गांधी नगर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कमजोरियों, खामियों व अनिश्चितताओं से मुक्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने के लिये भारत में निर्माण इकाइयां स्थापित करने तथा भारतीय उद्योगों के साथ प्रौद्योगिकी विकास सहयोग के लिये अमेरिकी कंपनियों को आमंत्रित किया है। वे गुजरात के गांधीनगर में चलने वाले 12वें डेफ-एक्सपो के क्रम में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूआईबीसी) और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम) द्वारा 20 अक्टूबर, 2022 को आयोजित एक गोष्ठी में बोल रहे थे। गोष्ठी की विषयवस्तु ‘न्यू फ्रंटीयर्स इन यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशनः नेक्स्ट जेनरेशन टेकनोलॉजी, इनोवेशन एंड मेक इन इंडिया’ थी।
श्री सिंह ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग प्रगतिगामी सुधारों के जरिये पिछले आठ वर्षों के दौरान बड़े परिवर्तनों का गवाह रहा है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों ने पारदर्शिता, अनुमान और संस्थागत प्रक्रियाओं के जरिये भारतीय उद्योग के विकास का सहयोगी वातावरण बनाया है। इसके तहत व्यापार सुगमता के लिये कई कदम उठाये गये हैं।
रक्षामंत्री ने जोर देते हुये कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का पथ नीतिगत प्रारूपों का एक समग्र समुच्चय है, जिसके तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकीय व उत्पादन क्षमता निर्माण, सहयोग के जरिये क्षमता बढ़ाना, प्रतिष्ठित संस्थानों तथा मित्र राष्ट्रों के मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ सहयोग करना शामिल है। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य है कि भारतीय बाजार के लिये भारत में ही निर्माण करना और मित्र देशों को निर्यात करना, यानी ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर दी वर्ल्ड।’
श्री सिंह ने कहा, “मुख्य उद्देश्य है भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी करना, साथ ही वैश्विक मांग को पूरा करने के लिये विदेशी ओईएम की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ दीर्घकालिक जुड़ाव तैयार करना। इन संपर्कों के जरिये भारत मुक्त विश्व के लिये एक सुरक्षित और लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग का आकांक्षी है। साथ ही भारत चाहता है कि रक्षा उपकरणों और अन्य सामरिक सामग्रियों तक निर्बाध तथा भरोसेमंद पहुंच सुनिश्चित करने के लिये साझीदारों के साथ जुड़ सके। इसमें अमेरिका को भी शामिल किया गया है। भारत का रक्षा आधार बढ़ रहा है, इसलिये अमेरिका के निजी सेक्टर की कंपनियां ‘क्रियेटिंग इन इंडिया’ और ‘एक्सपोर्टिंग फ्रॉम इंडिया’ के लिये अपार क्षमताओं की पड़ताल कर सकती हैं।”
रक्षा मंत्री ने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये भारत सरकार द्वारा उठाये गये अनेक कदमों का उल्लेख किया, जिनमें भारतीय उद्योग की बड़ी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के क्रम में खरीद श्रेणियों को बढ़ाना तथा भारत में विदेशी कंपनियों को निर्माण के लिये आकर्षित करना शामिल है। उन्होंने कहा, “हमें अमेरिका के साथ काम करने में बेहद खुशी है। अमेरिका हमारा मूल्यवान साझीदार है और हम इस तरह अपने रणनीतिक व व्यापारिक सम्बंधों को मजूबत बना रहे हैं। हम भारत में एक उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा उत्पादन इको-प्रणाली बनाने के लिये अमेरिकी निवेश को आकर्षित कर रहे हैं। भारत के लिये अमेरिकी कंपनियों के साथ सहयोग से सम्पदा और रोजगार के अवसर तो तैयार होंगे, लेकिन इसके साथ हमारी महत्त्वपूर्ण सामरिक ताकत भी बढ़ेगी।”
श्री सिंह ने एफडीआई नियमों को ढीला करने और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2022 में भारत में वैश्विक निर्माण प्रारूप की शुरूआत को अमेरिकी कंपनियों के लिये आमंत्रण बताया कि वे भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा पेश अवसरों में हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां अब निर्माण इकाइयां स्थापित कर सकती हैं, चाहे वे निजी स्तर पर हो या भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर की जाये। यह कार्य एक संयुक्त उपक्रम या प्रौद्योगिकी समझौते आदि के जरिये किया जा सकता है, ताकि ‘मेक इन इंडिया’ अवसर का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में रक्षा निर्माण के लिये एक आकर्षक निवेश गंतव्य मिलेगा।
रक्षा मंत्री ने रचनात्मक स्वदेशीकरण सूचियों का उल्लेख किया, जिसमें उपकरणों/प्रणालियों का एक विस्तृत दायरा शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि ये सूचियां देश में एक परिपक्व रक्षा उद्योग का आधार तैयार करने की दिशा में प्रमुख कदम हैं। सूची ने स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को तेज किया है। उन्होंने कहा कि यह काम भारत में निर्माताओं को मांग में तेजी के प्रति आश्वास्त करके उनकी क्षमताओं तथा प्रौद्योगिकी में ताजा निवेश को आकर्षित किया जा रहा है।
श्री सिंह ने रक्षा निर्यातों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यह स्वदेशी रक्षा उद्योग को दीर्घकाल के लिये कायम रखने के लिये बहुत जरूरी है। केवल स्वदेशी मांग हमेशा अर्थव्यवस्था में तेजी नहीं लाती। इसके लिये लाभकारी और सतत निवेश की भी जरूरत है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 के लिये पांच अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य हमारे निर्यात केंद्रित निर्माण की दृढ़ता का परिचायक है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इंडिया-यूएस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशियेटिव के तत्त्वावधान में एयर-लॉन्च्ड यूएवी का सह-विकास स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के उद्योग अतिरिक्त डीटीटीआई परियोजनाओं की संभावनायें तलाश सकते हैं, जैसे मानव रहित उड़ान प्रणालियों का मुकाबला करना, खुफिया, निगरानी, लक्ष्य अधिग्रहण और टोही प्लेटफार्म।
श्री सिंह ने कहा कि भारतीयों ने अमेरिका के प्रौद्योगिकीय विकास में शानदार भूमिका निभाई है, चाहे वह आईटी सेक्टर हो, या जैव-प्रौद्योगिकी, स्पेस या साइबर प्रौद्योगिकी। साथ ही व्यापार और वित्त क्षेत्र में भी भारतीयों ने योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रतिभाशाली लोगों को सहायक वातावरण प्रदान करता है, ताकि वे वहां मौजूद लाभों को प्राप्त कर सकें। उन्होंने अमेरिकी व्यापारिक और प्रौद्योगिकीय दिग्गजों से आग्रह किया कि वे भारत में इसी तरह का विकास चमत्कार पैदा करने के लिये भारतीय उद्योगों के साथ सहयोग करें। उन्होंने जोर देते हुय कहा कि साथ काम करने के लिये औद्योगिक, वैज्ञानिक और अकादमिक स्तर पर नई राहें विकसित करना, भारत-अमेरिकी रक्षा सम्बंधों को सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।