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सुभाष चौधरी
नई दिल्ली (special grant to bihar): लोकसभा में आज जनता दल यू सांसद राजीव सिंह रंजन (ललन ) ने प्रश्नकाल के दौरान बिहार को मिलने वाली वित्तीय अनुदान का मुद्दा उठाया। उन्होंने 15 वें वित्त आयोग की सिफारिश के हवाले से बिहार जैसे राज्य को बजट घाटे की भरपाई के लिए वित्तीय सहायता देने के प्रावधान का सवाल पूछा।
उन्होंने पूछा कि बिहार जैसे विकासशील प्रदेश को वित्त आयोग की सिफारिश के तहत मिलने वाले आर्थिक अनुदान से वंचित क्यों रखा गया है ? उन्होंने कहा कि इससे वित्तीय कुप्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा जबकि बेहतर प्रबंधन वाले राज्य हतोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि क्या बिहार जैसे राज्य को 2019- 20 और 2020-21 के दौरान हुए बजट घाटा के लिए विशेष आर्थिक अनुदान देने पर केंद्र विचार कर रही है ?
सांसद राजीव सिंह रंजन के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन को बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रधानमंत्री ने देश के सभी राज्यों को आर्थिक सहयोग देने की दृष्टि से आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से मदद की गई। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य को भी कई योजनाओं के तहत इस दौरान आर्थिक मदद दी गई।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि बिहार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री गरीब योजना, उज्जवला योजना, पीएम किसान, पीएम जन धन योजना, राष्ट्रीय सामाजिक योजना, कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान योजना, जिला खनिज योजना के अतिरिक्त स्वास्थ्य स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए बिहार को लगभग 1136 करोड़ रु का अनुदान दिया गया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता हमेशा बिहार के विकास के प्रति रहती है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में बताया कि इससे पूर्व भी प्रधानमंत्री ने बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज दिया था। उन्होंने कहा कि अगर वर्ष 2009 से 2014 के बीच एवं वर्ष 2014 से 2019 के बीच मिलने वाले आर्थिक अनुदान की तुलना करें तो बिहार को टेक्स् ट्रांसफर में 107 परसेंट की वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय अनुदान की बात अगर की जाए तो 119% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के चौमुखी विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान जनता दल यू सांसद राजीव सिंह रंजन का कहना था कि 15 वे वित्त आयोग ने 17 ऐसे वित्तीय कुप्रबंधन वाले राज्यों के लिए 294518 करोड़ रुपए का विशेष प्रावधान किया था। उन्होंने कहा की रेवेन्यू डेफिसिट ऐसे राज्यों में होता है जहां वित्तीय कुप्रबंधन है। उन्होंने कहा कि जहां वित्तीय प्रबंधन बेहतर है उन राज्यों को इस स्पेशल अनुदान से वंचित कर दिया गया। यह वित्तीय कुप्रबंधन को बढ़ावा देने जैसा कदम है।
जद यू सांसद ने कहा कि यह बात सही है कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों की भरपूर मदद की. उन्होंने बिहार को भी मदद दी. बावजूद इसके विकासशील राज्यों पर आर्थिक बोझ बढा। उन्होंने कहा कि बिहार जैसे प्रदेश में भी 2019- 20 और 2020-21 के दौरान बजट घाटा हुआ। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि इन 2 वर्षों में बिहार राज्य को हुए घाटे की भरपाई विशेष अनुदान से की जाएगी या नहीं ?
सांसद राजीव सिंह रंजन ने कहा कि बिहार जैसे राज्य का विकास दर अपने संसाधनों और प्रधानमंत्री की ओर से दिए जा रहे मदद के बल पर है। जदयू सांसद ने कहा कि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने उनके सवाल का जवाब नहीं दिया। उन्होंने अपने पूरक प्रश्न में इस बात को पुनः दोहराया कि क्या बिहार को स्पेशल अनुदान दिया जाएगा ? साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री से यह भी बताने की मांग की कि बिहार राज्य के उन 8 क्षेत्रों जिनकी पहचान 15वें वित्त आयोग ने की है उनके लिए राज्य सरकार को आवश्यक राशि कब उपलब्ध कराई जाएगी।
जद यू सांसद के पूरक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन को बताया कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिश संबंधित राज्यों की पात्रता के अनुसार की गई है । इसके अनुसार 2021-22 से 2025 -26 की अवधि के लिए दिए जाने वाले अनुदान को चार भागों में बांटा जाएगा इनमें राज्य आपदा प्रबंधन, शहरी स्थानीय निकाय अनुदान, ग्रामीण स्थानीय अनुदान, स्वास्थ्य क्षेत्र संबंधित अनुदान और राज्य में आपदा आने की स्थिति में उसके लिए प्रबंधन अनुदान शामिल है।
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