बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया : भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व पर बोला हमला

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सुभाष चौधरी 

पटना : बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया. विधानसभा में चली लंबी चर्चा के बाद कराए गए मतदान में सरकार के पक्ष में 160 वोट पड़े जबकि विपक्ष में शून्य.  मतदान  का भारतीय जनता पार्टी ने बहिष्कार किया  क्योंकि चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के भाजपा नेताओं पर हमला बोलने की बजाय भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर निशाना साधा. इसके विरोध में भाजपा के विधायकों ने सदन से वाकआउट किया.  हालांकि पहले ध्वनि मत से ही मुख्यमंत्री द्वारा रखे गए विश्वास मत के प्रस्ताव को पारित घोषित कर दिया गया था लेकिन कैबिनेट मंत्री विजय चौधरी की ओर से विश्वास मत की वैधता को पुख्ता करने एवं बिहार की जनता में मजबूत संदेश देने की दृष्टि से प्रस्ताव पर मत विभाजन कराने की मांग की गई.  इस पर उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने मत विभाजन कराया और सरकार के विश्वास मत को सदन में बहुमत के साथ पारित घोषित किया. 

 

उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी द्वारा सदन में  ध्वनि मत से विश्वास मत पारित होने  की घोषणा के साथ ही मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान वर्क आउट कर गए विपक्षी दल के विधायक पुनः सदन में वापस आ गए थे .  भाजपा की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने मत विभाजन कराने का विरोध किया.  उन्होंने कहा कि एक बार आसन की ओर से विश्वास मत पारित होने का निर्णय सुना दिया गया तो फिर मत विभाजन कराना नियम विरुद्ध है.  इस मामले पर तारकेश्वर प्रसाद और उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के बीच थोड़ी नोकझोंक भी देखने को मिली.  भाजपा नेता उपाध्यक्ष से समितियों की रिपोर्ट  सदन के पटल पर रखे जाने की मांग कर रहे थे लेकिन उपाध्यक्ष मत विभाजन कराने पर अड़े रहे.  एक बार फिर भाजपा के सभी विधायक सदन से उपाध्यक्ष के इस निर्णय के विरोध में वाकआउट कर गए.  अंततः मत विभाजन से नीतीश कुमार सरकार को विश्वास मत हासिल हुआ. 

 

दोपहर से लगातार बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार सरकार के विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा में लगभग सभी दलों के नेताओं ने अपनी बात रखी.  चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें बिहार की भाजपा इकाई के नेताओं से कोई गिला शिकवा नहीं है लेकिन भाजपा के केंद्रीय  नेतृत्व  ने  उनकी मांग पर कभी भी तवज्जो नहीं दी.  उन्होंने कहा कि उनकी ओर से प्रधानमंत्री के समक्ष बारंबार पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी घोषित करने की मांग की गई लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं की गई.   उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनकी एक भी बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी गई. 

 

 नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जितनी योजनाएं चल रही है सभी प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई है लेकिन केंद्र सरकार अपनी योजना बता कर अपने पक्ष में प्रचार प्रसार करती रही है.  उन्होंने हर घर जल योजना की चर्चा करते हुए कहा कि यह योजना उनके पिछले कार्यकाल की सात निश्चय में शामिल थी तब राष्ट्रीय जनता दल के साथ उनका गठबंधन था.  उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान केंद्र सरकार ने पहली ₹6000 देकर इस योजना को केंद्र की योजना के तौर पर घोषित करने का जा दिया था जिसे उन्होंने नकार दिया था.  उन्होंने कहा कि  फिर केंद्र सरकार की ओर से योजना के लिए राशि जारी कर इसे केंद्र की योजना का नाम देने की मांग की जिसे उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया.  उन्होंने कहा कि देश में बिहार जैसे गरीब राज्य में ही सबसे पहले हर घर जल योजना शुरू की गई थी जिसे बाद में केंद्र सरकार ने पूरे देश में लागू करने का अभियान चलाया. 

 

 नीतीश कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क बनाने की योजना पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेई सरकार  के कार्यकाल की है.  इस पर बिहार सरकार लगातार काम करती रही है और प्रदेश की प्रत्येक गांव में सड़कों का निर्माण करवाया गया है.  लेकिन  वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार इस योजना को भी केंद्र सरकार की योजना बता कर अपनी पीठ थपथपाने में जुटी रहती है.  उन्होंने भाजपा विधायकों को बारंबार यह समझाने की कोशिश की कि उनसे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि सभी मिलकर काम करते रहे उन्हें तो  दिल्ली में बैठने वाले भाजपा के आकाओं से  निराशाजनक व्यवहार मिलता रहा है. 

 

 मुख्यमंत्री ने  पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का नाम लिए बिना कहा कि उनकी पार्टी के एक नेता  जिन्हें उन्होंने नीचे से उठाकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया भाजपा नेतृत्व ने अपना हथियार बना लिया था.  उनके माध्यम से जनता दल यूनाइटेड को तोड़ने की कोशिश चल रही थी.  उन्होंने कहा कि हम सारी परिस्थितियों को झेलते रहे.  उनका कहना था कि जनता दल यूनाइटेड की सभी सांसद व विधायक इस स्थिति को देखकर परेशान थे और उन्होंने एक होकर हमें भाजपा से गठबंधन तोड़ने का सुझाव दिया. 

 

 बिहार के मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि 2017 में जो बातें राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं के बारे में भाजपा की ओर से  कही गई थी आज उनमें से कुछ नहीं निकला.  उनका कहना था कि हम अब 8 पार्टियां एक साथ मिलकर बिहार में विकास को तेज करेंगे.  उन्होंने यहां तक कहा भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद पूरे देश से सभी दलों के नेताओं की को उनके पास आए और उन्हें इस निर्णय के लिए बधाई दी.  उन्होंने कहा की पूरे देश में सभी दल एक साथ मिलकर 2024 में लड़ेंगे तो भारत की जनता पार्टी को कोई पूछने वाला नहीं रहेगा. 

 

अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार को दुष्प्रचार करने का माहिर बताया.  उन्होंने कहा कि प्रेस और मीडिया के लोगों  की स्वतंत्रता भी अब समाप्त हो चुकी है क्योंकि यह सभी मेरे खिलाफ दुष्प्रचार में वर्तमान केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व का साथ दे रहे हैं.  उन्होंने हाल ही में हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की याद दिलाते हुए भाजपा पर हमला बोला कि उन्होंने सभी पहलुओं को दरकिनार करते हुए  भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जनता दल यूनाइटेड का समर्थन दिया. 

 

 विधानसभा में पूर्व की अपेक्षा अधिक खुश दिख रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरोप लगाया कि आज देश में लोगों की आमदनी घटी है.  आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश के लोगों को सब्जबाग दिखाने वाली सरकार केवल प्रचार प्रसार में जुटी रहती है.  उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा आने वाले समय में बापू को भी खत्म कर देंगे.  उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में आप की क्या भूमिका थी ?  उन्होंने देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का भी आरोप लगाया  और कहा कि देश में चल रही योजनाएं वर्तमान केंद्र सरकार की नहीं है लेकिन यह लोग अपनी पीठ थपथपाते थकते नहीं है. 

 

भारतीय जनता पार्टी के साथ तकरार बढ़ने की वजह का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशील कुमार मोदी,  प्रेम कुमार,  नंदकिशोर यादव,  विनोद नारायण झा  और रामनारायण मंडल देसी पुराने लोगों को मेरे कहने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया.  उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की जो नेता उनके खिलाफ अनाप-शनाप बोलते हैं उन्हें ही पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आगे बढ़ाता है.

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