नई दिल्ली : छह साल बाद आवश्यक दवाओं की नई लिस्ट जारी हो गई है. ये जेब पर भारी नहीं पड़ेगी क्योंकि इस पर प्राइस कैपिंग लागू होगी. दरअसल, 2015 के बाद अब 2022 में NELM ( National Essential List of Medicines) ये लिस्ट जारी की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि NELM 2015 के बाद 2022 में अपडेट होकर आपके सामने है. इसकी लंबी प्रक्रिया होती है, तब जाकर कोई दवाई इसमें शामिल होती है. इंडिपेंडेंट कमेटी तय करती है. 350 एक्सपर्ट और 140 बार कंसल्टेशन किया तब ये लिस्ट तैयार हुई है. इस लिस्ट में वो दवाइयां हैं, जो सेफ्टी, आफोर्डेबिलिट और एक्सेसिबिलिटी के हिसाब से हैं.
इस अवसर पर, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “आवश्यक दवाएं” वे हैं जो उपचार की प्रभावशीलता, सुरक्षा, गुणवत्ता और कुल लागत के आधार पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। एनएलईएम का प्राथमिक उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण पहलुओं अर्थात लागत, सुरक्षा और प्रभावकारिता पर विचार करते हुए दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है। यह स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों और बजट के अधिकतम उपयोग; दवा खरीद संबंधी नीतियों, स्वास्थ्य बीमा; निर्धारित आदतों में सुधार; यूजी/पीजी के लिए चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण; और फार्मास्यूटिकल नीतियां तैयार करने में मदद करता है। एनएलईएम में, दवाओं को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जैसे- पी- प्राथमिक; एस- द्वितीयक और टी- तृतीयक।
उन्होंने विस्तार से बताया कि यह संकल्पना इस प्रतिज्ञा पर आधारित है कि सावधानीपूर्वक चुनी गई दवाओं की एक सीमित सूची स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करेगी, सस्ती दवाएं प्रदान करेगी और दवाओं का बेहतर प्रबंधन करेगी। उन्होंने कहा कि एनएलईएम एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और बदलती सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के साथ-साथ फार्मास्युटिकल ज्ञान में प्रगति को ध्यान में रखते हुए इसे नियमित आधार पर संशोधित किया जाता है। आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची पहली बार 1996 में तैयार की गई थी और इसे पहले 2003, 2011 और 2015 में तीन बार संशोधित किया जा चुका है।
“चिकित्सा पर स्वतंत्र स्थायी राष्ट्रीय समिति (एसएनसीएम) का गठन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2018 में किया था। समिति ने विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद एनएलईएम, 2015 को संशोधित किया और एनएलईएम, 2022 पर अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और सूची को स्वीकार कर लिया है।” उन्होंने इस बात पर भी गौर किया कि एनएलईएम के गठन की प्रक्रिया हितधारकों के वैज्ञानिक स्रोतों द्वारा समर्थित जानकारी और अपनाए गए समावेशी/निवारण सिद्धांत पर निर्भर करती है।
संशोधित एनएलईएम के लिए हितधारकों को बधाई देते हुए, जो अपने नागरिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में देश को आगे ले जा रहा है, केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधकता (एएमआर) के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया, जो “हमारे वैज्ञानिकों और समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है और हमें एएमआर के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है”।
NPPA सीलिंग प्राइस तय करेगी. कंपनी दाम नहीं बढ़ा सकती. अनरीसनेबल इन दवाई की कीमत बढ़ नहीं सकती. 384 दवाइयों में करीब सब दवाई को मिला दें तो 1000 से ज्यादा फॉर्मुलेशन होगा. इसकी प्राइस अभी रिवाइज होगी ताकि सबको सस्ती दवाई मिले.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि ये बहुत अहम लिस्ट है. ये प्राइमरी , सेकेंडरी और tertiary केयर के लिए काफी अहम है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जो दवाई हमारे देश में अप्रूव्ड और लाइसेंस प्राप्त है, वही मेडिसिन इस लिस्ट में है. उन बीमारियों की दवाएं हैं, जो पब्लिक हेल्थ इश्यू हैं. जिन दवाओं की कीमत और एफिकेसी को प्रमाणित किया है, वो दवाएं इस लिस्ट में हैं. 2022 की लिस्ट में 384 दवाइयां हैं. 34 नई दवाएं जोड़ी गई हैं और 26 हटाई गई हैं. 27 को थेरापटिक कैटेगरी में बांटा गया है.