बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में अपने इस्तीफे की घोषणा की

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सुभाष चौधरी 

पटना : बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में अपने इस्तीफे की यह कहते हुए घोषणा की कि वे बहुमत का सम्मान करते हुए यह निर्णय ले ले रहे हैं . इसके साथ ही उन्होंने अपने उपर लगे आरोपों का बेहद सधे हुए अंदाज में जवाब दिया और सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि आगे की कार्यवाही का संचालन विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्य व पीठासीन सभापति नरेंद्र कुमार यादव करेंगे. उनके इस्तीफे की घोषणा के साथ ही बिहार में नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ़ हो गया जबकि इसको लेकर होने वाली तकरार को भी विराम मिल गया.  विजय कुमार सिन्हा के इस संतुलित कदम ने इस विवाद  लेकर जताई जा रही आशंका को निर्मूल साबित कर दिया. इस दौरान उनकी बातों को सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी तन्मयता से सुनता रहा जबकि कई बार मेजें थपथपा कर उनके तर्को को सराहा गया.

बिहार में महागठबंधन सरकार के गठन के बाद 24 अगस्त बुधवार का दिन सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए निर्धारित किया गया था. आज निर्धारित एजेंडे के अनुसार सदन की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं जो न तो तथ्यात्मक हैं और न ही नियमों के अनुकूल . उनके खिलाफ दिए गए अविश्वास नोटिस में लगाए गए सभी आरोपों को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर स्पीकर विजय सिन्हा ने कहा कि मैंने इसलिए इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि मैं मुझपर लगाए गए आरोपों का सिलसिलेवार जवाब देना चाहता था. उन्होंने कहा कि आरोपों का जवाब देना उनका नैतिक कर्तव्य था .

विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा ने कहा कि वो सरकार गठन के बाद स्वयं ही इस्तीफा दे देते.  9 अगस्त को परिस्थिति बदली और उसी दिन कुछ सदस्यों ने मेरे खिलाफ अविश्वास का नोटिस सचिव को दिया जबकि वह दिन सार्वजानिक अवकाश का था. पुनः 10 अगस्त को भी कुछ सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया और  मुझपर आरोप लगाये. ऐसे में उन आरोपों का जवाब देना जरूरी था उऔर सदन की बात सदन में ही होनी चाहिए थी.  अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस में नियम और संसदीय शिष्टाचार की स्पष्ट रूप से अनदेखी की गई. इन तथ्यहीन आरोपों के बीच यदि मैं सदन के बाहर त्यागपत्र देता तो ना केवल व्यक्तिगत निष्ठा और आत्मसम्मान के विरुद्ध होता  बल्कि संसदीय परंपरा पर भी कुठाराघात होता क्योंकि नोटिस में सदस्यों ने अनर्गल आरोप लागए हैं. अत‌‌: सदन की बात सदन में करने का निर्णय लिया.

श्री सिन्हा ने कहा कि वो नियम के तहत ही काम करते रहे हैं और हमेशा विधायिका के मान व सम्मान को आगे बढाने को तत्पर रहे हैं. उन्होंने बिहार विधानसभा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उठाये गए क़दमों की चर्चा की जबकि विधानसभा परिसर में पहली बार देश के प्रधानमन्त्री के रूप में नरेंद्र मोदी के आगमन को याद किया. उन्होंने बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह और तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष की चर्चा करते हुए लोकतंत्र को पुष्ट करने की बात की. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सदा विपक्ष के सदस्यों और सत्ता पक्ष के सदस्यों को  संरक्षण दिया और उनकी गरिमा को बढाने का काम किया. विधायकों के लिए प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक प्राशासनिक अराजकता से बचाने की व्यवस्था की गई.

विजय सिन्हा ने कहा कि उन्हें इस दौरान मुख्यमंत्री नितीश कुमार और तत्कालीन प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव का पूरा सहयोग मिला जबकि सभी रचनात्मक कार्यो में विचार विमर्श कर रास्ता निकालने में मदद मिली.

उन्होंने बल देते हुए कहा कि वे सदा नियमों के तहत काम करते रहे हैं और न किसी को फंसाते हैं और न ही किसी को बचाते हैं की नीति को सदन के माध्यम से भी आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव असंवैधानिक है लेकिन बहुमत का सम्मान करते हुए वे इस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हैं. इसके साथ ही उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

समझा जाता है कि दोपहर दो बजे सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करने का प्रस्ताव रख्नेगे और उस पर दो घंटे की नियमतः चर्चा होगी जिसपर वोटिंग भी कराई जायेगी. इसके अलावा अध्यक्ष का चुनाव भी कराया जाएगा.

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