-इंडियन फेडेरशन ऑफ़ ग्रीन एनर्जी ने आयोजित किया इलेक्ट्रिकल वाहनों के भविष्य पर चर्चा को लेकर सम्मलेन
-केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य मंत्री जे वी के सिंह थे मुख्य अतिथि
-केन्द्रीय मंत्री ने ई वी सेक्टर की चुनौतियों को लेकर नीतिगत व तकनीकि तैयारी पर दिया बल
-जेबीएम ग्रुप के वाईस प्रेसिडेंट निशांत आर्या ने फाइनेंस व टेक्नोलॉजी की संरचना में सरकार से सहयोग की अपील की
सुभाष चौधरी/चीफ एडिटर
नई दिल्ली। इलेक्ट्रिकल वाहनों के लिए भारत और दुनिया में भारतीय कंपनियों के लिए अपार सम्भावनाएं हैं। हमें अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने के लिए आवश्यक पहलुओं पर काम करने की जरूरत है। वर्तमान समय में दुनिया के सामने जीरो एमिशन की चुनौती है जिसके लिए इलेक्ट्रिकल वाहन निर्माता महत्वपूर्ण योगदान अदा कर सकते हैं। हालांकि भारत में भी कई प्रकार के सस्ते और सुरक्षित विकल्प पर काम चल रहा है लेकिन इलेक्ट्रिकल वाहनों के लिए विशाल बाजार उपलब्ध है जो आने वाले वर्षों में और संभावनाएं खोलेगा। भारत स्वदेशी तकनीक विकसित कर इस क्षेत्र में दुनिया के मार्किट पर कब्जा जमा सकता है और नेतृत्व प्रदान कर सकता है। पिछले 8 वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की दिशा में नीतियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गए हैं. केंद्र सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाने को तैयार है.
ये विचार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य मंत्री जेनरल वी के सिंह ने व्यक्त किये। जेनरल सिंह गुरुवार 4 अगस्त को नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में इंडियन फेडेरशन ऑफ़ ग्रीन एनर्जी की ओर से इलेक्ट्रिकल वाहनों के भविष्य पर चर्चा को लेकर आयोजित एक महत्वपूर्ण सम्मलेन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. सम्मलेन का विषय “ इंडियाज ई वी सेक्टर रोड मैप फॉर ग्लोबल लीडरशिप “ ( India’s EV Sector Roadmap for Global Leadership ) था.
सम्मलेन का उदघाटन करते हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री जेनरल वी के सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र के समक्ष काफी चुनौतियां हैं लेकिन भारतीय उद्यमियों में इनका सामना करने की पूरी क्षमता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में इलेक्ट्रिकल वाहनों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाएगा. इकोसिस्टम तैयार करने का मामला हो या ई वी एक्टर को कैसे पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है ये आज हमारे लक्ष्य हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, ई वी सेक्टर बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है क्योंकि हमारे पास विविध क्षेत्र हैं जहां इसका उपयोग किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि दो पहिया वाहन, तिपहिया वाहन और यहां तक की फोर व्हीलर का का उत्पादन भी अब भारत में होने लगा है. खुशी की बात यह है कि इसमें स्वदेशी तकनीक का सर्वाधिक उपयोग किया जा रहा है. यह वास्तव में बड़े पैमाने पर किया जाने वाला सुधारीकरण है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस क्षेत्र के सामने अभी कई बड़ी चुनौतियां हैं जिसको लेकर तेज गति से काम करना होगा. उनका कहना था कि इसकी रिचार्जिंग और रीसाइक्लिंग को लेकर भी काम करना होगा जबकि लेड एसिड बैटरी महत्वपूर्ण होने वाला है। उन्होंने कहा कि ई वी सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए हमें इंसेंटिव देने और अनुकूल नीतियां बनाने की जरूरत है।
उन्होंने संभावना जताई कि हम इस सेक्टर को बढ़ावा देने में आवश्यक कदम उठा पाएंगे। उन्होंने कहा कि बैटरी की रीसाइक्लिंग और रिचार्जिंग को लेकर काम करने की जरूरत है क्योंकि इसका बहु आयामी उपयोग होने वाला है। उनका कहना था कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ही यह सेक्टर बड़ा योगदान देने वाला है इसलिए हमें इसके सभी सकारात्मक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा कर रणनीति बनानी चाहिए।
उन्होंने ई वी सेक्टर के उद्यमियों को आगाह करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को उपभोक्ताओं की पसंद बनने के लिए बेहतर, टिकाऊ, सुरक्षा प्रदान करने वाला और कंपीटीटिव प्राइस की दिशा में सोचना होगा. उनका कहना था कि चाहे छोटे वाहन हों या फिर बड़े वाहन या पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन हमें अपने उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर संवेदनशील बनने की जरूरत है। उन्होंने बैटरी उत्पादन, कंपोनेंट्स उत्पादन और वाहन निर्माण सभी मामले में क्वालिटी एश्योरेंस पर सर्वाधिक फोकस करने की सलाह देते हुए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में औद्योगिक उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर अपनाई गई नीति की चर्चा की।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि हमें अपना लक्ष्य स्पष्ट करना होगा और उसके अनुरूप ही कदम बढ़ाने होंगे। उनका कहना था कि भारत में लिथियम की उपलब्धता दुनिया के कई देशों से अपेक्षाकृत काफी कम होना भी एक चुनौती है लेकिन भारत के पास विभिन्न प्रकार के खनिज उपलब्ध हैं। उनका कहना था कि जिंक आयन और सोडियम आयन जैसे एलिमेंट्स के उपयोग का विकल्प भी हमारे पास है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस दिशा में रिसर्च एंड डेवलपमेंट करने से हमें उससे सस्ता और बेहतर विकल्प मिल सकता है ।
ई वी सेक्टर में आर एंड डी पर सरकार को करना होगा फोकस : निशांत आर्या
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जे बी एम ग्रुप के वाइस चेयरमैन निशांत आर्या ने अपने संबोधन में ई वी सेक्टर के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों से वित्तीय एवं तकनीकी संरचनाओं की दृष्टि से मदद मुहैया कराने पर जोर डाला। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद बदली परिस्थितियों में पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए कितना जरूरी है इसकी जागरूकता हम सब में आई है। हम अपने स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील हुए हैं और इसलिए आज जीरो एमिशन तकनीक के लिए काम जोर-शोर से शुरू हो गया है। इसमें सोलर एनर्जी , बायोगैस एनर्जी और इलेक्ट्रिकल वाहन जैसे कई विकल्प शामिल हैं । उनका कहना था कि इस सम्मेलन में हम भारत और दुनिया में इलेक्ट्रिकल वाहन के लिए भविष्य के रोड मैप पर चर्चा करने जा रहे हैं.
निशांत आर्य ने अपने संबोधन में ई वी सेक्टर के लिए फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियर, स्किल्ड एंप्लॉई जैसे पहलुओं पर प्रमुखता से काम करने पर बल दिया. उनका कहना था कि इस क्षेत्र के लिए आवश्यक रिसर्च एंड डेवलपमेंट, प्राइवेट सेक्टर पर छोड़ने के बजाय सरकार को इस दिशा में भूमिका अदा करनी होगी. उनका कहना था कि इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता की आवश्यकता है जिसको लेकर सरकार को कदम उठाने होंगे.
आई ऍफ़ जी आई भारत में जीरो एमिशन के लक्ष्य को लेकर सक्रीय : सुलाजा फिरोदिया मोटवानी
इससे पूर्व इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी इलेक्ट्रिकल वेकिल कमिटी की अध्यक्ष सुलाजा फिरोदिया मोटवानी ने अपने स्वागत भाषण में फेडरेशन की ओर से पिछले कई वर्षों से ग्रीन एनर्जी को लेकर किए गए योगदान की चर्चा की. उन्होंने कहा कि फेडरेशन लगातार भारत में जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. उनका कहना था कि उनकी संस्था केवल मोबिलिटी के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सोलर एनर्जी और अन्कोय वैकल्पिक एनर्जी को भी बढ़ावा देने में योगदान दे रही है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का सम्मेलन आयोजित कर हम इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में भारत की उपलब्धियों और दुनिया के बाजार में स्थापित होने के लिए आने वाली चुनौतियों की समीक्षा करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में इस क्षेत्र के लिए आवश्यक नीतिगत और तकनीकी दोनों ही सुधार किए गए हैं जिसका भविष्य में अनुकूल परिणाम देखने को मिलेगा। उन्होंने अपने संबोधन में ई वी सेक्टर में अब तक स्वदेशी तकनीक को लेकर किये गए कार्यों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की जबकि क्षेत्र के स्मामने आई चुनौतियों की ओर भी सरकार का ध्यान दिलाया.
सम्मेलन को पूर्व ग्रामीण विकास राज्य मंत्री व आई ऍफ़ जी ई के चैयरमैन अन्ननासहेब एम् के पाटिल ने भी संबोधित किया. सम्मेलन में आये सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए ई वी ऍफ़ के चैयरमैन अनुज शर्मा ने ई वी सेक्टर के उद्यमियों व व्यावसायियों की सराहना की . उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में यह सेक्टर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के स्वप्न को मजबूती से साकार करेगा.
तीन तकनीकि सत्र भी आयोजित किये गए
सम्मेलन में तीन तकनीकि सत्र भी आयोजित किये गए.तकनीकी सत्र के प्रथम भाग में टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन एंड एडवांस में पर विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किये . इस सत्र में आईआईटी पटना के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ ए के ठाकुर ने आई आई टी पटना द्वारा विकसित प्रथम स्वदेशी बी एम् एस की जानकारी दी. उन्होंने विदेशी व स्वदेशी बी एम् एस तकनीक का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए स्वदेशी बी एम एस की गुणवत्ता को बेहतर बताया. उनका कहना था कि इस दिशा में आर एंड डी जारी है जिसे और भी उन्नत बनाया जायेगा.
दूसरे तकनीकि सत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर टू सपोर्ट इलेक्ट्रिकल वेकिल को सिस्टम पर विस्तार से चर्चा की गई. इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी राज्यमंत्री भगवंत खूबा उपस्थित थे जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर इसी मंत्रालय के संयुक्त सचिव ललित वोरा भी मौजूद थे. अंतिम तकनीकी सत्र में इलेक्ट्रिकल वेकिल इन पब्लिक ट्रांसपोर्ट कमर्शियल वेकिल पर चर्चा की गई. सभी विशेषज्ञों ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से ई वी सेक्टर में हो रहे उत्तरोत्तर तकनीकी व व्यावसायिक विकास से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए. इंटरनेशनल सेंटर फॉर आटोमोटिव टेक्नोलॉजी के ई ई जी डिपार्टमेंट के मेनेजर सोनू कुमार सुदरानियां ने संस्था में मौजूद तकनीकि और टेस्टिंग फेसिलिटी एवं सर्टिफिकेशन के बारे में उद्यमियों को विस्तार से जानकारी दी.