केंद्रीय खाद्य सचिव बोले : देश में अनाज की कुल उपलब्धता आवश्यकता से अधिक

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किसानों को गेहूं की अच्छी कीमत मिल रही है

गेहूं के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं

नई दिल्ली। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव, श्री सुधांशु पांडे ने कहा कि अनाज की कुल अधिशेष उपलब्धता के साथ भारत खाद्य क्षेत्र में एक सुखद स्थिति में है और  स्टॉक में अगले एक साल के लिए आवश्यक न्यूनतम सीमा से अधिक अनाज रहने की उम्मीद है।

आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष में कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के बाद, 1 अप्रैल, 2023 को, भारत के पास 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं का भंडार होगा, जो कि न्यूनतम आवश्यकता 75 लाख मीट्रिक टन से कहीं अधिक है। भले ही उत्पादन वित्त वर्ष 2023 के शुरुआती अनुमान 11.1 करोड़ टन से कुछ कम 10.50 करोड़ टन होने की उम्मीद हो, भारत में गेहूं आवश्यकता से अधिक होगा।

गेहूं की कम खरीद पर एक प्रश्न के उत्तर में श्री सुधांशु पांडे ने कहा कि बाजार भाव अधिक होने के कारण व्यापारियों द्वारा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से अधिक दर पर बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदा जा रहा है, जो किसानों के लिए अच्छा है। “इस साल बाजार की कीमतों में वृद्धि और निजी खिलाड़ियों द्वारा घरेलू और साथ ही निर्यात उद्देश्यों के लिए उच्च मांग के कारण, सरकारी एजेंसी द्वारा खरीद कम है। लेकिन यह किसानों के हित में है। किसानों को गेहूं की अच्छी कीमत मिल रही है, ”सचिव ने कहा।

उन्होंने साथ ही कहा कि पहले किसानों के पास सरकार को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। “अब वे केवल वही मात्रा सरकार को बेच रहे हैं जिसे वे निजी बाजार में बेचने में असमर्थ हैं। इस वजह से सरकारी खरीद कम हुई है।

सचिव ने चावल की अधिशेष उपलब्धता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हमारी चावल की खरीद लगभग 600 लाख मीट्रिक टन थी और इस साल भी यही आंकड़ा रहने की उम्मीद है। एनएफएसए के लिए हमारी वार्षिक आवश्यकता लगभग 350 लाख मीट्रिक टन  है। इसलिए, हम एक अधिशेष स्थिति में हैं।” उन्होंने कहा कि अगले साल से पूरे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में फोर्टिफाइड चावल वितरित किए जाएंगे और अधिशेष चावल के स्टॉक के साथ हम एक आरामदायक स्थिति में हैं। “हम अगले साल फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू करेंगे, और इस साल हम सभी आकांक्षी और व्यापक रूप से प्रभावित जिलों और आईसीडीएस और पीएम पोषण को कवर कर रहे हैं। साथ ही अगले साल, हम पूरे पीडीएस के लिए फोर्टिफाइड चावल वितरित करेंगे और इसलिए, सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने स्टॉक को इस तरह से रखे कि अगले साल हम फोर्टिफाइड चावल की खरीद करें और फोर्टिफाइड चावल वितरित करें, ”श्री पांडे ने विस्तार से बताया।

सचिव ने चावल खरीद को लेकर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि चावल की खरीद बड़े पैमाने पर एक विकेंद्रीकृत खरीद योजना के तहत की जाती है, यानी ‘राज्यों की खरीद, राज्यों का वितरण ‘, जिससे लॉजिस्टिक लागत कम हो जाती है। “अगर हम केवल केंद्रीकृत स्थानों से अनाज को भेजते हैं, तो इससे लागत का यह बोझ और बढ़ जाता है। अब चावल के वितरण के साथ अनाज को लाने ले जाने में रैक के इस दोहरे इस्तेमाल से बचा जाएगा। स्थानीय रूप से उपलब्ध चावल के स्टॉक उसी जगह वितरित हो जाएंगे, जहां उनकी खपत हो रही है। इससे निर्यातकों को देश के भीतर आवाजाही या रैक उपलब्धता में मदद मिलेगी। यह हमारे निर्यात और खाद्यान्न सहित सभी कमोडिटी में मदद करने जा रहा है, ”उन्होंने कहा।

श्री पांडे ने पुनः आवंटन आदेश के बारे में भी बताया जिसके तहत पीएमजीकेवाई में गेहूं के स्थान पर 55 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से दो चरणों में व्यापक परामर्श के बाद किया गया था। पहले चरण में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के महाप्रबंधक ने विभिन्न राज्य प्राधिकरणों से परामर्श किया। दूसरे चरण

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श किया।

“राज्यों की तरफ से मांग थी कि वो चावल की ज्यादा खपत वाले राज्य हैं और उन्हें अधिक चावल आवंटन मिलने से बहुत खुशी होगी। यदि चावल का स्टॉक राज्यों के पास पड़ा रहता है, तो खाद्य सब्सिडी की प्रतिपूर्ति चक्र में देरी हो जाती है। जिस क्षण राज्य चावल को पीडीएस प्रणाली में वितरित करने में सक्षम होता है, वे अपनी सब्सिडी का दावा करने के हकदार हो जाते हैं। इससे राज्यों को अतिरिक्त लाभ होगा, अन्यथा उन्हें स्टॉक बनाए रखना होता और खर्च वहन करना होता और वितरण के बाद ही उन्हें अपनी खाद्य सब्सिडी की प्रतिपूर्ति मिलती ”श्री पांडे ने कहा।

में, मंत्रालय स्तर पर, देश में पीडीएस के लिए जिम्मेदार पीडी (सार्वजनिक वितरण) प्रभाग ने

श्री सुधांशु पांडे ने गेहूं निर्यात की बात करते हुए कहा कि अब तक 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं के निर्यात के लिए अनुबंध किया गया है और अप्रैल 2022 में लगभग 11 लाख मीट्रिक टन निर्यात किया गया है। उन्होंने बताया कि मिस्र के बाद तुर्की ने भी भारतीय गेहूं के आयात की स्वीकृति दी है। श्री पांडे ने कहा कि जून से अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया से गेहूं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आने लगेगा, इसलिए निर्यातकों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गेहूं बेचने का यह उपयुक्त समय है।

श्री पांडे ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में खाद्य तेल का पर्याप्त भंडार है और इंडोनेशिया

गेहूं/चावल (केंद्रीय पूल में) बैलेंस शीट(सभी मात्रा एलएमटी में)

* पीएमजीकेवाई में गेहूं के स्थान पर 55 एलएमटी अतिरिक्त चावल आवंटित किया गया है।

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गेहूं: 2022-23

  • गर्मियों की जल्द शुरुआत के कारण, उत्पादन 1050 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, पहले अनुमान 1113 लाख मीट्रिक टन था।
  • केंद्रीय पूल में शुरुआती स्टॉक 190 लाख मीट्रिक टन

गेहूं की अनुमानित खरीद 195 लाख मीट्रिक टन है – निम्नलिखित कारणों से खरीद पिछले वर्ष की तुलना में कम है::

  • मप्र, यूपी, राजस्थान, गुजरात आदि में किसान व्यापारियों/निर्यातकों को एमएसपी (20.15 रुपये/किलो) से बेहतर कीमतों (21-24 रुपये/किलो) पर गेहूं बेच रहे हैं।
  • पंजाब, हरियाणा, यूपी में गर्मी की जल्द शुरुआत और फसल पर असर के कारण उत्पादन कम है।
  • किसान, व्यापारी भी कुछ महीनों के बाद गेहूं की कीमत और बढ़ने की उम्मीद में कुछ मात्रा को अपने पास रोक रहे हैं।

निर्यात

गेहूं

  • 2019-20 में गेहूं का निर्यात 2.17 लाख मीट्रिक टन, 2020-21 में 21.55 लाख मीट्रिक टन, 2021-22 में 72.15 लाख मीट्रिक टन था।
  • सरकार के प्रयासों के कारण मिस्र सहित अधिकांश देशों ने भारत को अपने बाजार तक पहुंच प्रदान की है।
  • लगभग 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं के निर्यात के लिए अनुबंध किया गया है और अप्रैल 2022 में लगभग 11 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया गया है।

चावल

  • 2019-20 में चावल का निर्यात 94.90 लाख मीट्रिक टन, 2020-21 में 177.79 लाख मीट्रिक टन, 2021-22 में 211.87 लाख मीट्रिक टन था।

चीनी की बैलेंस सीट

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