नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बड़ा खुलासा किया . उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन सरकार के दौरान सी बी आई ने गुजरात में एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए उन पर दबाव डाला था.
ग्रिग मंत्री ने यह चौकाने वाला वक्तव्य ‘राइजिंग इंडिया सम्मेलन 2023’ में नेटवर्क18 समूह के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी से बातचीत में दिया . इस अवसर पर अमित शाह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने के लिए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर निशाना साधा. गृह मंत्री ने कहा, ‘2014 और 2019 में हमने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने का वादा किया था. उन्होंने प्रति सवाल किया कि विपक्ष क्या चाहता है कि जो भ्रष्टाचार करे उसपर मुक़दमा ना दर्ज हो.’
अमित शाह के वक्तव्य की मुख्य बातें :
-सीबीआई कांग्रेस सरकार के दौरान कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पीएम मोदी, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उनको फंसाने के लिए मुझ पर दबाव बना रही थी. इसके बावजूद भाजपा ने कभी हंगामा नहीं किया.
– ‘मैं जब गुजरात का गृह मंत्री था तो सीबीआई ने मुझ पर एक एनकाउंटर के मामले में फर्जी केस दर्ज किया था. मुझसे सीबीआई के 90 प्रतिशत सवालों में यही होता था, क्यों परेशान हो रहे, नरेंद्र मोदी का नाम लेलो, बच जाओगे.
-हमने कभी काले कपड़े पहनकर संसद जाम नहीं किया. मुझे 90 दिन में ही हाई कोर्ट ने बेल दे दी. अदालत ने कहा कि मुझे गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत ही नहीं हैं.’
-‘मामला मुंबई हाई कोर्ट लेकर गए थे, गुजरात से बाहर. अदालत ने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध के तहत राजनीतिक इशारों पर सीबीआई ने यह केस दर्ज किया है, इसलिए अमित शाह पर दर्ज केस और सारे आरोपों को खारिज करते हैं.
-यही लोग बैठे थे, यही चिदंबरम थे, यही सोनिया गांधी नेतृत्व करती थीं यूपीए सरकार का, यही मनमोहन सिंह थे, यही राहुल गांधी सांसद थे. तब क्या हुआ था भाई?
-हमने तो हाय तौबा नहीं की. और आप लोगों पर जो केस चल रहे हैं सारे भ्रष्टाचार के केस हैं. राहुल गांधी का मामला बदजुबानी का है. यूपीए सरकार की तरह फर्जी और मनगढ़ंत केस नहीं हैं.’
-कांग्रेस नेता अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें अदालत ने दोषी ठहराया है और जिन्होंने लोकसभा की सदस्यता खो दी है. उनसे पहले 17 सांसदों की सदस्यता गई है, तब लोकतंत्र खतरे में नहीं पड़ा था, सिर्फ राहुल गांधी के मामले में ही लोकतंत्र खतरे में पड़ गया?