नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 06 मार्च को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर आयोजित नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान भारतीय नौसेना की सैन्य अभियानगत क्षमताओं की समीक्षा की। उन्होंने नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की और समुद्र में सैन्य प्रदर्शनों को देखा जिनके अंतर्गत देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए बहु-आयामी मिशन शुरू करने की नौसेना की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
कमांडरों को अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने दृढ़ता से खड़े होने तथा साहस और समर्पण से राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए नौसेना की सराहना की। उन्होंने समुद्री क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए भविष्य की क्षमता के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “भविष्य के संघर्ष अप्रत्याशित होंगे। लगातार बदलती विश्व व्यवस्था ने सभी को फिर से रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ-साथ पूरे समुद्र तट पर लगातार निगरानी रखनी चाहिए। हमें भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।”
श्री सिंह ने सुरक्षित सीमाओं को सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए पहली आवश्यकता बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नए जोश और उत्साह के साथ ‘अमृत काल’ में आगे बढ़ रहा है। इस बात पर जोर देते हुए कि आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा आपस में साथ साथ चलते हैं, उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र एक प्रमुख मांग निर्माता के रूप में उभरा है, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है और देश के विकास को सुनिश्चित कर रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि, “अगले 5-10 वर्षों में, रक्षा क्षेत्र के ज़रिए $ 100 बिलियन से अधिक के ऑर्डर दिए जाने की उम्मीद है और यह देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बन जाएगा। आज हमारा रक्षा क्षेत्र रनवे पर है, जल्द ही जब यह उड़ान भरेगा तो यह देश की अर्थव्यवस्था को बदल देगा। अगर हम अमृत काल के अंत तक भारत को दुनिया की शीर्ष आर्थिक शक्तियों में देखना चाहते हैं, तो हमें रक्षा महाशक्ति बनने की दिशा में साहसिक कदम उठाने की जरूरत है।”
श्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की विश्वसनीय और उत्तरदायी मौजूदगी का भी विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नौसेना की मिशन आधारित तैनाती ने क्षेत्र में मित्रवत विदेशी देशों के ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है।
रक्षा मंत्री ने भारत जैसे विशाल देश को पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने और अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहने की आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदम गिनाए, जिसमें चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना, एफडीआई सीमा में वृद्धि और एमएसएमई सहित भारतीय विक्रेताओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाना शामिल है। उन्होंने 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का रिकॉर्ड 75% निर्धारित करने की हालिया घोषणा को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण करार दिया।
राजनाथ सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टि के अनुरूप जहाजों और पनडुब्बियों को शामिल करने और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास के माध्यम से स्वदेशीकरण और नवाचार में सबसे आगे रहने के लिए नौसेना की सराहना की। आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग पर उन्होंने कहा कि इसने इस विश्वास को और मजबूत किया है कि भारत की नौसेना डिजाइनिंग और विकास एक आशाजनक चरण में है और आने वाले समय में और अधिक प्रगति की जाएगी।
रक्षा मंत्री द्वारा देखे गए सैन्य प्रदर्शनों में जटिल विमान वाहक और बेड़े के ऑपेरशन, जहाजों और विमानों द्वारा हथियारों की फायरिंग और समुद्र में अंडरवे रीप्लेनिशमेन्ट शामिल था । इसके अलावा रक्षा मंत्री द्वारा स्पॉटर ड्रोन, रिमोट नियंत्रित लाइफबॉय और अग्निशमन बॉट सहित स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन देखा गया।
बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लेजर टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोग्राफी के क्षेत्र में स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से ‘पोल-वॉल्टिंग’ की दिशा में भारतीय नौसेना द्वारा उठाए गए कदमों का भी प्रदर्शन किया गया।