भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है : पीयूष गोयल

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तिरुपुर का वस्त्र उद्योग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है

वस्त्र क्षेत्र के अगले 5 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के साथ 20 लाख करोड़ रुपये वाला उद्योग बन जाने की संभावना है

यदि भारत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि के आधार पर हर वर्ष 8 प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो 30 वर्षों के बाद हमारी अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी

 तिरुपुर  : केन्द्रीय वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने आज तिरुपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है जो न सिर्फ वस्त्र उत्पादों के निर्यात में सहायता एवं टिकाऊ प्रौद्योगिकी का समावेश सुनिश्चित करेगा, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा करेगा।

श्री गोयल ने कहा कि तिरुपुर ने देश को गौरवान्वित किया है और यह हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादन का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं चार लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

 

उन्होंने कहा कि 1985 में, तिरुपुर 15 करोड़ रुपये मूल्य के वस्त्र उत्पादों का निर्यात कर रहा था। मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष में, तिरुपुर से होने वाला अनुमानित निर्यात 30,000 करोड़ रुपये का है, जोकि लगभग दो हजार गुना की वृद्धि है। इस इलाके में वस्त्र क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 37 से अधिक वर्षों के दौरान, तिरुपुर में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 22.87 प्रतिशत हो गई है।

उन्होंने कहा कि तिरुपुर में रोजगार के अपार अवसर हैं और उन्होंने युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान में, तिरुपुर के वस्त्र क्षेत्र में कार्यरत लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं और वंचित वर्गों के लोग हैं।

 

श्री गोयल ने कहा कि पूरे भारत में लगभग 3.5-4 करोड़ लोग अकेले वस्त्र क्षेत्र की समग्र मूल्य श्रृंखला में संलग्न हैं। वस्त्र क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इस उद्योग का आकार लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का है। इसका निर्यात लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये का है। उन्होंने दोहराया कि वस्त्र क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ के निर्यात के साथ 20 लाख करोड़ रुपये वाला उद्योग बनने की संभावना है। फिर भी 7.5-8 लाख करोड़ का साधारण निर्यात लक्ष्य और लगभग 20 लाख करोड़ का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन लक्ष्यों को अगले पांच वर्षों में हासिल किया जाना संभव है।

उन्होंने कोविड के साथ-साथ अन्य देशों के बीच युद्ध के संदर्भ में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

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श्री गोयल ने कहा कि यदि भारत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि के आधार पर हर साल आठ प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो हमारी अर्थव्यवस्था लगभग 9 वर्षों में दोगुनी होकर 6.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी। इसी तरह, अब से 18 वर्षों में, भारत की अर्थव्यवस्था के 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था हो जाने का अनुमान है। अब से 27 वर्षों में, अर्थव्यवस्था की वृद्धि की गणना 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के तौर पर की जा सकती है और इसलिए 30 वर्षों के बाद, यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था होगी।

उन्होंने कहा कि तिरुपुर होजरी, बुने हुए वस्त्रों, कैजुअल वियर, स्पोर्ट्सवियर का प्रमुख स्रोत है और रुई की ओटाई का एक पारंपरिक केन्द्र है।

उन्होंने कहा कि कल की सिट्रा की यात्रा के दौरान, उन्होंने कई नवीन परियोजनाएं देखीं। उन्होंने कहा कि पीएम जन औषधि योजना के तहत कम कीमत में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सिट्रा में सेनेटरी नैपकिन मशीनरी के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा।

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श्री गोयल ने तिरुपुर में निर्यातकों के सम्मेलन सह सम्मान समारोह में भाग लिया। उन्होंने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) और अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के प्रतिनिधियों के साथ एक संवादात्मक बैठक की। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन, फियो के अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल,  एईपीसी के  उपाध्यक्ष श्री सुधीर सेखरी, एचईपीसी के पूर्व अध्यक्ष श्री टी.वी. चंद्रशेखरन, टीईए के अध्यक्ष श्री राजा एम. षणमुगम,  एसआईएचएमए की उपाध्यक्ष श्री गीतांजलि एस गोविंदप्पन, केएनआईटीसीएमए के अध्यक्ष  श्री अखिल एस. रथिनासामी, फियो के एमसी सदस्य श्री वी एलंगोवन, तिरुपुर के आरएमजी सेक्टर के अलावा 350 से अधिक निर्यातकों, कोयंबटूर, करूर, मदुरैल एवं इरोड के इंजीनियरिंग, एग्री और प्रोसेस फूड, टेक्सटाइल यार्न सेक्टर से जुड़े लोगों और अन्य गण्यमान्य लोगों ने भाग लिया।

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री श्री एल मुरुगन ने अपने संबोधन में नए हस्ताक्षरित एफटीएएस के लाभों पर प्रकाश डाला जोकि देश को कई गुना आगे बढ़ने में मदद करेगा। लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के उद्देश्य से पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय मास्टर प्लान जैसे क्रांतिकारी उपायों से बुनियादी ढांचे की योजना निर्माण में सुधार लाने और निर्धारित समय एवं बजट के भीतर परियोजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों की स्थापना, कंटेनर निर्माण पर ध्यान देना, ईस्ट वेस्ट और नॉर्थ साउथ फ्रेट कॉरिडोर इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।

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अपने स्वागत भाषण में, फियो के अध्यक्ष डॉ ए. शक्तिवेल ने निर्यातकों की समस्याओं का शीघ्रता से निराकरण करने और बाजार के अवसरों को खोलने के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिससे देश को पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 422 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात को पार करने में मदद मिली। डॉ. शक्तिवेल ने संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए के समापन में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के अथक प्रयासों की सराहना की और कहा कि यूके, ईयू, जीसीसी आदि के साथ चल रही बातचीत से भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खुलेंगे। फियो के अध्यक्ष ने माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री से आरओडीटीईपी में आयरन एंड स्टील, फार्मा, केमिकल्स आदि जैसे बचे हुए क्षेत्रों सहित बेहतर मूल्य के लिए निर्यात प्राप्ति के साथ आरओएससीटीएल और आरओडीटीईपी जारी करने सहित ईओयू/एसईजेड एकजुट, एएए/डीएफए उपयोगकर्ता, कृषि क्षेत्र के लिए संशोधित टीएमए की घोषणा, श्रीलंका को किए गए निर्यात के लिए फंसे पैसे पर समाधान, रूस को निर्यात के लिए रुपया भुगतान प्रणाली के कार्यान्वयन, एमएसएमई बाजार प्रोत्साहन कोष के निर्माण, सेवा से जुड़े उभरते क्षेत्रों के लिए बाजार पहुंच आदि से संबंधित सुझावों पर ध्यान देने का अनुरोध किया।

अपने संबोधन में, एईपीसी के उपाध्यक्ष श्री सुधीर सेखरी  ने परिधान क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई-2) की घोषणा करते हुए नई प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (टीयूएफएस) योजना की घोषणा करने का अनुरोध किया। उन्होंने निर्यातक इकाइयों के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कपास और सूती धागे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कपास और सूती धागे के निर्यात को उपयुक्त रूप से अंशांकित करने का भी अनुरोध किया।

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