गुरुग्राम, 22 अप्रैल 2022। ‘पृथ्वी दिवस’ की 52 वीं वर्षगांठ के संबंध में ‘ऊर्जा समिति’ ने लोगों को पृथ्वी के पर्यावरण के प्रति सचेत किया। इस अवसर पर पृथ्वी को विषैली गैसों से मुक्त करने का आह्वान किया गया।
समिति के महासचिव संजय कुमार चुघ ने बताया कि इस बार पृथ्वी दिवस 2022 का विषय ‘हमारे ग्रह में निवेश करें’ ‘Invest in Our Planet’ घोषित किया गया है। इस वर्ष का पृथ्वी दिवस का विषय लोगों को एक साथ आने और जैव विविधता और ग्रह की रक्षा के लिए उपाय करने की आवश्यकता पर जोर देता है।
विश्वभर में पृथ्वी दिवस को हर वर्ष 22 अप्रैल को 1970 से मनाया जा रहा है। विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर पर्यावरण और पौधारोपण के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। पृथ्वी दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य है हमारे पर्यावरण और प्रकृति की सुरक्षा के लिए हर पृथ्वीवासी की भागादरी को बढ़ावा देना और किए जा रहे कार्यों को प्रोत्साहित करना है।
वर्ष 1970 से प्रारम्भ हुए इस पृथ्वी दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 1 अरब से अधिक लोग मनाते हैं। वर्ष 2022 में इसके 52 वर्ष पूरे होने जा रहे है। पृथ्वी दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक करना है। मौजूदा समय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है और प्रदूषण भी खूब बढ़ रहा है। इन सभी से पृथ्वी नष्ट हो रही है। पर्यावरणीय प्रगति की उस अद्भुत सफलता के बावजूद, हम खुद को एक और भी गंभीर, वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों, जैव विविधता के नुकसान, जलवायु परिवर्तन से लेकर प्लास्टिक प्रदूषण तक का सामना करते हुए पाते हैं। ऐसी स्थिति में पृथ्वी की गुणवत्ता, उर्वरकता और महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप धरती पर कहां रहते हैं, स्मरण रहे आप अकेले नहीं हैं, क्योंकि एक साथ, हम पृथ्वी को बचा सकते हैं। सभी राष्ट्र मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए अधिक से अधिक वैश्विक महत्वाकांक्षा के लिए कार्य करें। हमें उन नेचुरल रिसोर्सेज और उभरती हुई तकनीकों पर ध्यान देना होगा जो दुनिया के पारिस्थिकी तंत्र को फिर से कायम करने में मददगार साबित होंगे।
बताया गया कि हम धरती को माता कहते हैं। कारण है कि इंसान को जन्म भले ही एक महिला देती है, लेकिन उसका पालन पोषण इस पृथ्वी पर होता है। पृथ्वी द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक चीजों से वह जीवित रहता है। इंसान जन्म के बाद अपनी माता के बिना रह सकता है लेकिन पृथ्वी और प्राकृतिक चीजों के बिना वह क्षण भर भी जीवित नहीं रह सकता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन सब के बदले में इंसान पृथ्वी को क्या देता है ? देना तो दूर की बात वह अपनी जरूरतों के लिए प्राकृतिक चीजों को नष्ट कर देता है। ऐसे में सीमित प्राकृतिक संसाधनों का बहुत तेजी में दोहन हो रहा है। इसके कारण यह प्राकृतिक संसाधन समय से पहले ही नष्ट हो रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो हमारी आने वाली पीढ़ी को पृथ्वी जीवित रहने के लिए कुछ न दे पाएगी। ऐसे में इंसानों को ही पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। इसी उद्देश्य से 22 अप्रैल को हर साल पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
आज से ही ऐसे आसान उपाय अपनाएं ताकि आने वाली पीढ़ी को एक खूबसूरत वातावरण दे सके।
बिजली के इस्तेमाल में कमी
बिजली की मांग बढ़ रही है लेकिन बिजली बर्बाद करने से भी प्राकृतिकता का दोहन हो रहा है। दरअसल, बिजली बनाने के लिए कोयले का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा कई प्राकृतिक गैसों से भी बिजली बनती है। ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है। प्रदूषण पृथ्वी को धीरे धीरे नष्ट कर रहा है। ऐसे में जरूरत होने पर ही बिजली का इस्तेमाल करें। बेवजह बिजली लाइट, फैन आदि व्यर्थ चलाकर न छोड़ें।
जल संरक्षण
पृथ्वी पर जल का होना वरदान है। ऐसे में पृथ्वी को बचाने के लिए जल संरक्षण करना बहुत जरूरी है। पानी की बर्बादी के कारण ही भूमण्डल के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसलिए सभी को ज्यादा से ज्यादा पानी बचाना चाहिए। इसके लिए पानी के अन्य स्रोतों पर ध्यान दें। ‘जल ही जीवन है’, ये मात्र कहने भर की बात नहीं। नल को ठीक से बंद करें। पानी बेवजह खर्च न करें। बारिश के पानी को स्टोर करके उसका इस्तेमाल करें।
वायु प्रदूषण कम करें
वर्तमान में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। लोगों के लिए खुली हवा में सांस लेना जहर को अपने अंदर लेने जैसा है। वाहनों की बढ़ती संख्या और इनसे निकलने वाले धुएं से प्रदूषण फैलता है। ऐसे में गाड़ियों के इस्तेमाल को कम करके दूर न जाना हो तो साइकिल का इस्तेमाल कर सकते हैं। चाहें तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
कचरा प्रबंधन
धरती पर कचरा भी बढ़ता जा रहा है। उसका उचित प्रबंधन और रीसाइक्लिंग न होने के कारण जगह जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं, जो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। ऐसे में हमारा काम है कि यह प्रयास करें कि घरों से निकलने वाला कचरा गलने वाला हो। गीले और सूखे कचरे को अलग अलग फेकें। सबसे जरूरी है कि पॉलीथिन बैग के इस्तेमाल में कमी लाएं।
केमिकल के इस्तेमाल में कमी
आधुनिक भारत में लगभग हर काम के लिए वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल होता है। ऐसे में केमिकल युक्त चीजों का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। जैसे खेती के लिए केमिकल पदार्थों का इस्तेमाल, नहाने से लेकर कपड़े और बर्तन धोने के लिए भी केमिकल युक्त चीजों का इस्तेमाल हो रहा है। ये केमिकल नाली के रास्ते बड़े नालों से होते हुए नदियों में जाते हैं और उसे प्रदूषित करते हैं। नदियों के इसी पानी का इस्तेमाल कई कार्यों में किया जाता है, जो पृथ्वी और इंसान दोनों के लिए घातक है।