नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीददारों के रूप में सहकारी समितियों द्वारा जीईएम पर खरीद की अनुमति के लिए जीईएम के कार्यादेश का विस्तार करने की मंजूरी दे दी है।
सरकारी खरीददारों के लिए एक खुला और पारदर्शी खरीद प्लेटफार्म बनाने के क्रम में, भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा 9 अगस्त, 2016 को गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जीईएम) लॉन्च किया गया था। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम एसपीवी) के नाम से एक विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीवी) को राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल के रूप में 17 मई, 2017 को स्थापित किया गया था, जिसका अनुमोदन केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 12 अप्रैल, 2017 को किया गया था। वर्तमान में, प्लेटफ़ॉर्म सभी सरकारी खरीददारों द्वारा की जाने वाली खरीद के लिए खुला है:
केंद्रीय और राज्य मंत्रालय, विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, स्वायत्त संस्थान, स्थानीय निकाय, आदि। मौजूदा कार्यादेश के अनुसार, जीईएम निजी क्षेत्र के खरीददारों के उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है। आपूर्तिकर्ता (विक्रेता) सभी वर्गों से हो सकते हैं: सरकारी या निजी।
लाभार्थियों की संख्या:
इस पहल से 8.54 लाख से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियां और उनके 27 करोड़ सदस्य लाभान्वित होंगे। जीईएम पोर्टल देश भर के सभी खरीददारों और विक्रेताओं के लिए खुला है।
विवरण:
- सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए जीईएम को पहले से ही वन स्टॉप पोर्टल के रूप में पर्याप्त विकसित किया गया है। यह पारदर्शी व कुशल है, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था है और खरीद को तेजी से पूरा करता है। सहकारी समितियों को अब जीईएम से वस्तु और सेवाओं की खरीद की अनुमति होगी।
- सहकारी समितियों को जीईएम पर खरीददारों के रूप में पंजीकरण की अनुमति देने से सहकारी समितियों को खुली और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- जीईएम पर शामिल की जाने वाली सहकारी समितियों की मान्य सूची – पायलट के साथ-साथ बाद में अन्य को शामिल करने के लिए – का निर्णय सहकारिता मंत्रालय द्वारा जीईएम एसपीवी के परामर्श से लिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जीईएम पर खरीददारों के रूप में सहकारी समितियों को शामिल करने की गति तय करते समय जीईएम प्रणाली की तकनीकी क्षमता और लोजिस्टिक्स को भी ध्यान में रखा जाए।
- जीईएम सहकारी समितियों को शामिल करने के लिए एक समर्पित ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया प्रदान करेगा, मौजूदा पोर्टल पर अतिरिक्त उपयोगकर्ताओं का समर्थन करने के लिए तकनीकी आधारभूत संरचना उपलब्ध कराएगा, साथ ही उपलब्ध संपर्क केंद्रों, क्षेत्र आधारित प्रशिक्षण और अन्य सहायता सेवाओं के माध्यम से शामिल करने और लेनदेन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सहकारी समितियों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।
- सहकारिता मंत्रालय अधिक पारदर्शिता, दक्षता और प्रतिस्पर्धी कीमतों का लाभ उठाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के क्रम में जीईएम प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के सन्दर्भ में आवश्यक सलाह जारी करेगा।
- जीईएम पर व्यापक विक्रेता समुदाय के हितों की रक्षा करने और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, भुगतान प्रणाली के तौर-तरीके सहकारिता मंत्रालय के परामर्श से जीईएम द्वारा तय किए जाएंगे।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
जीईएम उपयुक्त कार्य करना शुरू करेगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्न शामिल होंगे – जीईएम पोर्टल पर आवश्यक सुविधाओं और कार्य-तरीकों का निर्माण, अवसंरचना का उन्नयन, हेल्पडेस्क और प्रशिक्षण इकोसिस्टम को मजबूत करना और सहकारी समितियों को शामिल करना। शामिल करने की शुरुआत और जरूरी व्यवस्था, सहकारिता मंत्रालय द्वारा तय किये जायेंगे। महत्वपूर्ण उपलब्धि और लक्ष्य से जुड़ी तिथियों को सहकारिता मंत्रालय और जीईएम (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) के बीच परस्पर व्यवस्थित किया जायेगा।
रोजगार सृजन क्षमता सहित प्रभाव:
सहकारिता मंत्रालय चाहता था कि सहकारी समितियों को जीईएम से सामान और सेवाओं की खरीद की अनुमति दी जाए, क्योंकि यह पहले से ही सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में पर्याप्त रूप से विकसित है। यह पारदर्शी है, कुशल है, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था है और तेजी से खरीद की प्रक्रिया पूरी करता है। उपरोक्त संदर्भ में, सहकारी समितियों को उनके द्वारा आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के खरीददारों के रूप में जीईएम पर पंजीकरण करने की अनुमति से सहकारी समितियों को एक खुली और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, चूंकि समितियों में 27 करोड़ से अधिक सदस्य हैं, जीईएम के माध्यम से खरीद से न केवल आम आदमी को आर्थिक रूप से लाभ होगा, बल्कि इससे सहकारी समितियों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
जीईएम ने कार्य संबंधी जरूरतों, तकनीकी अवसंरचना के प्रबंधन और विभिन्न हितधारकों से कारोबार करने सहित एक उन्नत खरीद पोर्टल चलाने की एक समृद्ध समझ विकसित की है। यह महसूस किया गया है कि देश में खरीद इकोसिस्टम बनाने में प्राप्त समृद्ध अनुभव का उपयोग सहकारी समितियों के लिए भी खरीद प्रक्रियाओं में दक्षता और पारदर्शिता पैदा करने के लिए किया जा सकता है। इससे सहकारी समितियों के लिए समग्र “कारोबार में आसानी” और बेहतर होने की उम्मीद है, जबकि जीईएम पंजीकृत विक्रेताओं को भी खरीददारों का एक बड़ा आधार प्रदान करेगा।
शामिल व्यय:
जीईएम एसपीवी प्रस्तावित विस्तारित कार्यादेश का समर्थन करने के लिए मौजूदा प्लेटफॉर्म और संगठन का लाभ उठाना जारी रखेगा, इसे अतिरिक्त प्रौद्योगिकी अवसंरचना और अतिरिक्त प्रशिक्षण व सहायक संसाधनों में कुछ निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है। इन वृद्धिशील लागतों को पूरा करने के लिए, जीईएम सहकारिता मंत्रालय के परामर्श से सहकारी समितियों से उचित लेनदेन शुल्क ले सकता है। ऐसे शुल्क उन शुल्कों से अधिक नहीं होंगे, जो जीईएम अन्य सरकारी खरीददारों से प्राप्त करेगा। जीईएम संचालन की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए इसकी योजना बनाई जाएगी। इसलिए सरकार के लिए कोई बड़ा वित्तीय बोझ अपेक्षित नहीं है।
पृष्ठभूमि:
जीईएम एसपीवी ने अपनी स्थापना के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति की है। वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2021-22 तक सकल वाणिज्यिक मूल्य (जीएमवी) 84.5 प्रतिशत से अधिक के के सीएजीआर के साथ बढ़ा है। पोर्टल ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीएमवी में 178% की वृद्धि दी है और अकेले वित्त वर्ष 2021-22 में 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर लिया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 तक की संचयी जीएमवी से अधिक है।
वित्तीय वर्ष
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वार्षिक जीएमवी (आईएनआर)
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पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि
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वित्त वर्ष 2018-19
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16,972 करोड़
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वित्त वर्ष 2019-20
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22,580 करोड़
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33%
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वित्त वर्ष 2020-21
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38,280 करोड़
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70%
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वित्त वर्ष 2021-22
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106760 करोड़
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178%
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जीईएम के तीन स्तंभों अर्थात समावेशन, पारदर्शिता और दक्षता में से प्रत्येक में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। संचयी लेनदेन मूल्य में एमएसएमई का योगदान लगभग 58% है। विश्व बैंक और राष्ट्रीय आर्थिक सर्वेक्षण 2021 सहित विभिन्न स्वतंत्र अध्ययनों ने अधिक भागीदारी और लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करने में जीईएम की क्षमता के कारण पर्याप्त बचत का संकेत दिया है।
भारत में सहकारिता अभियान उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है, विशेष रूप से कृषि, बैंकिंग और आवास क्षेत्रों में, भारत में वंचित वर्गों की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में 8.54 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं। ये सहकारी समितियां सामूहिक रूप से बड़ी मात्रा में खरीद और बिक्री करती हैं। वर्तमान में, “खरीददारों” के रूप में सहकारी समितियों का पंजीकरण जीईएम के मौजूदा कार्यादेश के अंतर्गत नहीं आता था।