कांग्रेस पार्टी में बड़ा बदलाव : मीडिया प्रमुख के पद से रणदीप सुरजेवाला को हटा कर जयराम रमेश को नियुक्त किया

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नई दिल्ली । राहुल गांधी से ई डी की पूछताछ के मामले को लेकर कॉन्ग्रेस आर-पार की लड़ाई के मूड में है । यही कारण है कि उन्होंने पार्टी के सबसे अहम विंग में बड़ा बदलाव किया है। कांग्रेस ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को संचार का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया। इस पद पर पहले राहुल गांधी के खासम खास नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला थे । पार्टी ने एक बयान में कहा है कि “कांग्रेस अध्यक्ष ने जयराम रमेश को सोशल मीडिया और डिजिटल विंग सहित संचार, प्रचार और मीडिया का प्रभारी एआईसीसी महासचिव नियुक्त किया है।”

कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया कि जयराम रमेश रणदीप सुरजेवाला की जगह लेंगे। वह कर्नाटक के प्रभारी महासचिव बने रहेंगे।

कहना न होगा कि श्री सुरजेवाला राहुल गांधी टीम के खास सदस्यों में से थे लेकिन पिछले 1 सप्ताह के दौरान ईडी की पूछताछ को लेकर उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर पार्टी का यह निर्णय लिया जाना बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है । माना जा रहा है कि यह नियुक्ति ई डी के समन पर कांग्रेस के आंदोलन और पार्टी नेता राहुल गांधी से पूछताछ की पृष्ठभूमि में हुई है। क्योंकि पार्टी इस मुद्दे पर राजनीतिक रूप से पूरे देश में सहानुभूति की लहर पैदा करना चाहती है। इसलिए ही सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है।

कांग्रेस पार्टी में बड़ा बदलाव : मीडिया प्रमुख के पद से रणदीप सुरजेवाला को हटा कर जयराम रमेश को नियुक्त किया 2

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी वर्तमान सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी से राजनीतिक लड़ाई में अक्सर कम्युनिकेशन की कमी के कारण पिछड़ती है । अपने ही मुद्दे को आम जनता में राष्ट्रीय स्वरूप देने में अक्सर नाकाम रह जाती है। चाहे वह बेरोजगारी का मुद्दा हो । जीएसटी का मुद्दा हो या नोटबंदी का मुद्दा हो या फिर कोरोना महामारी के दौरान बरती गई खामियों का मामला हो। पार्टी के नेता राहुल गांधी इन सभी मुद्दों को उठाते रहे लेकिन आम जनता का सुर उनके सुर के साथ नहीं मिल पाया। जिसका फायदा विधानसभा या लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को मिलता नहीं दिख रहा है।


पार्टी के अंदर से संकेत यह है कि कांग्रेस नेतृत्व ईडी से पूछताछ वाले मामले पर किसी भी तरह समझौता करने के मूड में नहीं है। इसलिए इसे जोरदार तरीके से आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए केंद्रीय एजेंसी के दुरुपयोग का मामला बताने की पुरजोर कोशिश होगी।

पिछले चार-पांच दिनों से पार्टी का हर विंग बेहद सक्रिय हो गया है । एक तरफ कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री लगातार दिल्ली में बने हुए हैं । प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं । प्रेस ब्रीफिंग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के नेता भी अपनी सक्रिय भूमिका अदा करने में जुट गए हैं । कांग्रेस इस लड़ाई को संसद तक ले गई है और दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों से मिल कर सांसदों के साथ कथित दिल्ली पुलिस के अभद्र व्यवहार का मुद्दा उठाया गया। इसका नेतृत्व लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने किया। खबर है कि इस मुद्दे को लेकर पार्टी के नेता राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे।

कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए उपराष्ट्रपति वह राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से भी मिला है।

बहरहाल पार्टी ने मीडिया सेल के प्रभारी के रूप में जयराम रमेश की नियुक्ति से यह संकेत दे दिया है कि यह लड़ाई तेज होगी और इसका स्वरूप आने वाले समय में काफी बदला हुआ नजर आएगा। जिस कम्युनिकेशन की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी हमेशा पिछड़ती रही है उसमें कितनी मजबूती दिखेगी यह तो समय बताएगा । लेकिन पार्टी नेतृत्व की रणनीति इससे जरूर स्पष्ट होती है।

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के कथित दुरुपयोग वाले मामले को पार्टी किस कदर तीव्रता प्रदान कर पाएगी यह केवल मीडिया सेल में बदलाव ही नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ राज्य इकाइयों के प्रमुखों की सक्रियता पर भी निर्भर करेगा। पिछले चार-पांच दिनों में देश के कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयों ने भी ईडी से पूछताछ वाले मामले के खिलाफ प्रदर्शन कर एकता दिखाई है । लेकिन सभी राज्यों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी संघर्ष को वह धार नहीं दे पाई है जिसका पार्टी को पुनर्जीवित होने के लिए लंबे समय से इंतजार है।

दूसरी तरफ संकेत यह है कि ईडी अभी राहुल गांधी से पूछताछ की प्रक्रिया जारी रखेगी। हालांकि उनसे आज यानी शुक्रवार को भी पूछताछ की जानी थी लेकिन राहुल गांधी ने सोमवार का समय देने का आग्रह किया था जिसे ईडी ने स्वीकार कर लिया है। जाहिर है अगर राहुल गांधी से पूछताछ की प्रक्रिया ईडी की ओर से जारी रहेगी तो इसको राजनीतिक तौर पर भुनाने की दिशा में कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं रहना चाहती है।

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