सीएसआईआर-एनएएल ने विंग्स इंडिया 2022 में नागरिक विमान पहल का प्रदर्शन किया
सीएसआईआर-एनएएल के मल्टी-कॉप्टर ड्रोन, हंसा–एनजी और एसएआरएएसएम के 2 विमान एविएशन शो में प्रमुख आकर्षण रहे
नई दिल्ली : वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद – राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाएँ (सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज), बंगलुरु विंग्स इंडिया 2022 में भाग लेने के साथ ही उड़ान प्रशिक्षण और कम्यूटर एयर कनेक्टिविटी के लिए नागरिक विमानों की अपनी स्वदेशी पहल का प्रदर्शन कर रही है।
सीएसआईआर-एनएएल द्वारा डिजाइन किया हुआ और विकसित हंसा-एनजी विमान इस विंग्स 2022 में प्रमुख आकर्षण है। हंसा-एनजी को भारतीय वायुसेना के एक प्रायोगिक परीक्षण पायलट विंग कमांडर दिलीप रेड्डी, द्वारा उड़ाया गया था। उन्होंने अपनी उड़ान के दौरान इस विमान की क्षमताओं जैसे चढ़ाई, उतरना, पैंतरेबाज़ी, नीची उड़ान के समय की स्थिरता और शॉर्ट टेक ऑफ/लैंडिंग का प्रदर्शन किया है जिससे दर्शक उत्साहित हुए।
हंसा-एनजी रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित सबसे उन्नत दो सीट वाले फ्लाइंग ट्रेनर विमानों में से एक है, जिसमें जस्ट-इन-टाइम प्रीप्रेग (जेआईपीआरईजी) कम्पोजिट लाइटवेट एयरफ्रेम, ग्लास कॉकपिट, बबल कैनोपी विद वाइड पैनोरमिक व्यू, विद्युत संचालित फ्लैप इत्यादि अनूठी विशेषताएं शामिल हैं। हंसा एनजी 10000 फीट की ऊंचाई तक 200 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ 5 घंटे से अधिक क्षमता के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। हंसा-एनजी ने उड़ान के 55 घंटे से अधिक का समय पूरा किया और शीघ्र ही नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा इसे टाइप प्रमाणित किया जाएगा। एनएएल को पहले ही देश भर के विभिन्न फ्लाइंग क्लबों से 80 से अधिक आशयपत्र (लेटर ऑफ इंटेंट–एलओआई) मिल चुके हैं और इनकी डिलीवरी जुलाई 2022 से निर्धारित है ।
जीवंत सामाजिक अनुप्रयोगों का प्रदर्शन करने के साथ ही एनएएल द्वारा विकसित इस मल्टी-कॉप्टर ड्रोन की शानदार फॉर्मेशन उड़ान ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया । मल्टी-कॉप्टर ड्रोन की अनूठी विशेषता पूरी तरह से स्वायत्त बीवीएलओएस (बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ विजन) संचालन क्षमता है और जिसमें लगभग 30 मिनट की एनड्यूरेन्स के साथ 20 किग्रा की अधिकतम पेलोड क्षमता है। नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) ने इसे सशर्त मंजूरी दे दी है और इसकी 60 घंटे से अधिक की उड़ान पूरी हो गई है।
एनएएल ने ग्लास कॉकपिट के साथ एसएआरएएसएमके2 के पूरी तरह से लोडेड 1:1 मॉकअप, शौचालय सहित केबिन इंटीरियर, कार्गो कम्पार्टमेंट्स और अन्य केबिन सुरक्षा सुविधाओं का प्रदर्शन किया। एसएआरएएस एमके II एक 19 सीटर हल्का परिवहन विमान (लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट) है जिसमें यात्री परिवहन, सैन्य परिवहन, वीआईपी ट्रांसपोर्ट और केसवैक (एयर एम्बुलेंस) जैसी बहु-भूमिका निर्वहन क्षमताएं हैं। विमान को विशेष रूप से छोटे रनवे, गर्म और ऊंचाई वाले क्षेत्रों और टियर 1 और टियर 2 शहरों / कस्बों को जोड़ने के लिए अर्ध- निर्मित रनवे से संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। एसएआरएएस एमके II उन अद्वितीय विमानों में से एक है जिनमें न्यूनतम लागत को ध्यान में रखते हुए दवाबयुक्त (प्रेशराइज्ड) केबिन, डिजिटल एंटीस्किड ब्रेकिंग, कैटII लैंडिंग के साथ ऑटोपायलट, दो लीवर इंजन संचालन, लाइटवेट सामग्री आदि के माध्यम से परिचालन लाभ को अधिकतम किया जाता है। इस विमान में 778 किमी की सीमा के साथ 500 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से 29000 फीट तक उड़ान भरने की क्षमता है और यह उड़ान (उड़े देश का नागरिक–यूडीएएन) योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने के लिए आदर्श प्रत्याशी होगा।
सीएसआईआर-एनएएल में निदेशक श्री जितेंद्र जाधव निदेशक ने कहा कि डिजाइन और विनिर्माण में प्रयासों को कम करने के लिए इस विमान के डिजाइन को त्रि- आयामी (3डी) प्लेटफॉर्म,वर्चुअल रियलिटी, उन्नत सीएटीआईए , डिजिटल मॉक अप (डीएमयू) और पीएलएम (प्रोजेक्ट लाइफ साइकिल मैनेजमेंट) तकनीकों जैसे डिजिटल उपकरणों के व्यापक उपयोग के साथ अभिकल्पित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हाई फिडेलिटी सिम्युलेटर और परीक्षण सुविधाओं का उपयोग करके उड़ान परीक्षण प्रयासों को इस प्रकार कम किया गया है ताकि वस्तु स्थिति के अनुसार अधिकांश परीक्षण बिंदुओं का प्रदर्शन किया जा सके ।
एनएएल ने भविष्य की पथ प्रवर्तक प्रौद्योगिकी के रूप में उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफार्मों (एचएपी) के कार्यात्मक उप-स्तरीय मॉडल का प्रदर्शन किया। एचएपी एक सौर ऊर्जा संचालित मानव रहित विमान ( यूएवी ) है जो 90 दिनों से अधिक समय तक 20 किमी की ऊंचाई पर दिन और रात के संचालन में सक्षम है। एचएपी 5जी और 6Gजी स्पेक्ट्रम में दूरसंचार अनुप्रयोगों के लिए एक छद्म उपग्रह (स्यूडो सैटेलाईट) के रूप में काम करने के लिए एक ऐसा गेम-चेंजर होगा जिसमें कम डेटा प्रसुप्ति (लेटेन्सी), उच्च बैंडविड्थ, लॉन्च में लचीलापन और कम लागत जैसे फायदे होंगे। एचएपी का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों जैसे ब्रॉडबैंड संचार, निगरानी, पृथ्वी के अवलोकन, जलवायु अनुसंधान आदि के लिए किया जाएगा।
विभिन्न एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में आत्मनिर्भरता के प्रदर्शन के लिए इंटरमीडिएट मॉड्यूलस ग्रेड कार्बन फाइबर, कार्बन प्रीप्रेग, एयरोस्पेस अनुप्रयोगों के लिए विशेष कोटिंग्स, सीएफ-एसआईसी कंपोजिट, जस्ट-इन-टाइम प्री-प्रेग, थर्मोप्लास्टिक कंपोजिट्स, एआरआईएनसी 818 आईपी कोर इत्यादि जैसे गहन प्रौद्योगिकी नवाचार का प्रयोग किया गया है।
विंग्स इंडिया 2022 में प्रेस के साथ बातचीत में डीएसआईआर सचिव और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मंडे ने कहा की “हंसा-एनजी नामक नई पीढ़ी के विमान को अत्याधुनिक तकनीकों और नई पीढ़ी की सुविधाओं को समाहित करके विकसित किया गया है। यह दो प्राथमिक उड़ान डिस्प्ले में निर्मित अनावश्यक बिजली आपूर्ति के साथ प्रमाणित उपकरणों का उपयोग करके उन्नत डिजिटल डिस्प्ले सिस्टम प्रदान करता है। स्वदेशी हंसा-एनजी से भारतीय फ्लाइंग क्लबों के साथ-साथ अन्य ग्राहक अनुप्रयोगों जैसे हवाई क्षेत्रों में पक्षी टोही, कैडेट प्रशिक्षण, तटीय निगरानी और हॉबी फ़्लाइंग को लाभ होगा। इसके परिणामस्वरूप, सीएसआईआर-एनएएल ने विंग्स इंडिया 2022 के दौरान मेसर्स बेलागवी एविएशन प्राइवेट लिमिटेड से 10 विमानों के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता प्राप्त की। मेसर्स ब्लू रे एविएशन ने भी विंग्सइंडिया के दौरान 3 विमान विमान प्राप्त करने में रुचि दिखाई है। हम उड़ान प्रदर्शन सत्र के दौरान शानदार उड़ान प्रदर्शन के लिए भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट विंग कमांडर दिलीप रेड्डी को धन्यवाद देते हैं। निजी /सार्वजनिक उद्योग की भागीदारी के साथ इस विमान की डिलीवरी जुलाई 2022 से निर्धारित है
उन्होंने उल्लेख किया कि “एनएएल द्वारा विकसित मल्टी-कॉप्टर ड्रोन का प्रदर्शन विंग्स इंडिया में किया जा रहा है जो कि सटीक कृषि, भू अन्वेषण अध्ययन और देश के हर क्षेत्र में वितरण/दवा/वैक्सीन वितरण के लिए तैयार किए गए हैं। इन यूएवी की विशिष्टता उनकी उच्च पेलोड क्षमता और लंबी सहनशक्ति है जो कि हर क्षेत्र में वितरण (लास्ट माइल डिलीवरी), फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) मानचित्रण, भूभौतिकीय (जियोफिजिकल) अन्वेषण अध्ययन (भूमिगत खनिज और पानी की खोज), सटीक कृषि और दूरस्थ स्थानों पर कीटनाशक छिड़काव के लिए आवश्यक आवश्यकताएं हैं। एनएएल ने पूरे भारत में सरकार के अधिकारियों के समक्ष इन क्षमताओं का प्रदर्शन किया था। विंग्स इंडिया प्रदर्शन के दौरान मैसर्स साइंटेक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, इंदौर, मैसर्स मैजिक मैना, कोयंबटूर और मेसर्स सीआई नेटवर्क टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद को इन मल्टी-कॉप्टर्स (क्वाड, हेक्सा, ऑक्टा) के समझौतों पर 24 मार्च 2022 को हस्ताक्षर किए गए अथवा इनकी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया गया।ये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अगले तीन महीनों की अवधि में 100-200 ड्रोन प्रति माह की दर से उत्पादन शुरू करेंगे।
सीएसआईआर के महानिदेशक ने भी कहा कि सशस्त्र बलों ने पहले ही शुरूआती दौर् में 15 एसएआरएएस-एमके II को शामिल करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। विमान एफएआर 23 मानकों का अनुपालन करेगा और नागरिक और सैन्य उपयोग के लिए डीजीसीए तथा सीईएमआईएलएसी द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। पहली उड़ान जून 2024 में होने की संभावना है और इनका उत्पादन 2026-27 से होगा। एसएआरएएस एमके II उड़ान (यूडीएएन) योजना के तहत हवाई संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तन कारी क्षण साबित होगा । मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेसर्स आईसीएटीटी एयर एम्बुलेंस सेवा ने आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर के मेडिकल संस्करण के लिए एसएआरएएस -एमके II विमान के लिए दो आशयपत्र (एलओआई ) दिए हैं। एसएआरएएस -एमके II अल्ट्रा-क्रिटिकल फ्लाइंग सेवाओं के लिए भी एक आदर्श मंच होगा जिसके लिए आईसीएटीटी एक अग्रणी संस्था है और एशिया में सबसे बड़ी एयर एम्बुलेंस सेवा है।
उन्होंने आगे कहा कि एचएपी का विकास तेजी से आगे बढ़ रहा है और विंग्स इंडिया 2022 में कार्यात्मक सबस्केल मॉडल प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया जा रहा है। सबस्केल मॉडल अगस्त 2022 तक वायुगतिकी (एयरोडाईनेमिक्स), स्थिरता नियंत्रण और एवियोनिक्स और ऑटोपायलट प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए उड़ान भरेगा। उड़ान परीक्षण डेटा का उपयोग अंतिम डिजाइन को अनुकूलित करने के लिए किया जाएगा और पूर्ण पैमाने के एचएपी के प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (पीओसी) को मार्च 2024 तक 2 घंटे की एनड्यूरेन्स साथ 20 किमी की ऊंचाई पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसके बाद पूर्ण पैमाने पर अभियांत्रिकी के किए इसे उद्योगों के साथ राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) द्वारा इसे इंजीनियरिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा ।
एनएएल टीम को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि एनएएल सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आम आदमी के उपयोग के लिए विमान और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।