नूपुर शर्मा का निष्कासन… भविष्य की आहट

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नूपुर शर्मा का निष्कासन... भविष्य की आहट 2
                           लेखक : अजय सिंघल

केवल सत्ता से मत करना परिवर्तन की आस।
   जागृत जनता के केंद्रों से होगा अमर समाज ।।

सत्ता ने धारा 370 हटा दी…. परंतु वहां की स्थिति को जागरूक हिंदू समाज को ही सुधारनी होगी। #पलायन मार्ग नहीं है। न्यायपालिका ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर का मार्ग प्रशस्त कर दिया, परंतु उसका निर्माण और उचित व्यवस्थाएं तो जागरुक हिंदू समाज को ही करनी होगी।

ध्यान रहे ! सत्ता कानून के मार्ग से आपको कुछ सहायता कर सकती है। परंतु उसका निर्वाह जागरूक हिंदू समाज को ही करना होगा।

#नुपुर शर्मा प्रकरण में वर्तमान परिस्थिति में अगर इस को सच मान लिया जाए कि मुसलमानों के 52 देशों के संगठन ने भारत पर दबाव बनाया तो क्या हम सरकार पर इतना #दबाव बना पाए कि नुपुर शर्मा का निष्कासन वापस लिया जाता या जिसके प्रतिउत्तर में नूपुर शर्मा ने यह बयान दिया, उसको भी कोई दंड दिया जाता।

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में एक के शंकराचार्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी 85 घंटे से #आमरण_अनशन पर हैं और वे कह रहे हैं कि कोर्ट ने जिसको शिवलिंग मानकर उसकी सुरक्षा के निर्देश दिए हैं, मैं उनकी पूजा का अधिकार चाहता हूं। उनको भोजन कराना चाहता हूं चूंकि हिंदू शास्त्रों की मान्यता के अनुसार उनके अंदर प्राण तत्व है।

क्या अपने इस पूज्य संत की #पीड़ा और उसकी आस्था को कोई हिंदू समझ पा रहा है ? हिंदुओं का साथ देने वाली कोई सरकार क्या उसको समझ पा रही है ? हिंदुओं के लिए कार्य करने वाले संगठन क्यों #चुप हैं ?
क्या आप किसी #आसमानी_सूचना की इंतजार कर रहे हैं?

ध्यान रहे ! बेशक उस मठ के शंकराचार्य ने भूत में कुछ गलतियां की होंगी और #गलतियां भी यह कि वे संगठन के साथ मिलकर खड़े नहीं हुए। उनको #कांग्रेसी_संत घोषित कर दिया गया। परंतु हिंदुत्व के हर कार्य के लिए वे व्यक्तिगत रूप से कहते ही रहे हैं। श्री राम मंदिर का प्रबल समर्थन और साईं प्रतिमाओं का हिंदू मंदिरों में निषेध के विषय को वे लगातार प्रबल तरीके से उठाते रहे हैं।
पर इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने गलती की है तो बाकी भी गलती करेंगे। यह तो हम वही मुगल काल का #इतिहास दोहरा रहे हैं, जिसमें आपसी खुन्नस की वजह से विदेशी हम पर राज करते रहे।

आज यदि हिंदुत्ववादी संगठन और शासन पूज्य स्वामी जी के पक्ष में नहीं खड़े हुए तो इतिहास उन्हें निश्चित रूप से #दोषी ठहराएगा।

पूज्य संत किसी भी सत्ता और संगठन से #ऊपर होते हैं। उनकी आस्था उनके विश्वास और उनके विराट व्यक्तित्व की संरक्षा – सुरक्षा करना हिंदू समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।

कुल मिलाकर आज #नूपुर शर्मा के बहाने भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं उन पर #गहनचिंतन की आवश्यकता है।
चिंतन की आवश्यकता इसलिए कह रहा हूं…. भारत को उसकी खोई सांस्कृतिक विरासत पुनः दिलाए बिना भारत का यशस्वी होना असंभव भी है और बेकार भी। और यदि इस और प्रयास हुए तो इस्लामिक देशों का संगठन फिर आगे आएगा। तब सरकार की भूमिका क्या होगी ?
अन्यथा हिंदुत्ववादी सरकार अपना #एजेंडा पुनःसेट करें। जनता को बताएं कि हिंदुत्व का एजेंडा विश्व गुरु भारत बनने के मार्ग में बाधा है।

इसलिए अब अंतरराष्ट्रीय संबंधों के आधार पर हमें हिंदुत्व का विषय छोड़ना होगा। तभी हम विश्व में भारत का ध्वज फहरा पाएंगे। कोई समस्या नहीं है। झूठ बोलकर फंसने से तो अच्छा है सच बोल कर आगे बढ़ा जाए।

इस्लामिक देशों के संगठन के माध्यम से जो #दबाव भारत पर बनाया गया….  क्या भारत सरकार उसका जवाब देने में सक्षम नहीं थी ? और यदि सक्षम नहीं है तो अभी ऐसे बहुत सारे विषय हैं जिन पर हमें #अंतरराष्ट्रीय_बिरादरी का सामना करना पड़ेगा। तब कैसे होगा ?
क्यों हमने नहीं कहा कि कश्मीर में किस तरह बराबर हिंदू मारे जा रहे हैं ?  क्यों हमने नहीं कहा कि हमारे आदि देव भगवान शिव का अपमान बराबर सार्वजनिक रूप से हो रहा है ?
क्यों हमने यह नहीं बताया कि नूपुर शर्मा ने तो जो आपके ग्रंथों में लिखा है वही स्पष्ट किया है ? क्यों हमने नहीं कहा कि आप कुरान के अनुसार शासन चलाकर एक सेकुलर देश को कैसे यह बात कह सकते हैं ? मुझे लगता है #विश्व_नेता बनने के चक्कर में हम उनके दबाव में आ गए हैं ?

और यदि ऐसा हुआ तो हम जिस सोच के साथ #भारत के उदय का ध्वज लेकर चले थे, वह पुनः सदियों तक अवरोहित हो जाएगा। फिर तो मुझे लगता है कि विश्व गुरु बनना तो दूर भारत में ही हम हिंदू अपने ही विचार की सरकार के साथ सुरक्षित नहीं है।

तब तो निराश होकर यही कहना होगा कि अब तक के जो हिंदुत्ववादी प्रयास हुए हैं, नूपुर शर्मा प्रकरण ने यह बता दिया है कि वे सब #ऊंट के मुंह में जीरा भर हैं।

नोट : लेखक हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक हैं और समाज में सांस्कृतिक चेतना पैदा करने के लिए सक्रीय रहते हैं.

यह लेखक का निजी विचार है. 

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