नई दिल्ली। 8 नवम्बर, 2022 (17 कार्तिक, शक संवत 1944) को पूर्ण चंद्र ग्रहण घटित होगा। चंद्रोदय के समय ग्रहण भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा। हांलाकि ग्रहण की आंशिक एवं पूर्णावस्था का आरम्भ भारत के किसी भी स्थान से दिखाई नहीं देगा क्योंकि यह घटना भारत में चंद्रोदय के पहले ही प्रारम्भ हो चुकी होगी। ग्रहण की पूर्णावस्था एवं आंशिक अवस्था दोनों ही का अंत देश के पूर्वी हिस्सों से दिखाई देगा। देश के बाकी हिस्सों से आंशिक अवस्था का केवल अंत ही दिखाई देगा।
ग्रहण दक्षिण अमरीका, उत्तर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर तथा प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा।
ग्रहण भा.मा.स. अनुसार घं. 14.39 मि. पर प्रारम्भ होगा जिसकी पूर्णावस्था भा.मा.स. अनुसार घं. 15.46 मि. पर प्रारम्भ होगी। ग्रहण की पूर्णावस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 17.12 मि. पर होगा तथा आंशिक अवस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 18.19 मि. पर होगा।
देश के पूर्वी भाग में स्थित शहरों यथा कोलकाता एवं गुवाहाटी में चंद्रोदय के समय ग्रहण की पूर्णावस्था चल रही होगी। कोलकाता में चंद्रोदय के समय से लेकर पूर्णावस्था के अंत तक की अवधि 20 मिनट की होगी तथा चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंत तक की अवधि 1 घंटा 27 मिनट की होगी। गुवाहाटी में चंद्रोदय के समय से लेकर पूर्णावस्था के अंत तक की अवधि 38 मिनट की होगी जबकि वहाँ चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंत तक की अवधि 1 घंटा 45 मिनट की होगी।
अन्य शहरों यथा दिल्ली, मुम्बई, चेन्नै एवं बंगलुरू में पूर्णावस्था के अंत के उपरांत चंद्रोदय होगा एवं उस समय आंशिक ग्रहण चल रहा होगा तथा उपर्युक्त शहरों में चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंत तक की अवधि क्रमश: 50 मिनट, 18 मिनट, 40 मिनट एवं 29 मिनट तक की होगी।
भारत में दृश्य अगला चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को घटित होगा जो कि आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। भारत में दृश्य पिछला चंद्र ग्रहण 19 नवम्बर 2021 को घटित हुआ था जो कि आंशिक चंद्र ग्रहण था। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को घटित होता है जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थित हो जाते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा पूर्णतया पृथ्वी की प्रच्छाया से आवृत हो जाता है तथा आंशिक चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक पाता है। भारत के कुछ स्थानों की ग्रहण संबंधी स्थानीय परिस्थितियों की एक सारणी सुलभ संदर्भ के लिए पृथकत: संलग्न की जा रही है।