स्प्लिट एसी की ऊर्जा 43 % तथा 5-स्टार स्प्लिट एसी में 61 % ऊर्जा दक्षता सुधार

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नई दिल्ली : भारत की ऊर्जा दक्षता नीतियों ने न केवल एयरकंडीशनरों की समग्र ऊर्जा दक्षता में सुधार किया है, बल्कि अत्यधिक ऊर्जा कुशल इनवर्टर प्रौद्योगिकी की तैनाती में भी तेजी लाई है। विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के आंकड़ों के अनुसार स्प्लिट रूम एयरकंडीशनरों के लिए समग्र दक्षता सुधार 1-स्टार के लिए 43 प्रतिशत तथा 5-स्टार के लिए 61 प्रतिशत का ऊर्जा दक्षता सुधार हुआ है। दूसरी ओर विंडो रूम एयरकंडीशनरों के लिए ऊर्जा दक्षता सुधार 1-स्टार में 17 प्रतिशत और 5-स्टार में 13 प्रतिशत हुआ है।

चित्र 1: विंडो और स्प्लिट एसी के लिए 1 स्टार और 5 स्टार में सुधार

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केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के कारण अधिक कुशल इनवर्टर आरएसी का बाजार हिस्सा भी बढ़ा है। 2015 में परिवर्तनीय गति (साधारणतः इनवर्टर के रूप में जाना जाता है) आरएसी की बाजार हिस्सेदारी 4.7 मिलियन इकाइयों के समग्र आरएसी बाजार आकार में 1 प्रतिशत से कम थी।  जून 2015 में बीईई ने इनवर्टर आरएसी के लिए भारतीय मौसमी ऊर्जा दक्षता अनुपात (आईएसईईआर) नामक एक नई स्टार रेटिंग पद्धति के साथ एक स्वैच्छिक लेबलिंग कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिसे जनवरी 2018 से अनिवार्य कर दिया गया था।

2015-16 से 2022-23 के 8 वर्षों के दौरान तक अधिक कुशल परिवर्तनीय गति (इनवर्टर) वाले आरएसी का हिस्सा 1 प्रतिशत से बढ़कर 99 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि के दौरान फिक्स्ड स्पीड आरएसी का बाजार हिस्सा 99 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत हो गया। 2020-21 तक आरएसी का कुल बाजार 6.6 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया। कुशल प्रौद्योगिकी की दिशा में बाजार में यह परिवर्तनीय गति (इनवर्टर) आरएसी नीति अपनाने से संभव हुआ, जो उपभोक्ताओं को बिजली और लागत बचत के मामले में लाभ प्रदान करता है।

चित्र 2-फिक्स्ड स्पीड तथा परिवर्तनीय गति (इनवर्टर) आरएसी का बाजार परिवर्तन

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ये हस्तक्षेप इंडिया कूलिंग कार्य योजना (आईसीएपी) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ कूलिंग मांग में कमी, रेफ्रीजेरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि तथा बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एकीकृत वीजन प्रदान करना है।

स्टार लेबलिंग कार्यक्रम के क्रियान्वयन में हुई प्रगति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह कार्यक्रम अपना इच्छित परिणाम प्राप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसलिए अगले कुछ दशकों में कूलिंग की मांग कई गुना बढ़ने जा रही है। आईसीएपी के अंतर्गत एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई है। आईसीएपी सुनिश्चित करेगी कि जब हम अपनी विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हैं तो इसे हम कुशल रूप से करते हैं। बीईई के महानिदेशक श्री अभय भारे ने कहा कि आईसीएपी एक विस्तृत योजना है, जो सभी क्षेत्रों को कवर करती है तथा सरकार आईसीएपी को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बीईई ऊर्जा प्रबंधन सीमा की कठोरता को बढ़ाने के लिए स्प्लिट और विंडो आरएसी के लिए स्टार रेटिंग योजनाओं को संशोधित करता रहा है। जैसा कि क्रमशः तालिका-1 और तालिका-2 में दिखाया गया है।

तालिका 1: स्प्लिट टाइप आरएसी के लिए स्टार रेटिंग योजनाओं में संशोधन

स्टार लेबल जनवरी 2009-दिसंबर 2011 जनवरी 2012-दिसंबर 2013 जनवरी 2014-दिसंबर 2017 जनवरी-2018 जून-2022 जुलाई-2022 दिसंबर-2024
1 स्टार 2.3 2.5 2.7 3.1 3.3
2 स्टार 2.5 2.7 2.9 3.3 3.5
3 स्टार 2.7 2.9 3.1 3.5 3.8
4 स्टार 2.9 3.1 3.3 4.0 4.4
5 स्टार 3.1 3.3 3.5 4.5 5.0

तकनीकी और आकार की बाधाओं के कारण विंडो आरएसी की तुलना में स्प्लिट आरएसी के लिए दक्षता सुधार की सीमा में निरंतर और पर्याप्त संशोधन देखे गए हैं (तालिका 2 देखें)। स्प्लिट आरएसी में किए गए सुधार को नीचे चित्र 1 में प्रस्तुत किया गया है।

चित्र 1: स्प्लिट एसी के लिए 1 स्टार और 5 स्टार में सुधार

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तालिकाः 2 विंडो/एकल टाइप आरएसी के लिए स्टार रेटिंग स्तरों में संशोधन

स्टार लेबर जनवरी 2009-दिसंबर 2013 जनवरी 2014- जून 2022 जुलाई 2022-दिसंबर 2024
1 स्टार 2.3 2.5 2.7
2 स्टार 2.5 2.7 2.9
3 स्टार 2.7 2.9 3.1
4 mस्टार 2.9 3.1 3.3
5 स्टार 3.1 3.3 3.5

पृष्ठभूमि

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने स्वैच्छिक पहल के रूप में 2006 में फिक्स्ड स्पीड रूम एयरकंडीशनर (आरएसी) के लिए स्टार लेबलिंग कार्यक्रम शुरू किया और यह कार्यक्रम 2009 में अनिवार्य हो गया। बीईई ने 2009-2018 से द्विवार्षिक आधार पर कार्यक्रम के अंतर्गत कवर किए गए आरएसी के लिए ऊर्जा प्रदर्शन सीमा (न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानक-एमईपी) को संशोधित किया।

बीईई ने 2015 में इनवर्टर आरएसी के लिए स्वैच्छिक लेबलिंग कार्यक्रम लॉन्च किया और 2018 में इस कार्यक्रम को अनिवार्य बना दिया गया। आरएसी के लिए लेबलिंग प्रोग्राम अब एक ही लेबलिंग योजना के अंतर्गत फिक्स्ड और इनवर्टर इकाइयों दोनों को कवर करता है। स्प्लिट एसी रेटिंग योजना में कैसेट तथा फ्लोर स्टेंडिंग/सिलिंग माउंटेड टाइप आरएसी भी शामिल है।

आरएसी की दक्षता को ऊर्जा दक्षता अनुपात (ईईआर) के सदंर्भ में  परिभाषित किया गया है, जो मानक रेटिंग स्थितियों में कुल बिजली इनपुट (वॉट में) के लिए कूलिंग आउटपुट (वॉट में) का अनुपात है। इसका अर्थ यह है कि ईईआर जितना ही अधिक होगा एयरकंडीशनर उतना ही कुशल होगा। बीईई ने 2018 में एक बेहतर रेटिंग पद्धति अपनाई जो भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों तथा परिचालन घंटों में तापमान में भिन्नता को दिखाती है। नए मीट्रिक को भारतीय मौसमी ऊर्जा दक्षता अनुपात (आईएसईईआर) कहा जाता है, जो कूलिंग मौसमी कुल भार (किलोवॉट में) और कूलिंग मौसमी ऊर्जा खपत (किलोवॉट में) का अनुपात है।

  • आरएसी के लिए वर्तमान ऊर्जा प्रदर्शन मानकों को 2018 में अधिदेश व्यवस्था के अंतर्गत अधिसूचित किया गया था। इन मानकों के लिए प्रारंभिक वैधता अवधि 1 जनवरी, 2018 से 31 दिसंबर, 2019 तक थी।
  • इसके अतिरिक्त 2019 में बाजार तैयारी अभाव के बदले मानकों को 31 दिसंबर, 2019 से आगे एक वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था। इसलिए इन मानकों के लिए संशोधित वैधता अवधि 1 जनवरी, 2018 से बदलकर 31 दिसंबर, 2020 कर दी गई थी।
  • 2020 के दौरान आरएसी उद्योग पर कोविड-19 के प्रभाव के बदले बीईई ने इन मानकों की वैधता को पहले 31 दिसंबर, 2020 से 31 दिसंबर 2021 तक 1 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया गया और फिर 6 महीने बढ़ाकर जून 2022 तक कर दिया।
  • इसके बाद संशोधित स्टार लेबलिंग को 1 जुलाई, 2022 से एकल और स्प्लिट टाइप के लिए लागू किया गया। वर्तमान वैधता अवधि 1 जुलाई, 2022 से 31 दिसंबर, 2024 है।

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