी निशानियों को पीछे छोड़ देगा. इसी क्रम में हम अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई और उपनिवेशवाद की निशानी तीन दंड सहिताओं को हमेशा-हमेशा को बदलने वाल विधेयक सदन के पटल पर पेश कर रहे हैं. ये तीनों विधेयक पीएम मोदी के पांच प्रण में से एक प्रण को पूरा करने वाले हैं.’
उन्होंने कह कि ,’1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के मुताबिक काम करती रही. अगर तीन कानून बदल जाएंगे तो देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल चूल बदलाव आएगा ‘.
अगर यह बिल पास हो जातें है तो भारत में आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023; और Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभाव में आ जाएगा.
क्या है बदलाव ?
-तीनों नए कानूनों का फॉक्स न्याय देना होगा न कि दंड देना
-केवल अपराध बोध रोकने के लिए दंड दिए जाने का प्रावधान है
– अब कानून के केंद्र में गारिक होंगे न कि शासक
-राजद्रोह , खजाने को लूटना और अधिकारियों पर हमले सम्बन्धी प्रावधान को हटा दिया गया है
-सी आर पी सी में सबसे अंत में मानव हत्या (धारा 302)और महिला व बाल बलात्कार (धारा 376) अपराध की धारा थी
– अब नए कानून में पहला चेप्टर महिला व बाल बलात्कार सम्बन्धी अपराध होगा जबकि दूसरे चैप्टर में मानव हत्या का मामला होगा
– नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी. इसमें 12 धारा निरस्त
-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 533 धाराएँ होंगी, 160 धाराओं को बदल दिया गया जबकि 9 धारा निरस्त
– भारतीय साक्ष्य कानून में 23 धाराओं में बदलाव किया गया है
-सबूत जुटाने के समय वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी.
-जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.
-गुनाह किसी भी इलाके में हुआ हो लेकिन एफआईआर देश की किसी भी हिस्से में दर्ज की जा सकेगी.
-3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा.
-90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
-60 दिन में ट्रायल पूरी करनी होगी
-चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
– 7 दिन के अंदर कोर्ट को फैसला ऑनलाइन डालना होगा
-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर अनुमति देनी या मना करना जरूरी है अन्यथा उसे डीम्ड परमिशन माना जाएगा
-घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की जाएगी. संगठित अपराध में कठोर सजा सुनाई जाएगी.
-गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा.
– गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी
-18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
-राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है.
– सम्पूर्ण ट्रेल विडियो कांफ्रेंस से होगा
-सर्च और जब्ती के समय विडियोग्राफी करनी होगी
-हर जांच में फॉरेंसिक एक्सपर्ट शामिल होंगे , हर जिले में तीन फॉरेंसिक मोबाइल होंगे
-कन्विक्शन रेट्र को 90 प्रतिशत लेकर जाना है लक्ष्य
-इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सुनवाई होगी
-यौन पीडिता के बयान की विडियो ग्राफी होगी
-90 दिनों में पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी
-7 साल की सजा वाले केस में केस वापस लेने के लिए पीड़ित का पक्ष जानना जरूरी होगा
-40 प्रतिशत केस सेशन कोर्ट से ही बाहर हो जायेंगे
– अब किसी रिटायर्ड पुलिस अधिकारी या जिनका ट्रान्सफर हो गया या फिर परमोशन हो गया उन अधिकारियों को गवाही देने के लिए नहीं बुलाया जाएगा . इनकी जगह वर्तमान पुलिस अधिकारी ही मामले में उपस्थित होंगे
-संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान शामिल किया गया
– शादी, रोजगार का झांसा देने वाले का अपराध भी शामिल
-गलत पहचान बताकर शादी करें वाले के लिए सजा का प्रावधान
-गंभी चोट के मामले में अपंगता और कम चोट वाले अपराध के लिए अलग अलग सजा का प्रावधान
-अब देश से भागे अपराधियों के मामले में उसकी अनुपस्थिति में भी कोर्ट ट्रायल होगी और सजा सुनाया जा सकेगा
-पुलिस स्टेशन में स्वच्छता के लिए पुराने वाहनों की एविडेंस के लिए विडियोग्राफी की जायेगी