अविश्वास प्रस्ताव : कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोदी सरकार को अंधी सरकार बताया, लोक सभा में भारी हंगामा

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-कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अनिश्चित कालीन निलंबित किया  

-पीएम पर असंसदीय टिपण्णी करने का मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपे जाने का प्रस्ताव पारित 

सुभाष चौधरी /The Public World 

नई दिल्ली :  लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का हो रही चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस पार्टी के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आज अपने तीखे शब्द बाणों से सत्ता पक्ष को तिलमिला दिया. मणिपुर में हुई नस्लीय हिंसा की घटना को प्रमुखता से उठाते हुए उन्होंने कहा की संसद में सरकार के पास बहुमत होने की जानकारी होते हुए भी विपक्ष को प्रधानमंत्री को संसद में आने के लिए मजबूर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसा संसदीय औजार का उपयोग करना पड़ा.  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर हिंसा पर कुछ नहीं बोले.  विपक्ष ने बारंबार प्रधानमंत्री से सदन में आकर इस मामले पर बात रखने की मांग की लेकिन आज हमने उन्हें सदन में आने को मजबूर कर दिया.  कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि धृतराष्ट्र अंधे थे और उनके सामने द्रोपदी का चीर हरण होता रहा उसी तरह आज केंद्र की सरकार अंधी है और मणिपुर में माताओं बहनों का चीरहरण हो रहा है.  इस पर लोकसभा में जबरदस्त हंगामा होने लगा.  भाजपा के सांसद उद्वेलित होकर नारेबाजी करने लगे.  संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने नियमों का हवाला देते हुए अधीर रंजन चौधरी से माफी मांगने की मांग की.  गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर सख्त आपत्ति जताई और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस मामले में व्यवस्था देने की मांग की. 

अविश्वास मत पर चर्चा समाप्त होने और उसे ध्वनिमत से नकारे जाने के बाद संसदीय कार्य मंत्री की ओर से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को असंसदीय टिपण्णी करने के लिए संसद से निलंबित करने व उस मामले को लोक सभा की विशेषाधिकार समिति को सौंपे जाने की माग करते हए एक प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया . जाहिर है कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अनिश्चित कालीन निलंबित कर दिया गया .

 उल्लेखनीय है कि लोकसभा में 2 दिन पूर्व कांग्रेस पार्टी के संसदीय दल के उपनेता गौरव गोगोई ने वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था.  उन्होंने मणिपुर हिंसा  को लेकर सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की थी.. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का आज तीसरा दिन था.  सबसे पहली केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के पक्ष में जोरदार बैटिंग की. 

 

कांग्रेस पार्टी की ओर से संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जमकर सरकार पर प्रहार किया.  उन्होंने  नरेंद्र मोदी सरकार के लिए नैतिकता  को सर्वोपरि मानने की सीख देते हुए  वर्ष 1782 में लंदन की संसद में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लार्केड नॉट के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा की.  उन्होंने कहा कि तब लंदन की संसद में वहां के प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तो प्रधानमंत्री ने  तत्काल अपना इस्तीफा ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज थर्ड को सौंप दिया था.  उन्होंने कहा की लोकतांत्रिक व्यवस्था की लंबी परंपरा रही है और उसी परंपरा का निर्वहन भारत में भी लोकतांत्रिक शासन को अपनाने में किया गया है. 

 

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 1953 में पहला अविश्वास प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के खिलाफ संसद में लाया गया था.  अब तक 28 अविश्वास प्रस्ताव इस संसद में पेश  किए गए हैं चीन में बहुतायत में बहुमत के कारण सरकार की जीत होती रही है.  उन्होंने कहा कि उन्हें इस बार की कतई आशंका नहीं है कि  कि इस अविश्वास प्रस्ताव के कारण वर्तमान सरकार गिरेगी क्योंकि उनके पास अपार बहुमत है. बावजूद इसके विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसा संसदीय औजार का उपयोग किया क्योंकि प्रधानमंत्री संसद में आकर मणिपुर जैसी नस्लीय हिंसा पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे थे .  इसलिए विपक्ष के पास प्रधानमंत्री को संसद में आने के लिए मजबूर करने की दृष्टि से कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था. 

 

 सत्ता पक्ष की ओर से लगातार नारेबाजी चलती रही जबकि विपक्ष ने भी अपने गठबंधन के पक्ष में नारेबाजी जमकर की. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आज 1 दिन पूर्व 8 अगस्त के ऐतिहासिक महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि इस दिन वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा की राष्ट्रव्यापी अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देते हुए आंदोलन छेड़ा था.  इस आंदोलन को लेकर उन्होंने तब की एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए यह बताने की कोशिश की कि भारतीय जनता पार्टी के पूर्वज श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग दोनों ने मिलकर ब्रिटिश की तरफदारी की थी और तत्कालीन संयुक्त सरकार में दोनों सहयोगी बने थे.  जबकि कांग्रेस ने उस संयुक्त सरकार का विरोध किया था.  उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के पूर्वज ब्रिटिश शासक  की तरफदारी करने वाले रहे हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितने राष्ट्रभक्त हैं. 

 

कांग्रेस सांसद ने कहा कि 8 अगस्त का दिन ऐतिहासिक आंदोलन को याद करने और आजादी के आंदोलन में शहीदों की कुर्बानी को सलाम करने की परंपरा है लेकिन वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने उस दिन शहीदों की कुर्बानी को भी अनर्गल नारे देकर अपमानित किया.  उन्होंने कहा कि हम कांग्रेसी सहित सभी विपक्ष, शहीदों की कुर्बानी को बदनाम नहीं होने देंगे . भारत माता की आंचल को बर्बाद नहीं होने देंगे और इस देश से सांप्रदायिक करण,  ध्रुवीकरण और भगवाकरण के लिए भारत छोड़ो की स्थिति पैदा करके रहेंगे. 

 

अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री को नीरव मोदी की संज्ञा देते हुए कटाक्ष किया जिस पर सत्भीता पक्ष के सांसद ही नहीं केन्द्रीय मंत्री भी आग बबूला हो अगये और उनके शब्दों को संसदीय कार्यवाही से बाहर करने की मनाग करने लगे. लेकिन अधीर रंजन चौधरी ने अपनी बात वापस लेने से इनकार कर दिया यह कहते हुए कि उन्होंने किसी को आहत करने के लिए यह बात नहीं कही है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधान मंत्री को चाहिए था कि मणिपुर की नस्ली हिंसा के बारे में राज्य के लोगों को शांति का पैगाम दे.  संसद में आकर मणिपुर के लोगों से अपील करनी चाहिए थी और वहां की स्थिति के बारे में संसद में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी.  उन्होंने प्रधानमंत्री की तीव्र आलोचना करते हुए कहा कि आज देश में हर दिन नए दुख पैदा हो रहे हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर में सरकार ने जानबूझकर हालात बिगड़ने दिया. 

 

 मणिपुर की हिंसा के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्हें सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जा रहा था तभी फ्रांस,  यूरोपियन पार्लिमेंट और अमेरिका जैसे देशों में भी मणिपुर हिंसा की चर्चा चल रही थी जिससे देश की बदनामी हुई.  उन्होंने कहा कि इस मामले में विपक्ष प्रधानमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की मांग कर रहा था.  उन्होंने महाभारत काल की उपमा देते हुए कहा कि धृतराष्ट्र अंधा था और उसके सामने द्रोपदी का वस्त्रहरण होता रहा. ठीक उसी तरह आज वर्तमान सरकार अंधी है और मणिपुर में माताओं बहनों का चीरहरण हो रहा है जबकि प्रधानमंत्री नीरव मोदी बनकर चुप्पी साधे हुए हैं. 

 

 उन्होंने कहा कि 1 दिन पूर्व संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो बातें कही वह बेहद आपत्तिजनक थी.  उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने मणिपुर में बफर जोन बनने और वहां 36000 सुरक्षाबलों को तैनात करने की बात स्वीकारी जो वास्तव में बेहद चिंताजनक है.  उन्होंने कहा कि अमित शाह ने घातक बयान दिया क्योंकि बफर जोन तो लाइन ऑफ कंट्रोल पर होता है ना कि अपने ही राज्य में.  उन्होंने कहा कि भौगोलिक रूप से इस प्रकार की बात करना बेहद खतरनाक है.  इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी विफर गए.  भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसद अपनी सीटों से खड़े होकर अधीर रंजन चौधरी का पुरजोर विरोध करने लगे. 

 

 संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने नियम 352 के तहत प्वाइंट ऑफ़ आर्डर का हवाला देते हुए किसी भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के बारे में और संसदीय शब्दों का प्रयोग करने पर आपत्ति जताई.  संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस मामले में अधीर रंजन चौधरी से माफी मांगने का निर्देश देने की मांग की.  लोकसभा अध्यक्ष ने भी आपत्ति जताई और चेतावनी दी कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ और संसदीय शब्दों का प्रयोग करने से सभी सांसदों को बचना चाहिए. हालांकि अधीर रंजन चौधरी अपनी बातों पर लगातार अड़े रहे और उन्होंने माफी नहीं मांगी. संसदीय कार्य मंत्री ने कांग्रेसी सांसद द्वारा कही गई बातों को संसदीय कार्यवाही से बाहर करने की मांग की. लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी बातों को कार्यवाही से निकाल दिया गया है.

 

कांग्रेसी सांसद ने कहा कि जब प्रधानमंत्री को मेरी बात से कोई आपत्ति नहीं है तो फिर दूसरे मंत्रियों और सांसदों को बोलने का क्या अधिकार है ?  हालांकि प्रधानमंत्री उस वक्त संसद में मौजूद थे और उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने अधीर रंजन चौधरी को बोलने से मना कर दिया.  दोनों पक्षों के बीच नारेबाजी जमकर होने लगी. अधीर रंजन चौधरी को दोबारा बोलने का मौका नहीं मिलने पर विपक्षी सांसदों ने सदन से वाकआउट कर दिया. 

 

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