-केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की मांग और हित को देखकर निर्णय लिया है
-चंडीगढ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी
-बेमानी है पंजाब सरकार का रेजुलेशन
– नियम -134ए की बजाय शिक्षा के अधिकार अधिनियम में गरीब परिवारों के विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों में मिलेगा ज्यादा सीटो पर दाखिला
गुरुग्राम, 1 अप्रैल : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ के मसले पर पंजाब विधानसभा में रेजुलेशन पास करने को लेकर कहा कि चंडीगढ़ दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी भी। दोनों राज्यों के बीच केवल चंडीगढ़ का ही मसला नहीं है बल्कि कई मुद्दे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ के कर्मचारियों की मांग और उनके हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है।
आज गुरुग्राम में मीडिया प्रतिनिधियों के साथ रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि इस फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को काफी फायदा होगा। पहले हर आदेश के लिए चंडीगढ़ के कर्मचारियों को पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्ते या दूसरे बैनिफिट के लिए आदेश होते तो पहले पंजाब नोटिफिकेशन जारी करता था। इसके बाद चंडीगढ़ में यह लागू होती। अब केंद्र जो नोटिफिकेशन करेगा, कर्मचारियों के लिए वह सीधे लागू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब ने अब तक भी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नही दिया है जबकि हरियाणा ने 2016 में ही इसे लागू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि चंडीगढ के कर्मचारी भी अभी तक इससे वंचित थे लेकिन अब नए नियम लागू होने के बाद उन्हें इसका लाभ मिल जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 1966 में पास हुए पंजाब पुर्नगठन एक्ट से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आया था। इस एक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ के 60 प्रतिशत कर्मचारी पंजाब से और 40 प्रतिशत कर्मचारी हरियाणा से होंगे। उसी समय से चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है।
श्री मनोहर लाल ने यह भी कहा कि सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के लोग भी चंडीगढ़ में अपना शेयर मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पंजाब पुर्नगठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19 प्रतिशत जमीन पर हिमाचल प्रदेश का भी हक बताया था। यह अलग बात है कि हिमाचल प्रदेश ने अपनी राजधानी शिमला में बना ली है।
नियम-134ए के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस नियम में निर्धन परिवारों के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूलों में 10 प्रतिशत सीटों का प्रावधान था जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में इन बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि अब शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निर्धन परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में 10 प्रतिशत की बजाय 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिला हो सकेगा।
जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल से यह पूछा गया कि पंजाब सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है ,क्या हरियाणा में भी इस तरह के आदेश प्राइवेट स्कूलों को दिए जाएंगे। इसके जवाब में श्री मनोहर लाल ने कहा कि हर वर्ष प्राइवेट स्कूलों को फीस के बारे मे फार्म -6 भरकर शिक्षा विभाग में जमा करवाना होता है और अभी तक शिक्षा विभाग को फीस बढ़ोतरी के बारे में कोई प्रस्ताव प्राप्त नही हुआ है।
गुरूग्राम में पुराने डीजल ऑटो रिक्शा को बदलकर उनके स्थान पर इलैक्ट्रिक ऑटो लाने के लिए लागू किए जा रहे ‘परिवर्तन‘ योजना के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि इस योजना के तहत पुराने डीजल ऑटो को बदलने के लिए एक अप्रैल तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी। अभी तक 150 ऑटो मालिकों ने इस योजना का लाभ उठाया है। अब एनजीटी के आदेश अनुसार 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल ऑटो और 15 साल से पुराने पैट्रोल ऑटो को सड़कों से हटाने के नियम को लागू किया जाएगा।