नई दिल्ली : जस्टिस उदय उमेश ललित ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जज मौजूद रहे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर आसीन होने वाले 49वें जस्टिस ललित का कार्यकाल 8 नवंबर तक होगा. सीजेआई के रूप में जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल केवल 75 दिनों का होगा.
नए चीफ जस्टिस यू यू ललित ने संविधान पीठ के सामने सालों से लंबित मामलों के निपटारे को अपनी प्राथमिकताओं में से एक बताया है. यही वजह है कि 29 अगस्त से संविधान पीठ बैठने जा रही है, जो एक-एक कर 25 अहम मामलों की सुनवाई करेगी.
सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाईकोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे हैं. उनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी.
9 नवंबर 1957 में जन्म लेने वाले उदय उमेश ललित 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए थे. उससे पहले वह देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते थे.उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2जी घोटाला मामले में विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था.उनके पिता यू. आर. ललित बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज रह चुके हैं. यू. आर. ललित भी देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते हैं. जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित भी महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के नामी वकीलों में से एक थे.
जस्टिस यू यू ललित ने 3 तलाक की व्यवस्था रद्द करने , पत्रकार को राजद्रोह कानून पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने , अवमानना के मामले में विजय माल्या को 4 माह की सज़ा देने , आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को राहत देने , अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी न करने का आदेश देने और अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से खुद को अलग करने जैसे प्रमुख मामले के लिए जाने जाते हैं .