दूरदराज/कठिन मतदान केंद्रों में तैनात मतदान कर्मियों के पारिश्रमिक में वृद्धि
ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मतदान के प्रति उदासीनता एक महत्वपूर्ण अंतर
कॉरपोरेट्स और संगठित क्षेत्र द्वारा छुट्टी लेने वाले कर्मचारियों को नहीं बल्कि मतदान नहीं करने वालों को मतदान का आग्रह करने की जरूरत
प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए समिति गठित की जाएगी
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने आज चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पांडे के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में, सीईसी के गांव दुमक और गांव कलगोठ के दौरे के विवरण पर विचार-विमर्श किया गया। ये दोनों गाँव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हैं और पैदल पहुंचे जाने वाले मतदान केंद्रों में से सबसे दूर स्थित मतदान केन्द्रों में एक हैं। श्री अनूप सी पांडे ने डीएम पिथौरागढ़ के रूप में अपने समृद्ध अनुभव से सबको अवगत कराया और अपने विचार रखे।
मतदान के दिन से तीन दिन पहले मतदान दल के सदस्य कठिन पहाड़ी इलाकों में लगभग 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। वे ईवीएम और वीवीपैट सहित पूरी चुनाव सामग्री को साथ लेकर चलते हैं और उसकी सुरक्षा भी करते हैं। दूरदराज स्थित/कठिन मतदान केन्द्रों (पी-माइनस3 श्रेणी) की संख्या 440 है, जहां उन्हें मतदान केंद्रों तक पहुंचने में 3 दिन की कठिन यात्रा करनी पड़ती है।
बातचीत के दौरान, सीईसी को बताया गया कि हाल के चुनावों में दुमक गांव जैसे दूरदराज के इलाकों में 71.14% मतदान हुआ और कलगोथ गांव में 80.45% मतदान हुआ। महिला मतदाताओं की समान संख्या में भागीदारी रही। यह भी जानकारी दी गयी कि दुमक और कलगोठ जैसे गांवों में, लगभग 20-25% पंजीकृत मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपना वोट डालने में असमर्थ हैं क्योंकि वे अपनी नौकरी या शैक्षिक गतिविधियों के कारण मतदान के समय अपने गांव/राज्य से बाहर होते हैं। यह स्थिति उन संभावनाओं का पता लगाने का अवसर प्रदान करती है, जिनमें प्रवासी मतदाताओं द्वारा दूरस्थ मतदान की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके।
आयोग ने इस बात को रेखांकित किया कि इसके विपरीत, 2019 आम चुनाव के दौरान कुछ शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में 50% से भी कम मतदान हुआ। कुछ महानगरों / शहर क्षेत्रों में कम मतदान पर चिंता व्यक्त की गयी। ऐसा इस तथ्य के बावजूद है कि शहरी क्षेत्रों में किसी भी मतदाता के लिए 2 किमी के भीतर मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। शहरी क्षेत्रों में मतदान के प्रति उदासीनता को दूर करने की आवश्यकता महसूस की गई।
विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, आयोग द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
1) भारत निर्वाचन आयोग, दुमक और कलगोथ के इन दूरदराज के गांवों और इसी तरह के अन्य गांवों के मतदाताओं द्वारा उत्साहपूर्ण और उच्च भागीदारी की सराहना करता है, जो भारत को एक जीवंत लोकतंत्र बनाने में योगदान देते हैं।
2 ) निर्वाचन आयोग लोकतंत्र की आशा और भावना को सर्वोच्च स्तर पर बनाए रखने में मतदान अधिकारियों की समर्पित टीम के धैर्य, दृढ़ संकल्प और विश्वास की भी सराहना करता है।
3 ) दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में चुनाव ड्यूटी करने वाले मतदान कर्मियों के समर्पण के साथ सहानुभूति जताते हुए आयोग ने मतदान केंद्रों पर जाने वाले मतदान अधिकारियों के पारिश्रमिक को 3 दिन पहले दोगुना करने का फैसला किया है। (अब तक मतदान अधिकारियों के लिए पारिश्रमिक एक समान हुआ करता था; सभी के लिए समान रूप से प्रति दिन की राशि)। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी चुनाव के दौरान बढ़े हुए पारिश्रमिक के लिए ऐसे पीएस को विशेष रूप से अधिसूचित करेंगे।
4 ) इन वर्षों में, ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नई सड़कों का निर्माण किया गया है। इसलिए, पीएस के लिए सबसे छोटा और सबसे सुरक्षित मार्ग निर्धारित करने के लिए सभी डीईओ / आरओ द्वारा पी माइनस 3 और पी माइनस 2 मतदान केन्द्रों के मार्ग मानचित्र की फिर से जांच की जाएगी।
5 ) आयोग ने कहा कि ईवीएम-वीवीपीएटी मशीनों को तकनीकी रूप से ‘अनधिकृत उपयोग मोड’ को चेतावनी देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जब भी मशीनों को खोलने का कोई अनधिकृत प्रयास किया जायेगा। (और इस तरह ये मशीन एक बार प्रोग्राम योग्य चिप के कारण अनुपयोगी हो जाते हैं)। आयोग ने ईवीएम-वीवीपीएटी ले जाने के लिए विशेष वाटर/शॉक प्रूफ, अतिरिक्त सुरक्षात्मक बैकपैक्स/केस विकसित करने का निर्णय लिया है, ताकि कठिन इलाकों में आसान आवाजाही में सहायता मिल सके। सभी टीमों को ऐसी मशीनों दी जायेंगी।
6 ) आयोग ने आगे सभी डीईओ/आरओ को विधानसभा या संसद के आम चुनाव से एक साल पहले पी-3 मतदान केन्द्रों का दौरा करने का निर्देश दिया। सीईओ स्वयं भी कुछ मतदान केंद्रों का दौरा करेंगे।
7 ) आयोग ने आगे निर्देश दिया कि सभी डीईओ/आरओ प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 ऐसे मतदान केंद्रों की पहचान करेंगे, जहाँ सबसे कम मतदान हुआ है। वे कम मतदान के कारणों की पहचान करने के लिए इन केंद्रों का दौरा करेंगे और मतदान प्रक्रिया में बाधा डालने वाले कारकों को कम करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप करेंगे।
8 ) शहरी क्षेत्रों में मतदान के प्रति उदासीनता को दूर करने के लिए, आयोग ने इस संबंध में जागरूकता गतिविधियों को शुरू करने का निर्णय लिया, आयोग ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत, मतदान दिवस को सभी कार्यस्थलों के लिए छुट्टी के रूप में घोषित किया जाता है। केंद्र/राज्य सरकार के सभी विभाग/सीपीएसयू/राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और कॉर्पोरेट संस्थाएं; जिनमें 500 से अधिक कर्मचारी हैं, छुट्टी लेने वाले लेकिन मतदान नहीं करने वाले कर्मचारियों का पता लगाने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। इन संगठनों के ऐसे मतदान नहीं करने वाले सदस्यों के लिए विशेष मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी जागरूकता सत्र आयोजित किए जाएंगे।
9 ) इसके अलावा, आयोग नए नामांकित मतदाताओं को ईपीआई कार्ड होम डिलीवरी करना जारी रखेगा। उनके द्वारा वोट देना भी उतना ही महत्वपूर्ण कर्तव्य होगा। युवा मतदाताओं के लिए विशेष मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
10 ) मतदाता अपने पंजीकरण के स्थान से शहरों और अन्य स्थानों पर शिक्षा, रोजगार और अन्य उद्देश्यों के लिए पलायन करते हैं। उनके लिए अपने पंजीकृत मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए वापस आना मुश्किल हो जाता है। आयोग ने महसूस किया कि रिमोट वोटिंग की संभावनाओं का पता लगाने का समय आ गया है, शायद प्रायोगिक आधार पर। प्रवासी मतदाताओं के मुद्दों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस तथ्य को देखते हुए कि मतदाता और राजनीतिक दल प्राथमिक हितधारक हैं, इसके बाद राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श शुरू किया जाएगा।