प्रदेश के समग्र विकास के लिए जिला पर्यावरण योजना बेहद महत्वपूर्ण : जस्टिस आदर्श कुमार गोयल

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– एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने मुख्य अतिथि के तौर पर हिपा में किया एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उदघाटन 

गुरुग्राम, 26 जून। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण व कचरा निष्पादन के लिए धरातल पर होने वाले कार्यों के लिए जिला पर्यावरण योजना (डीईपी) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जिला पर्यावरण योजना के माध्यम से सरकारी एजेंसियां, स्थानीय अधिकारी, नागरिक, सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थान और समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच आपसी सहयोग की भावना विकसित होती है। उन्होंने यह बात सोमवार को गुरुग्राम के हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित जिला पर्यावरण योजना के कार्यांवयन को लेकर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ करने के उपरांत अपने संबोधन में कही।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने जिला स्तर पर विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों में पर्यावरणीय विचारों को एकीकृत करने में जिला पर्यावरण योजना की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए जिला पर्यावरण योजना को एक अनिवार्य घटक मानते हुए बताया कि इसके माध्यम से मौजूदा पर्यावरणीय स्थितियों का विश्लेषण करना, जिले के लिए विशिष्ट प्रमुख चुनौतियों की पहचान करना और विकासात्मक गतिविधियों के परिणामस्वरूप संभावित प्रभावों का आकलन करना शामिल है। यह मूल्यांकन उन लक्ष्यों और उद्देश्यों को निर्धारित करने के लिए आधार प्रदान करता है जोकि पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करते है और जिले के सतत विकास को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि स्थापित लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से विशिष्ट कार्य योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने में भी जिला पर्यावरण योजना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन कार्य योजनाओं में प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना और पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता के उपाय शामिल हैं।

उन्होंने जिला पर्यावरण योजना के भीतर एक मजबूत संस्थागत ढांचा स्थापित करने के महत्व पर भी जोर दिया। यह ढांचा डीईपी के कार्यान्वयन और निगरानी में शामिल जिम्मेदार एजेंसियों, समन्वय तंत्र और विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं की पहचान करता है। उन्होंने डीईपी के भीतर निगरानी और मूल्यांकन तंत्र की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह तंत्र निरंतर सुधार को सक्षम होता है और उभरती पर्यावरणीय चुनौतियों और जिले की प्राथमिकताओं के प्रति उत्तरदायी रहता है।

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